भूमाफियाओं की बदली रणनीति – फर्जीवाड़े का नया फॉर्मूला
प्रदीप मिश्रा, प्रमुख संवाददाता, गोंडा
Gonda News
देवीपाटन मंडल में ज़मीन के फर्जीवाड़ों पर पुलिस की सख्ती ने भले ही कुछ समय के लिए भूमाफियाओं को बैकफुट पर धकेला हो, लेकिन अब ये गैंग नई रणनीति के साथ फिर से सक्रिय हो चुके हैं। बदलते तरीके और टेक्नोलॉजी का दुरुपयोग करके ये अब पहले से कहीं ज़्यादा संगठित और सतर्क दिखाई दे रहे हैं।
फर्जी दस्तावेजों से आगे बढ़ा खेल – अब असली दस्तावेज भी ‘रीडिज़ाइन’
पहले जहां सिर्फ फर्जी बैनामा और कूटरचित खतौनी के जरिए ठगी होती थी, अब रजिस्ट्री ऑफिस से मिलीभगत कर असली दस्तावेजों में बदलाव किए जा रहे हैं।
जालसाज अब पुराने मालिक के नाम से असली ज़मीन का विवरण निकालते हैं और फिर अदालती हलफनामे और फर्जी वारिस पत्र के जरिए दस्तावेज़ को वैध दिखाने का खेल करते हैं।
ऑनलाइन पोर्टल भी सुरक्षित नहीं
“भूलेख” पोर्टल पर अब कई ऐसे केस सामने आए हैं जहां खातेदार के नाम में अदला-बदली कर दी गई।
सूत्र बताते हैं कि कुछ कंप्यूटर ऑपरेटर और पटवारी इन गिरोहों से मिले हुए हैं। एक क्लिक में खसरा-खतौनी में फेरबदल कर किसी भी जमीन को ‘बेचने योग्य’ बना दिया जाता है।
‘फर्जी मालिक’ बनकर वीडियो कॉल पर सौदा
अब ज़मीन मालिक खुद सामने नहीं आता। दूसरे जिले या राज्य की महिला या पुरुष को मालिक बताकर वीडियो कॉल पर बात कराई जाती है। उसके बाद एक प्रतिनिधि रजिस्ट्री के दिन ‘पॉवर ऑफ अटॉर्नी’ के जरिए आकर दस्तखत करता है। बाद में पता चलता है कि न वह व्यक्ति असली था और न ही पावर ऑफ अटॉर्नी।
शहर की जगह अब ग्रामीण इलाकों को बना रहे निशाना
शहरों में कड़ा प्रशासनिक पहरा होने के कारण अब भूमाफिया गांवों और कस्बों को निशाना बना रहे हैं, जहां न तो खरीदार पूरी जांच करता है और न ही बिचौलियों पर किसी को शक होता है।
बलरामपुर, श्रावस्ती और बहराइच के सीमावर्ती इलाकों में इस तरह की ठगी तेज़ी से बढ़ी है।
सफेदपोशों की ‘शरणस्थली’ बन रहे गैंग
अब ये गिरोह अकेले नहीं हैं। कई मामलों में राजनीतिक संरक्षण मिलने के संकेत मिले हैं।
कुछ स्थानीय नेताओं और प्रभावशाली लोगों के नाम पुलिस की निगरानी सूची में हैं, जो इन जमीन सौदों में ‘क्लीन चिट’ दिलवाने या पुलिस जांच को कमजोर करने में मदद करते हैं।
पुलिस ने बदले तौर-तरीके, फिर भी गिरोह दो कदम आगे
हालांकि पुलिस अब संपत्ति कुर्की, बैंक खातों की फ्रीजिंग और मोबाइल लोकेशन ट्रैकिंग जैसे तरीके अपना रही है, लेकिन गिरोह भी पहले से ज्यादा सतर्क हो गए हैं।
अब वे नकद लेनदेन पर ज़ोर देते हैं, और SIM कार्ड बदलकर एक से अधिक मोबाइल का इस्तेमाल करते हैं।



