आधा दर्जन बाल विकास परियोजनाओं पर फेरबदल अतिरिक्त जिम्मेदारी,
कार्यक्षमता के आधार पर तीन मुख्य सेविकाएं बनीं प्रभारी सीडीपीओ
प्रदीप मिश्रा, प्रमुख संवाददाता
Gonda News
गोण्डा। जिले में बाल विकास विभाग के प्रशासनिक संचालन को अधिक प्रभावी और सुचारु बनाने के उद्देश्य से कार्य विभाजन में आंशिक संशोधन करते हुए छह अधिकारियों को अतिरिक्त प्रभार सौंपा गया है। जिला कार्यक्रम अधिकारी कार्यालय की ओर से जारी आदेश तत्काल प्रभाव से लागू कर दिया गया है।
इस बदलाव के तहत अब तक चार-चार परियोजनाओं की जिम्मेदारी संभाल रहे सीडीपीओ अभिषेक दुबे और दुर्गेश कुमार गुप्ता का कार्यभार कम कर दिया गया है। दोनों अधिकारियों को दो-दो परियोजनाओं का ही प्रभार सौंपा गया है। यह निर्णय कार्यभार संतुलन और प्रशासनिक दक्षता के मद्देनजर लिया गया है।
वहीं, कार्यकुशलता के आधार पर तीन मुख्य सेविका साधना साहू, निशी द्विवेदी और इंद्रावती वर्मा को प्रभारी सीडीपीओ नियुक्त किया गया है। इन अधिकारियों को उनके मूल पद के साथ-साथ बाल विकास परियोजनाओं का अतिरिक्त प्रभार सौंपा गया है।सीडीपीओ दुर्गेश कुमार गुप्ता रूपईडीह के अलावा वजीरगंज परियोजना का अतिरिक्त प्रभार देखते रहेंगे
। सीडीपीओ अभिषेक दुबे पण्डरी कृपाल के अलावा मुजेहना परियोजना को अतिरिक्त तौर पर देखते रहेंगे। वर्तमान में नबाबगंज की सीडीपीओ रमा सिंह को अब बेलसर परियोजना की अतिरिक्त जिम्मेदारी दी गई है।
मुख्य सेविका साधना साहू को परसपुर परियोजना का प्रभारी सीडीपीओ बनाया गया है।
मुख्य सेविका निशी द्विवेदी को मनकापुर परियोजना की जिम्मेदारी दी गई है।
मुख्य सेविका इंद्रावती वर्मा अब बभनजोत परियोजना की प्रभारी सीडीपीओ बनी है।
जिला कार्यक्रम अधिकारी मनोज कुमार मौर्य ने सभी अधिकारियों को निर्देशित किया है कि वे अपने-अपने क्षेत्रों में रोस्टर बनाकर नियमित उपस्थिति रहें।
प्रशासनिक सुदृढ़ीकरण की दिशा में बड़ा कदम: डीपीओ
जिला कार्यक्रम अधिकारी मनोज कुमार मौर्य ने बताया कि यह बदलाव विभागीय समन्वय, कार्यदक्षता और जवाबदेही को सुदृढ़ करने के उद्देश्य से किया गया है। उन्होंने सभी अधिकारियों को निर्देशित किया है कि वे अपने-अपने कार्यक्षेत्र में उपस्थिति रोस्टर तैयार कर नियमित निरीक्षण सुनिश्चित करें तथा विभागीय योजनाओं और सेवाओं को प्रभावी रूप से क्रियान्वित करें।
डीपीओ श्रीमौर्य ने कहा, “नवीन कार्य विभाजन से न केवल प्रशासनिक भार का समुचित वितरण होगा, बल्कि सेवा प्रदायगी में भी गति आएगी। यह बदलाव जमीनी स्तर पर बाल विकास कार्यक्रमों की गुणवत्ता को बेहतर करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।”



