नदियों का जल मूल प्राकृतिक संसाधन है :- घनश्याम जायसवाल
टेढ़ी नदी पर चलाया गया स्वच्छता अभियान निकल गया जलकुंभी
प्रदीप मिश्रा, प्रमुख संवाददाता
Gonda News
तरबगंज गोंडा ।
नदियों को स्वच्छ बनाने के लिये सरकार द्वारा भले ही कितने ही कदम उठाए जाएँ, लेकिन अगर हम जागरुक नहीं होंगे और अपने स्तर पर उन्हें स्वच्छ रखने में कोई पहल नहीं करेंगे तब तक नदियाँ कभी भी पूरी तरह से स्वच्छ नहीं हो पाएँगी। उक्त सुविचार नगर पंचायत तरबगंज ब्रांड एंबेसडर स्वच्छ भारत मिशन घनश्याम जायसवाल ने टेढ़ी नदी की सफाई करने के उपरांत लोगों को जागरुक करते हुए कही।
शुक्रवार को नगर पंचायत तरबगंज के सिद्ध पीठ परमहंस शिव मंदिर के निकट टेढ़ी नदी के घाटों की ब्रांड एंबेसडर एवं कर्मचारियों के साथ मिलकर व्यापक स्वच्छता अभियान चलाया गया।
नगर पंचायत तरबगंज ब्रांड एम्बेसेडर स्वच्छ भारत मिशन घनश्याम जायसवाल नदियों होने वाले लाभ पर प्रकाश डालते हुए बताया कि नदियाँ सकारात्मकता में वृद्धि करती हैं, हमारे ऋषि-मुनि नदियों के किनारे एकांत में बैठकर सालों तक तपस्या करते थे। आज भी हम कई उत्सव और त्यौहार अपने विशाल हृदय में सबको समेटने वाली, सभी को अपनी धन-संपदा का समान रूप से वितरण करने वाली जीवनदायिनी नदियों के साथ मनाते हैं। हिन्दू धर्म में तो मनुष्य के जीवन की अंतिम यात्रा भी इनकी गोद में खत्म होती है। संपूर्ण मानव इतिहास में शुरू से ही नदियों का अत्यधिक महत्त्व रहा है। नदियों का जल मूल प्राकृतिक संसाधन है और कई मानवीय क्रियाकलापों के लिये बेहद ज़रूरी है। भारत जैसे देश में जहाँ की अधिकांश जनसंख्या जीविका के लिये कृषि पर निर्भर है, वहां सिंचाई, नौसंचालन और जलविद्युत निर्माण के लिये नदियों को संरक्षित रखना हम सबका कर्त्तव्य है। नदियों को स्वच्छ बनाने के लिये सरकार द्वारा भले ही कितने ही कदम उठाए जाएँ, लेकिन अगर हम जागरुक नहीं होंगे और अपने स्तर पर उन्हें स्वच्छ रखने में कोई पहल नहीं करेंगे तब तक नदियाँ कभी भी पूरी तरह से स्वच्छ नहीं हो पाएँगी। अगर ऐसे ही हम भौतिक संपदा की अंधी दौड़ में मुफ़्त में मिले इस बहुमूल्य खजाने का अंधाधुंध दोहन करते रहेंगे तो धीरे-धीरे हमारी नदियाँ मर जाएँगी, जिसके बाद पृथ्वी पर जीवित सभी प्राणियों को अपने जीवन का निर्वाह करना मुश्किल हो जाएगा।



