शिक्षकों के लिए बड़ी राहत: बेसिक शिक्षा विभाग ने जारी की अंतर्जनपदीय स्थानांतरण की नई नीति, अब नहीं लगेगा सेवा अवधि का बंधन
प्रदीप मिश्रा, प्रमुख संवाददाता
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लखनऊ, 23 मई 2025। उत्तर प्रदेश सरकार ने बेसिक शिक्षा परिषद के अधीन संचालित प्राथमिक और उच्च प्राथमिक विद्यालयों में कार्यरत शिक्षकों एवं शिक्षिकाओं के लिए अंतर्जनपदीय स्थानांतरण नीति 2025-26 जारी कर दी है। यह नीति निःशुल्क एवं अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार अधिनियम-2009 के छात्र-शिक्षक अनुपात को ध्यान में रखते हुए तय की गई है।
विशेष सचिव अवधेश कुमार तिवारी द्वारा जारी शासनादेश में कहा गया है कि अंतर्जनपदीय स्थानांतरण प्रक्रिया अब जिला स्तर की उच्च स्तरीय समिति के माध्यम से संचालित की जाएगी, जिसके अध्यक्ष जिलाधिकारी होंगे।
मुख्य बिंदु इस प्रकार हैं:
- सेवा अवधि नहीं बनेगी बाधा: अंतर्जनपदीय स्थानांतरण के लिए अब सेवावधि की कोई बाध्यता नहीं रखी गई है। सभी नियमित शिक्षक एवं शिक्षिका इसके पात्र होंगे।
- जरूरत आधारित स्थानांतरण: जिन जिलों में शिक्षकों की अधिकता है, वहां से उन्हें उन जिलों में स्थानांतरित किया जाएगा जहां शिक्षकों की आवश्यकता है।
- डिजिटल प्रक्रिया: पूरी स्थानांतरण प्रक्रिया राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केन्द्र द्वारा विकसित ऑनलाइन पोर्टल के माध्यम से संचालित की जाएगी।
- यू-डायस डेटा के आधार पर निर्णय: छात्र संख्या के आंकड़े यू-डायस पोर्टल से लिए जाएंगे और इसी आधार पर आवश्यकता वाले व अधिकता वाले जिलों की सूची सार्वजनिक की जाएगी।
- सेवा संवर्ग में ही स्थानांतरण: ग्रामीण सेवा संवर्ग से केवल ग्रामीण क्षेत्र और नगर सेवा संवर्ग से केवल नगर क्षेत्र में स्थानांतरण होगा।
- वैकल्पिक चयन: शिक्षक अपनी इच्छानुसार जरूरत वाले जिलों को वरीयता क्रम में ऑनलाइन विकल्प के रूप में चुन सकेंगे।
- फर्जी दस्तावेजों पर कार्रवाई: यदि किसी शिक्षक के अभिलेख फर्जी या कूटरचित पाए जाते हैं, तो उसके खिलाफ विधिक कार्रवाई की जाएगी।
- शपथपत्र अनिवार्य: स्थानांतरण के समय शिक्षक को शपथपत्र देना होगा कि वह स्वेच्छा से स्थानांतरण ले रहा है और नई जगह पर ज्येष्ठता क्रम में नीचे रखा जाएगा, जिसका वह भविष्य में कोई दावा नहीं करेगा।
- मानव संपदा पोर्टल पर अपडेट: स्थानांतरण उपरांत संबंधित बीएसए मानव संपदा पोर्टल पर विवरण अपडेट करेंगे।
बेसिक शिक्षा निदेशालय, प्रयागराज तकनीकी प्रक्रिया, चरणबद्ध कार्यवाही और समयसारिणी शीघ्र ही अलग से जारी करेगा। शासन की यह पहल शिक्षकों को पारिवारिक और व्यावसायिक संतुलन प्रदान करने में सहायक होगी और छात्र-शिक्षक अनुपात में सुधार लाकर शिक्षा की गुणवत्ता को भी नई दिशा देगी।



