प्रदीप मिश्रा,वरिष्ठ संवाददाता
बार बार हाेरहा गांव आंवटन में बदलाव, जारी होता है नया रोस्टर
ऐसे में विकास कराने की बात तो दूर खुद को जमाने में ही सचिवों को छूटे पसीने
गोण्डा, संवाददाता। पंचायत सचिव गांवों का विकास क्या करा पाएंगे कि जब उनके पांव ही गांव में जमने नहीं पा रहे हैं। ट्रांसफर सीजन के दौरान 70 पंचायत सचिवों को इधर से उधर किया गया। एक ब्लॉक से दूसरे ब्लॉक में तैनाती मिली। तबादले के साथ ही उनके जाने भले पुराने गांव बदल गए। ऐसे में नए गांव के साथ विकास की नई तस्वीर खींचने की नौबत भी दोबारा से नहीं आ रही है। आए दिन ब्लॉकों में उनके गांव का आवंटन वाला रोस्टर बदल दिया जा रहा है।
जिले में गांवों के विकास को लेकर विभिन्न महत्वपूर्ण योजनाएं संचालित है जिसमें से स्कूलों, पंचायत भवन समेत गांव में आधारभूत संसाधनों के विकास के लिए काम किया जाना है। इसकी मानीटरिंग शासन स्तर से की जा रही है। ऑनलाइन डाटाबेस पर ग्राम्य विकास विभाग के अलावा पंचायती राज विभाग और फिर शासन अपनी निगरानी करते हुए टिप्पणियां कर रहा है। ठीक इसी तर्ज पर डीएम व सीडीओ स्तर से निगरानी बढ़ाई गई है। गांव का विकास कराते हुए उसकी ऑनलाइन र्फींडग कराने की जिम्मेदारी पंचायत सचिवों को दी गई है। स्कूल के कायाकल्प की योजना को जमीन पर उतारने के कार्यों के अलावा पंचायत भवन और उसके संसाधनों के लिए जरूरी मेहनत सचिव अभी नहीं कर पा रहे हैं।
पांव जमाने में ही छूट रहे पंचायत सचिवों को पसीने : पांच जमाने में ही पंचायत सचिवों को पसीने छूट जा रहे हैं। निलम्बन व बीमारी के कारण दूसरे सचिवों को आवंटित गांव हाशिए पर चले जा रहे हैं। पंचायत सचिव पहले अपने मूल तैनाती वाले गांवों के सुधार की योजनाओं को बनाने में लगते हैं ताकि उन्हें कोई परेशानी न उठानी पड़े। प्रभार मिले गांव को हाशिएपर डाल दिया जा रहा है।
महीने भर में तीन बार हुआ रोस्टर में बदलाव : ब्लॉक स्तर से जारी किए जा रहे गांवों के रोस्टर में तीन बार बदलाव करने के मामले भी सामने आए हैं। बभनजोत ब्लॉक का रोस्टर दो बार बदल चुका है सचिव बताते हैं कि अभी दोबारा बदलाव होने की आशंका जताई जा रही है। जल्द ही नए सिरे से रोस्टर जारी हो सकता है। ऐसे में वे सभी अपने नए गांव के लिए तैयारी करके बैठे हैं मौजूदा गांव पर काम करके वे क्या करें।
कोट
किसी सचिव के बीमार होने अथवा किसी केनिलम्बन होने की दशा में ही गांवों के रोस्टर में मामूली फेरबदल हो रहे हैं। ये अपरिहार्य कारणों से हो रहे हैं। सामान्य तौर पर गांव को बदलने पर रोक है। पंचायत सचिवों को पूर्वाग्रह से ग्रस्त न होकर सही से से विकास कराने की राह अपनानी होगी।
लालजी दूबे, जिला पंचायत राज अधिकारी



