विश्व आर्द्रभूमि दिवस पर विशेष: ‘अमृत धरोहर’ पार्वती अरगा
प्राकृतिक एवं सांस्कृतिक धरोहर का अद्भुत केंद्र है पार्वती अरगा : केंद्रीय विदेश राज्य मंत्री कीर्तिवर्धन सिंह
प्रदीप मिश्रा, प्रमुख संवाददाता
गोंडा /लखनऊ।
तीर्थ नगरी अयोध्या से मात्र 28 किलोमीटर दूर, उत्तर प्रदेश के गोंडा जिले में स्थित पार्वती अरगा रामसर साइट जैव विविधता और प्राकृतिक सौंदर्य का अद्भुत केंद्र है। यह स्थल न केवल पर्यावरणीय दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि सांस्कृतिक रूप से भी समृद्ध है। इस वर्ष 2 फरवरी को विश्व आर्द्रभूमि दिवस के राष्ट्रीय आयोजन के लिए पार्वती अरगा पक्षी विहार को चुना गया है, जो उत्तर प्रदेश के लिए गर्व की बात है। इस आयोजन में देश-विदेश के आर्द्रभूमि विशेषज्ञों का जमावड़ा होगा, जिससे इस स्थल की पहचान और अधिक विस्तृत होगी। आर्द्रभूमियां धरती पर जीवन के अस्तित्व के लिए अत्यंत आवश्यक हैं। जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों और पारिस्थितिक असंतुलन के बीच, भारत सरकार ने आर्द्रभूमि संरक्षण को प्राथमिकता देते हुए ‘अमृत धरोहर’ की संज्ञा दी है। 2014 से 2024 के बीच भारत ने 59 नई वेटलैंड्स को रामसर साइट के रूप में मान्यता दिलाई, जिससे कुल संख्या 85 हो गई है। यह उपलब्धि सरकार की ‘मिशन लाइफ’ जैसी पहलों और जैव विविधता संरक्षण के लिए किए गए ठोस प्रयासों का प्रमाण है। पार्वती अरगा पक्षी विहार 35 से अधिक प्रजातियों के पक्षियों का आश्रय स्थल है। यहां स्थानीय और प्रवासी पक्षी बड़ी संख्या में पाए जाते हैं, जिनमें ब्राउन हेडेड गल, ब्लैक हेडेड गल, लालसर, सुर्खाब, नीलसर, बेतुल, जल कुकरी, कामनकूट, नकटा, गिरी व सुर्खाब प्रमुख हैं। इसके अलावा, स्थानीय पक्षियों में काला तीतर, भूरा तीतर, बटेर, नीलकंठ, कठफोड़वा, बाज, चील और हरियल जैसे कई आकर्षक पक्षी देखे जा सकते हैं। यह स्थल सिर्फ पक्षियों के लिए ही नहीं, बल्कि वनस्पतियों के लिए भी समृद्ध है। यहां 73 परिवारों से संबंधित 283 प्रजातियां और 1 उप-प्रजाति पाई जाती हैं, जो पारिस्थितिक तंत्र को मजबूत बनाती हैं। सरकार ने पार्वती अरगा के अपग्रेडेशन का प्रस्ताव तैयार किया है, जिसका इंटीग्रेटेड मैनेजमेंट प्लान जल्द ही जारी किया जाएगा। इसके तहत, यहां विभिन्न प्रकार की पर्यावरणीय और साहसिक गतिविधियां विकसित की जाएंगी, जिससे पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा और रोजगार के नए अवसर सृजित होंगे। साथ ही, इसे सरयू नहर से जोड़ने और टिकरी में जंगल सफारी शुरू करने का भी प्रस्ताव है। इससे अयोध्या आने वाले पर्यटकों को प्रकृति के इस अनमोल उपहार को देखने का शानदार अवसर मिलेगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘वन्यजीवों के फलने-फूलने के लिए इकोलॉजी का भी फलना-फूलना जरूरी है’ इस विचार को आत्मसात करते हुए कई महत्वपूर्ण पहल की हैं। प्रोजेक्ट टाइगर, प्रोजेक्ट एलिफेंट, लायन और लेपर्ड संरक्षण योजनाएं सफल रही हैं। इसके अलावा, ‘एक पेड़ माँ के नाम’ अभियान और मिशन लाइफ ने पर्यावरण संरक्षण को एक जन आंदोलन में बदल दिया है, जिसे वैश्विक स्तर पर सराहा गया है। इस वर्ष विश्व आर्द्रभूमि दिवस पर भारत में 2,000 से अधिक स्कूल और कॉलेजों के छात्रों ने भाग लिया, जिनमें गोंडा जिले के भी कई छात्र शामिल हैं। यह दर्शाता है कि प्रकृति संरक्षण के प्रति लोगों में जागरूकता और जिम्मेदारी बढ़ रही है। पार्वती अरगा रामसर साइट न केवल जैव विविधता का केंद्र है, बल्कि पर्यावरण, पर्यटन और संस्कृति के संगम का एक अनूठा उदाहरण भी है। यह पहल स्थानीय और राष्ट्रीय स्तर पर पर्यावरण संरक्षण को नई ऊंचाइयों तक ले जाएगी। सरकार और जनता के संयुक्त प्रयासों से, यह स्थल अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की पर्यावरणीय प्रतिबद्धता का प्रतीक बनेगा।

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