डीएम नेहा शर्मा के गोंडा में दो साल हैं बेमिसाल, जनता के बीच हैं डीएम के कार्यों की गूँज,
गोंडा में जनसंवाद, नवाचार और सुशासन की मिसाल बनी प्रशासनिक कार्यशैली
महिलाओं, बच्चों, युवतियों के लिए बनी हुई हैं प्रेरणा, सभी के लिए रियल हीरो सरीखा है डीएम का कद
प्रदीप मिश्रा, प्रमुख संवाददाता
Gonda News
गोंडा, 13 जून।
गोंडा जिले में प्रशासनिक व्यवस्था की तस्वीर दो वर्षों में जिस तेजी और गहराई से बदली है, वह पूरे प्रदेश के लिए एक प्रेरक मॉडल बन चुकी है। 12 जून 2023 को जिलाधिकारी पद की कमान संभालने वाली नेहा शर्मा ने जनसुनवाई को औपचारिकता से निकाल कर संवाद, नवाचार और संवेदना का सशक्त माध्यम बना दिया। उनके नेतृत्व में जिला प्रशासन ने न सिर्फ आमजन का भरोसा जीता, बल्कि योजनाओं को ज़मीन पर उतारकर विकास को जनांदोलन में बदलने का काम किया।
जनसंवाद को दी नई पहचान, चौपालों से बदली व्यवस्था
जिलाधिकारी नेहा शर्मा ने पदभार ग्रहण करते ही जनसुनवाई को पारंपरिक पद्धति से आगे ले जाकर तकनीक और त्वरित क्रियान्वयन से जोड़ा।
- जनता दर्शन को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से जोड़ा गया, जिससे दूरदराज़ से आने वाले लोगों की समस्याओं का डिजिटल समाधान संभव हो सका।
- मोबाइल व व्हाट्सएप के ज़रिए प्राप्त होने वाली शिकायतों को भी गंभीरता से लेकर तत्काल कार्रवाई करवाई गई, जिससे आम नागरिकों में विश्वास की भावना मजबूत हुई।
- ग्राम चौपाल को नया स्वरूप दिया गया, जिसमें प्रशासनिक टीम गांव में जाकर मौके पर ही शिकायतों का निस्तारण कर रही है।
- यह प्रक्रिया अब चौपाल 3.0 तक पहुंच चुकी है, जिसमें IGRS पोर्टल पर सबसे अधिक शिकायत करने वाले 40 गांवों में विशेष शिविर लगाकर समाधान सुनिश्चित किए जा रहे हैं।
शहरी क्षेत्रों के लिए ‘नागरिक संगम’ बना जनसंवाद का मॉडल
जहां ग्रामीण चौपालें एक स्थापित परंपरा थीं, वहीं शहरी क्षेत्रों में संवाद की कमी को दूर करने के लिए डीएम ने नगर चौपाल (2023) और नागरिक संगम (2024) जैसे अभिनव कार्यक्रम शुरू किए।
- वार्ड-वार्ड जाकर समस्याएं सुनने और तत्काल संबंधित अधिकारियों को निर्देश देने की यह पहल पहली बार किसी जिलाधिकारी द्वारा की गई।
- इससे शहरी जनता का भी प्रशासन पर विश्वास और जुड़ाव और अधिक गहरा हुआ।
स्वच्छता अभियान बना जनांदोलन, दीवारें बनीं प्रेरणा की दीवार
2023 के अगस्त में शुरू हुआ विशेष स्वच्छता अभियान अब केवल एक सरकारी मुहिम नहीं, बल्कि एक जन-चेतना आंदोलन का स्वरूप ले चुका है।
- सार्वजनिक स्थलों की दीवारों को मिशन शक्ति वॉल, एसडीजी वॉल, और स्वीप वॉल में बदला गया, जो अब स्वच्छता, महिला सशक्तिकरण और लोकतांत्रिक सहभागिता का प्रतीक बन चुकी हैं।
- आम नागरिकों और स्कूली बच्चों को इस पहल में शामिल कर स्वच्छता को सम्मान और प्रेरणा का विषय बना दिया गया।
गोंडा बना नवाचारों की धरती, योजनाएं नहीं रहीं कागजों तक सीमित
नेहा शर्मा के कार्यकाल में गोंडा नवाचारों की प्रयोगशाला बनकर उभरा है।
- मिशन शक्ति कैफे और अरगा ब्रांड के माध्यम से महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने की ठोस पहल की गई।
- शक्ति सारथी योजना के तहत 1000 से अधिक ऑटो चालकों को महिला सुरक्षा के प्रति जागरूक कर विशेष प्रशिक्षण दिया गया।
- वनटांगिया दीपोत्सव व प्रोजेक्ट वनटांगिया जैसे अभिनव प्रयासों के ज़रिए लंबे समय से उपेक्षित वनटांगिया समुदाय को मुख्यधारा से जोड़ा गया।
प्रशासनिक सुधारों में दिखी संवेदना और सकारात्मक दृष्टिकोण
डीएम ने मानव संसाधन को शक्ति मानते हुए दंड की बजाय सुधार को प्राथमिकता दी।
- वर्षों से लंबित प्रमोशन प्रक्रिया को तेज़ कर कर्मचारियों में उत्साह और विश्वास बहाल किया गया।
- महिला व युवा अफसरों की भूमिका को सशक्त करते हुए प्रशासनिक कार्यसंस्कृति में नई ऊर्जा और समावेशिता लाई गई।
गोंडा बना भरोसे और बदलाव का प्रतीक
नेहा शर्मा का प्रशासनिक नेतृत्व यह दिखाता है कि जब संवेदनशीलता, संकल्प और सिस्टम एक साथ चलते हैं, तो बदलाव न केवल संभव होता है बल्कि स्थायी और अनुकरणीय बन जाता है। आज जनता का बहुत बड़ा वर्ग उन्हें ही जिले के डीएम के रूप में वर्षों बरस तक देखते रहना चाहता है।
आज गोंडा में
- दीवारें जागरूकता की कहानी कहती हैं,
- चौपालें भरोसे की मिसाल बनी हैं,
- और प्रशासन जनता के साथ कदमताल करता दिख रहा है।



