मनरेगा ने बदली गोंडा के गांवों की तस्वीर
तालाबों से जल संरक्षण और रोजगार की नई कहानी, नेहा शर्मा की अगुवाई में मॉडल बना गोंडा
प्रदीप मिश्रा, प्रमुख संवाददाता
Gonda News
गोंडा:
उत्तर प्रदेश के गोंडा ज़िले में मनरेगा के तहत चल रहा तालाब निर्माण अभियान ग्रामीण विकास की नई मिसाल बन गया है। कभी जो सूखी ज़मीन थी, अब वहां पानी लहराने लगा है। कभी जो हाथ खाली थे, अब वही आत्मनिर्भरता की मिसाल बन रहे हैं। जिलाधिकारी नेहा शर्मा के कुशल नेतृत्व और प्रशासनिक पारदर्शिता के चलते यह अभियान अब पूरे प्रदेश के लिए मॉडल बन गया है।
गोंडा के 16 विकासखंडों में 105 तालाबों का निर्माण प्रारंभ हुआ है, जिनमें 59 तालाब पूरे हो चुके हैं और 46 पर काम जारी है। यह अभियान सिर्फ जल संरक्षण का प्रयास नहीं, बल्कि रोजगार, आत्मनिर्भरता और सामुदायिक सहभागिता का संगम बन चुका है।
मनकापुर के गढ़ी, करनैलगंज के दिनारी, छपिया के चंदीरत्ती व सिसैहनी, बभनजोत के कस्बा खास, और रुपईडीहा के अनैगी जैसी पंचायतों ने तेजी से तालाब निर्माण कर योजना को जमीनी हकीकत में बदला है। हर पंचायत की सक्रिय भागीदारी इस अभियान की सबसे बड़ी ताकत है, जिससे यह कार्य सरकारी योजना न रहकर जनांदोलन बन गया है।
डीएम नेहा शर्मा की निगरानी में जियो टैगिंग, फोटोग्राफिक दस्तावेज़ीकरण और सूचना बोर्डों के ज़रिए कार्यों में पूरी पारदर्शिता बरती जा रही है। पंचायत सचिव, ग्राम प्रधान और रोजगार सेवकों के तालमेल से ज़िले भर में सकारात्मक माहौल तैयार हुआ है।
पंडरी कृपाल ब्लॉक ने इस कार्य में अग्रणी भूमिका निभाई है। यहां 27 तालाबों में से 9 पूरे हो चुके हैं, जबकि 18 निर्माणाधीन हैं। अन्य ब्लॉकों की पंचायतें भी तेजी से कार्यों को गति दे रही हैं।
उपायुक्त श्रम रोजगार जनार्दन प्रसाद ने कहा कि मनरेगा को केवल रोज़गार का जरिया नहीं, बल्कि गांवों के लिए दीर्घकालिक संसाधन सृजन का माध्यम बनाया है। तालाबों से न सिर्फ जल संरक्षण होगा, बल्कि मत्स्य पालन और कृषि जैसे क्षेत्रों में आजीविका के नए रास्त खुलेंगे।
अभियान में महिलाओं की भी सक्रिय भागीदारी दिख रही है। गांवों में रहकर ही काम पाने और गांव के लिए कुछ स्थायी बनाने का संतोष ग्रामीणों के आत्मविश्वास को बढ़ा रहा है। मजदूरी के साथ सम्मान और संतुष्टि इस योजना को और सार्थक बना रहे हैं।
डीएम नेहा शर्मा कहती हैं, “यह योजना सिर्फ तालाबों की नहीं, बल्कि गांवों में भरोसे, भागीदारी और भविष्य निर्माण की नींव है। गोंडा की हर पंचायत अब खुद को विकास की धुरी मान रही है, और यही हमारी सबसे बड़ी उपलब्धि है।”
तालाब पुनरुद्धार अभियान न केवल ज़मीनी बदलाव की कहानी गढ़ रहा है, बल्कि पूरे प्रदेश के लिए एक प्रेरक उदाहरण बनने की ओर अग्रसर है।



