सरकारी अस्पताल में ओपीडी से ओटी तक फैला दलालों का जाल
बाबू ईश्वर शरण और जिला महिला अस्पताल में दलालों ने बना रखी गहरी पैठ
महिला अस्पताल में भी चल रहा खेल, नर्सिंग होम का बढ़ रहा है धंधा
प्रदीप मिश्रा, प्रमुख संवाददाता
Gonda News
गोंडा। जिले के प्रमुख सरकारी अस्पतालों में मरीजों की बेबसी पर दलालों का वर्चस्व भारी पड़ रहा है। बाबू ईश्वर शरण अस्पताल और जिला महिला अस्पताल में ओपीडी से लेकर ऑपरेशन थिएटर तक दलालों का सीधा दखल बना हुआ है। दलालों की डॉक्टरों संग गहरी पैठ है। जिससे मरीजों की जेबें ढीली करायी जा रही हैं। अस्पताल में जगह जगह अपनी जडें जमाए बैठे ये लोग मरीजों को पर्चा काउण्टर से ही छका लेते हैं, फिर मरीज़ और उनके तीमारदारों को सरकारी अस्पताल में सही इलाज नहीं मिल पाने का डर उनके मन में बैठाते हुए, सेटिंग के आधार पर डॉक्टर तक जाने की राह दिखाई जाती है। उन्हें बताया जाता है कि सरकारी अस्पताल में प्राइवेट इलाज कुछ रकम देने पर आसानी से मिल सकेगा। इसके लिए डॉक्टर के नाम और नर्सिंग होम की राह भी दिखाई जाती है। बताया जा रहा कि तमाम लोग ऐसे हैं जो अस्पताल में कार्यरत डॉक्टर के संपर्क के नहीं होते अलबत्ता नर्सिंग होम से भेजे गए लोग होते हैं जो अपने नर्सिंग होम मरीजों को खींच ले जाते हैं। सूत्र बताते हैं कि कई लोग मानों नर्सिंग होम से तैनात किए गए होते हैं।
बाबू ईश्वर शरण अस्पताल में मरीजों के आते ही दलाल सक्रिय हो जाते हैं। पर्चा काउंटर से ही इनका खेल शुरू हो जाता है। मरीजों को बिना नंबर ओपीडी में डॉक्टर से दिखाने से लेकर जांच कराने, दवाएं दिलवाने और ऑपरेशन करवाने तक ये दलाल हर जगह हावी हैं। यही नहीं, डॉक्टरों की सेटिंग के जरिए मरीजों को उनके आवास तक पहुंचाने और सुविधा शुल्क तय कराने तक का काम यही दलाल करते हैं।
बाबू ईश्वर शरण अस्पताल की ओपीडी में प्रतिदिन दो हजार से अधिक मरीज इलाज के लिए आते हैं और रोजाना दो दर्जन से अधिक ऑपरेशन होते हैं। यही हाल जिला महिला अस्पताल का भी है, जहां 900 से ज्यादा महिलाएं रोजाना इलाज के लिए आती हैं और 25 से अधिक सीजेरियन ऑपरेशन किए जाते हैं। लेकिन, इन सभी मामलों में दलालों की पकड़ इतनी मजबूत है कि ओटी में किस मरीज का ऑपरेशन पहले होगा, इसका फैसला भी वे ही तय करते हैं।
डॉक्टर अपने आवास से निकलते ही दलालों से घिर जाते हैं। ओपीडी में ये दलाल डॉक्टरों के निजी सुरक्षाकर्मी की तरह काम करते हैं। अस्पताल के कर्मचारी भी इनकी पकड़ से बच नहीं पाते। कर्मचारियों का कहना है कि डॉक्टर उन्हीं मरीजों का ऑपरेशन करते हैं, जिनकी दलाल सिफारिश करते हैं। अन्यथा, मरीजों में कमी निकालकर उनका ऑपरेशन टाल दिया जाता है।
जिला महिला अस्पताल में मरीजों को सरकारी सुविधाओं से वंचित करने का खेल भी दलाली से जुड़ा हुआ है। आशा कार्यकर्ताओं को निजी नर्सिंग होम से कमीशन मिलता है, जिसके चलते वे मरीजों को वहां रेफर कर देती हैं। सरकारी अस्पतालों की अव्यवस्थाओं और दलालों के गठजोड़ के कारण मजबूर मरीज महंगे नर्सिंग होम जाने को विवश हैं।
इस पूरे मामले पर बाबू ईश्वर शरण अस्पताल के सीएमएस डॉ. अनिल तिवारी और जिला महिला अस्पताल के सीएमएस डॉ. देवेंद्र सिंह का कहना है कि दलालों पर नियंत्रण के प्रयास किए जा रहे हैं।
अफसरों के बयान से इतर जमीनी हकीकत यह है कि तमाम शिकायतों और उच्चाधिकारियों को भेजे गए पत्रों के बावजूद भी ठोस कार्रवाई नहीं हो पा रही है।



