मेडिकल कॉलेज में अतिथि प्रोफेसरों की क्लास से शुरू हुआ नवाचार
गोंडा मेडिकल कॉलेज में कैंसर और स्ट्रोक पर विशेषज्ञों ने दी अपडेटेड जानकारी,
छात्रों व फैकल्टी को मिला नया शैक्षणिक अनुभव
प्रदीप मिश्रा, प्रमुख संवाददाता
Gonda News
गोंडा।
राज्य स्वशासी मेडिकल कॉलेज, गोंडा में चिकित्सा शिक्षा के क्षेत्र में एक नई पहल की शुरुआत करते हुए शनिवार को एक दिवसीय सतत चिकित्सा शिक्षा (CME) कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम का आयोजन प्रतिष्ठित मेडांता हॉस्पिटल, लखनऊ के विशेषज्ञों के सहयोग से किया गया, जिसमें कैंसर और स्ट्रोक जैसे जटिल रोगों पर केंद्रित गहन व्याख्यान प्रस्तुत किए गए।
इस अवसर पर न केवल चिकित्सकों और रेज़िडेंट डॉक्टरों को नई जानकारियां मिलीं, बल्कि यह कार्यक्रम मेडिकल कॉलेज में अतिथि प्रोफेसरों के व्याख्यानों की औपचारिक शुरुआत के रूप में भी महत्वपूर्ण रहा। चिकित्सा शिक्षा में गुणवत्ता वृद्धि की दिशा में इसे एक निर्णायक कदम माना जा रहा है।
प्राचार्य ने किया शुभारंभ, CME को बताया चिकित्सीय प्रगति का आधार
कार्यक्रम का शुभारंभ कॉलेज के प्राचार्य प्रो. डॉ. धनंजय श्रीकांत कोटास्थाने ने किया। उन्होंने कहा कि मेडिकल कॉलेजों में सतत चिकित्सा शिक्षा (CME) का नियमित आयोजन चिकित्सकों की नैदानिक दक्षता को अद्यतन बनाए रखने का एक सशक्त माध्यम है। उन्होंने अतिथि प्रोफेसरों की शैक्षणिक सहभागिता को ऐतिहासिक कदम बताते हुए इसे मेडिकल कॉलेज के शैक्षणिक विकास की दिशा में मील का पत्थर बताया।
कैंसर उपचार के समग्र दृष्टिकोण पर विशेषज्ञ ने रखे विचार
कार्यक्रम के पहले सत्र में डॉ. अभिषेक सिंह, निदेशक, मेडिकल ऑन्कोलॉजी विभाग, मेडांता हॉस्पिटल, लखनऊ ने “Comprehensive Cancer Care” विषय पर व्याख्यान दिया। उन्होंने बताया कि आधुनिक चिकित्सा में कैंसर का इलाज केवल ट्यूमर हटाने तक सीमित नहीं है, बल्कि इंटीग्रेटेड ट्रीटमेंट की ओर बढ़ते हुए आज इम्यूनोथेरेपी, टार्गेटेड थेरेपी, और पालीएटिव केयर को भी विशेष महत्व दिया जा रहा है।
डॉ. सिंह ने कैंसर रोगियों की मनोवैज्ञानिक, सामाजिक व शारीरिक जरूरतों पर भी ध्यान देने की आवश्यकता पर बल दिया और भारत में उपलब्ध नवीनतम तकनीकों की जानकारी साझा की।
स्ट्रोक की आपात स्थिति में थ्रॉम्बोलाइसिस को बताया कारगर
कार्यक्रम के दूसरे सत्र में डॉ. अंकित सिंह, कंसल्टेंट, न्यूरोलॉजी विभाग, मेडांता हॉस्पिटल, लखनऊ ने “Thrombolysis in Stroke” विषय पर व्याख्यान देते हुए बताया कि स्ट्रोक की स्थिति में हर मिनट कीमती होता है। उन्होंने थ्रॉम्बोलाइसिस प्रक्रिया को समझाते हुए बताया कि यदि तीन से साढ़े चार घंटे के भीतर इसका इस्तेमाल किया जाए तो रोगी के जीवन की गुणवत्ता को काफी हद तक संरक्षित किया जा सकता है।
डॉ. सिंह ने कहा कि “Time is Brain”—यह मंत्र स्ट्रोक के उपचार में अत्यंत प्रासंगिक है। उन्होंने उपचार की नवीनतम गाइडलाइंस और व्यवहारिक उदाहरणों के माध्यम से प्रतिभागियों को प्रशिक्षित किया।
फैकल्टी और रेज़िडेंट डॉक्टरों ने की सक्रिय भागीदारी
कार्यक्रम में कॉलेज के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक, चिकित्सा अधीक्षक, विभिन्न विभागों के वरिष्ठ विशेषज्ञ डॉक्टर, फैकल्टी सदस्य, सीनियर व जूनियर रेज़िडेंट्स समेत बड़ी संख्या में प्रतिभागियों ने भाग लिया। प्रतिभागियों ने व्याख्यानों को अत्यंत ज्ञानवर्धक व प्रेरणादायक बताया।
कई चिकित्सकों ने कहा कि वे इन जानकारियों को अपने रोगियों के उपचार में त्वरित और प्रभावी तरीके से लागू करेंगे। CME के माध्यम से चिकित्सा क्षेत्र में अद्यतन ज्ञान का प्रसार हुआ और प्रतिभागियों को शोधपरक सोच को बढ़ावा मिला।
नियमित CME की बनी रूपरेखा, वक्ताओं को मिला सम्मान
कार्यक्रम का समन्वय डॉ. डी. एन. सिंह, सहायक प्राध्यापक एवं प्रभारी, सर्जरी विभाग ने किया। उन्होंने धन्यवाद ज्ञापन करते हुए कहा कि इस प्रकार के शैक्षणिक कार्यक्रम मेडिकल कॉलेज के लिए दिशा-निर्धारक सिद्ध होंगे।
प्राचार्य प्रो. डॉ. कोटास्थाने ने दोनों विशेषज्ञ अतिथियों को स्मृति चिह्न भेंट कर सम्मानित किया और घोषणा की कि मेडिकल कॉलेज में ऐसे CME कार्यक्रम नियमित अंतराल पर आयोजित किए जाएंगे। उन्होंने कहा,
“हमारा उद्देश्य है कि गोंडा मेडिकल कॉलेज केवल सेवा ही नहीं, बल्कि श्रेष्ठ चिकित्सा शिक्षा का केंद्र भी बने।”- – प्रो डॉ धनंजय श्रीकांत कोटास्थाने
गोंडा के मेडिकल कॉलेज में अतिथि प्रोफेसरों के शैक्षणिक योगदान की यह शुरुआत न केवल मेडिकल छात्रों और फैकल्टी के लिए नए अवसरों का द्वार खोलेगी, बल्कि यह नवाचार मेडिकल शिक्षा की गुणवत्ता को भी नई ऊंचाइयों तक ले जाएगा। कैंसर और स्ट्रोक जैसे जटिल विषयों पर विशेषज्ञों की जानकारी ने प्रतिभागियों को नया दृष्टिकोण दिया और गोंडा के चिकित्सा क्षेत्र को एक सशक्त बौद्धिक आधार प्रदान किया।



