प्रकृति का अभिन्न अंग हैं नदियाँ : घनश्याम जायसवाल
प्रदीप मिश्रा, प्रमुख संवाददाता
Gonda News :
नदियां सदैव ही जीवनदायिनी और प्रकृति का अभिन्न अंग हैं। अपने साथ बारिश का जल एकत्रित कर भू-भाग में पहुचती हैं। हमारे पूर्वजों ने नदियों को धर्म से जोड कर इन्हें स्वच्छ और पवित्र भी बनाए रखा। जब हम नदी में डुबकी लगाते हैं तो पानी हमारे नकारात्मक विचारों को अवशोषित कर लेता है। उक्त सुविचार सामाजिक कार्यकर्ता घनश्याम जायसवाल ने नगर पंचायत तरबगंज परमहंस मंदिर के नदी की सफाई करने के दौरान कही।
श्री जायसवाल ने कहा कि आस्था की पवित्र और संस्कृति से जुड़ी नदियां प्रदूषित हो रही हैं। एक तरफ नदियों को माता कह कर पूजा जाता है दूसरी ओर उनमें कचरा औऱ शव डाले जाते है। नदियों का आध्यात्मिक स्तर पर यह माना जाता है कि पानी की स्वच्छ करने की शक्ति आंतरिक बाधाओं को दूर करने में सहायता करती है। जब ऋषि नदियों के किनारे तपस्या करते हैं तो नदी उन नकारात्मक विचारों से मुक्त हो जाती है और पानी पवित्र हो जाता है। नदी का पानी वह पवित्र मार्ग है जो पापियों को पवित्र पुरूषों और महिलाओं के साथ जोड़ता है और नदी के किनारे उन लोगों की आध्यात्मिक ऊर्जा से भर जाते हैं जो यहां ध्यान लगाते हैं। पत्थरों, बजरी, जड़ी-बूटियों और पौधों को छूकर बहते पानी के कारण नदी के भौतिक, रासायनिक और जैविक गुण बढ़ जाते हैं। उदाहरण के लिए, गंगा नदी के निश्चित औषधीय गुण पहाड़ों की हिमालय श्रृंखला में पाई जाने वाली औषधीय जड़ी-बूटियों की उपस्थिति से बढ़ते हैं। इस तरह के पानी में लाभकारी रेडियोधर्मिता सूक्ष्म स्तर पर पाई जाती है। यह आवश्यक है कि नदी के पानी में उपस्थित भौतिक गुणों को पवित्र रखा जाए। जिससे कि गहन आध्यात्मिक गुण प्रकट हो सकें।
हिंदू धर्म में लोग जिस तरह आसमान में सप्त ऋषि के रूप में सात तारों को पूज्य मानते हैं, उसी तरह पृथ्वी पर सात नदियों को पवित्र मानते हैं। जिस प्रकार आसमान में ऋषि भारद्वाज, ऋषि वशिष्ठ, ऋषि विश्वामित्र, ऋषि गौतम, ऋषि अगत्स्य, ऋषि अत्रि एवं ऋषि जमदग्नि अपने भक्तों को आशीर्वाद देने के लिए विराजमान हैं, उसी तरह पृथ्वी पर सात नदियां गंगा, यमुना, सरस्वती, नर्मदा, कावेरी, शिप्रा एवं गोदावरी अपने भक्तों की सुख एवं समृद्धि का प्रतीक मानी जाती हैं। गंगा नदी को स्वर्ग लोक से पृथ्वी पर लाने के लिए राजा भगीरथ द्वारा भगवान महादेव के तप की पौराणिक कथा पूरे देश में लोकप्रिय है। हमें वास्तव में नदियों का सम्मान करने के साथ-साथ प्रदूषण से बचाना होगा।



