भारत बंद के समर्थन में केंद्रीय ट्रेड यूनियनों का प्रदर्शन, श्रमिक हितों की 17 सूत्री मांगों को लेकर सौंपा ज्ञापन
प्रदीप मिश्रा, प्रमुख संवाददाता
Gonda News
गोण्डा, संवाददाता।
केंद्रीय ट्रेड यूनियनों के आवाहन पर बुधवार 9 जुलाई 2025 को गोण्डा कलेक्ट्रेट स्थित टीनशेड परिसर में भारत बंद के समर्थन में जोरदार धरना प्रदर्शन किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता संयुक्त रूप से कामरेड सुनील कुमार सिंह, कामरेड जमाल ख़ान, कामरेड ममता तिवारी एवं कामरेड कुसुम तिवारी ने की, जबकि संचालन की जिम्मेदारी कामरेड अमित कुमार शुक्ल ने निभाई।
धरने में सैकड़ों की संख्या में विभिन्न संगठनों से जुड़े मजदूर, कर्मचारी, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, सहायिकाएं, रसोइया, स्कीम वर्कर्स, छात्र एवं युवा शामिल हुए। धरना प्रदर्शन के माध्यम से केंद्र सरकार की नीतियों का विरोध करते हुए श्रमिकों के शोषण और असुरक्षित रोजगार के मुद्दे को प्रमुखता से उठाया गया।
सभा को संबोधित करते हुए एटक उत्तर प्रदेश के सदस्य व पूर्वांचल चीनी मिल मजदूर यूनियन के नेता कामरेड ईश्वर शरण शुक्ल ने कहा कि प्रदेश भर में चीनी मिलों सहित विभिन्न उद्योगों में मजदूरों का उत्पीड़न बढ़ता जा रहा है। स्थानांतरण की नीति के नाम पर कर्मचारियों का मनमाना तबादला किया जा रहा है, जिसे तत्काल रोका जाना चाहिए।
कामरेड कौशलेंद्र पांडे ने हड़ताल की आवश्यकता और उसके प्रभाव को रेखांकित करते हुए कहा कि केंद्र सरकार श्रमिक विरोधी चार श्रम संहिताओं को थोपने का प्रयास कर रही है, जिसे मजदूर समाज कतई स्वीकार नहीं करेगा।
कार्यक्रम के दौरान सरकार को संबोधित 17 सूत्रीय मांग पत्र जिला अधिकारी के माध्यम से प्रधानमंत्री को प्रेषित किया गया। प्रमुख मांगों में चारों लेबर कोड को तत्काल वापस लेने, सभी श्रमिकों को ₹26000 प्रतिमाह न्यूनतम वेतन, ₹9000 पेंशन, पुरानी पेंशन योजना की बहाली, ठेका प्रथा समाप्त करने तथा स्कीम वर्कर्स को स्थायी सरकारी कर्मचारी का दर्जा दिए जाने की मांग शामिल रही।
धरने को कामरेड सत्य नारायण त्रिपाठी, रानी देवी पाल, रामरंग चौबे, रामकृपाल यादव, राजीव सिंह, आनंद प्रकाश तिवारी, पिन्टू भारती सहित कई नेताओं ने संबोधित किया। उन्होंने सरकार पर आउटसोर्सिंग और फाउल सोर्सिंग के माध्यम से युवाओं का शोषण करने का आरोप लगाया।
इस विरोध कार्यक्रम में आंगनबाड़ी कर्मचारी संघ सहित विभिन्न श्रमिक संगठनों ने भागीदारी कर श्रमिक हितों की आवाज को बुलंद किया। आंदोलनकारियों ने चेतावनी दी कि यदि सरकार उनकी मांगों को नजरअंदाज करती है तो यह आंदोलन और तेज किया जाएगा।



