गोंडा /तुलसी को उनकी अपनी भाषा में भी सर्वाधिक पढ़ा जाता है। ऐसा दुनिया के किसी कवि के साथ नहीं होता। अगर हमारे मन पर अच्छी बातों का अच्छा असर और बुरी चीज़ों का बुरा असर पड़ना बंद हो जाए तो समझ जाना चाहिए कि मनुष्यता पर संकट है। ये बातें प्रसिद्ध हिंदी कवि अष्टभुजा शुक्ल ने एलबीएस कॉलेज के हिंदी विभाग द्वारा आयोजित ‘अवध का लोक जीवन और हिंदी कविता’ विषय पर आयोजित विशेष व्याख्यान में कहीं। मुख्य वक्ता के रूप में अपना विचार व्यक्त करते हुए अष्टभुजा शुक्ल ने कहा कि कठफोड़वा लकड़ी में छेद करके कोटर बना देता है और उसमें तोता-मैना घोंसला बना लेते हैं। इसी तरह विध्वंसात्मकता के विरुद्ध रचनात्मकता को सतत सक्रिय रहना चाहिए। इस अवसर पर उन्होंने जायसी, तुलसी, पढीस, वंशीधर शुक्ल, त्रिलोचन शास्त्री की लोकधर्मी चेतना को रेखांकित किया। जवान होते बेटों, स्त्री संवेदना पर आधारित कविताओं ने सभागार में उपस्थित श्रोताओं का मन मोह लिया।
विशिष्ट अतिथि के रूप में एसआईईएस कला, विज्ञान एवं वाणिज्य महाविद्यालय, मुंबई के हिंदी विभागाध्यक्ष डॉ. दिनेश पाठक ने विषय का प्रवर्तन किया। उन्होंने कहा कि अवध का लोक अंचल समरसता और प्रतिरोध को एक साथ लेकर चलता है। अवध की सांस्कृतिक और राजनीतिक विरासत का उल्लेख करते हुए डॉ. पाठक ने कहा अवध वह धरती है जहां अंग्रेजी साम्राज्यवाद के विरुद्ध सर्वप्रथम क्रांति की चिंगारी फूटी। यहां के कवियों, साहित्यकारों और विचारकों में सत्ता के लिए असह्य ताप रहा है। इस मौके पर उन्होंने कहा अवध का लोक अंचल सृजनात्मकता की समृद्ध विरासत समाहित किए है।
महाविद्यालय के प्राचार्य प्रोफेसर रवीन्द्र कुमार पांडेय ने अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में कहा कि साहित्य सृजन वागर्थ की साधना है, यह आसान नहीं है। भावनाओं और विचारों को अत्यंत समर्थ ढंग से लोगों तक पहुंचाना, शब्दों के मर्म को समझना और उसका सटीक इस्तेमाल करना कवि से अच्छा कौन जान सकता है? वरिष्ठ कवि एवं निबंधकार अष्टभुजा शुक्ल एवं विशिष्ट अतिथि डॉ. दिनेश पाठक के प्रति प्राचार्य प्रो. रविंद्र कुमार पांडे ने आभार ज्ञापित किया।
कार्यक्रम के प्रारंभ में हिंदी विभाग के अध्यक्ष डॉ. शैलेंद्र नाथ मिश्र ने आमंत्रित अतिथियों का स्वागत किया और विषय की महत्ता को रेखांकित किया। अष्टभुजा शुक्ल की कविताओं की सराहना करते हुए कहा कि गांव, किसान और लोक जीवन का समग्र चित्रण आपकी कविताओं में मिलता है। कार्यक्रम का प्रारंभ एमए उत्तरार्द्ध, हिंदी की छात्रा प्रिंसू सिंह एवं पूजा द्वारा की गई सरस्वती वंदना से हुआ। डॉ. रंजन शर्मा, डॉ. चमन कौर, डॉ. अच्युत शुक्ल, डॉ. ममता शुक्ला, दीप्ति ने आमंत्रित अतिथि को पुष्पगुच्छ, उत्तरीय, स्मृति चिह्न भेंटकर स्वागत किया। इस अवसर पर महाविद्यालय के मुख्य नियंता डॉ. जितेंद्र सिंह, अर्थशास्त्र विभाग के सह आचार्य डॉ. दीनानाथ तिवारी, गणित विभाग के सहायक आचार्य मनीष शर्मा, शरद कुमार पाठक, कवि यज्ञ राम मिश्र, उमा सिंह, महिम तिवारी सहित महाविद्यालय के छात्र-छात्राएँ उपस्थित रहे।
कार्यक्रम का संचालन हिंदी विभाग के सह आचार्य डॉ. जयशंकर तिवारी ने किया।

By admin

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *