प्रदीप मिश्रा,वरिष्ठ संवाददाता 

 

समूह दे रहे नौनिहालों के राशन वितरण में दखल

परिवहन व हैण्डलिंग के बजाय कार्यकत्रियों के वितरण में बना रहे दबाव

डीएम के सामने पेश हो चुका है ऐसा मामला

 

गोण्डा, संवाददाता। रुपईडीह ब्लॉक के मंगलनगर द्वितीय आंगनबाड़ी केन्द्र के राशन वितरण में वहां पर कार्यरत महिला समूह ने दखल दे रखा है। महिला समूह ने राशन वितरण नहीं करने का दबाव कार्यकत्री पर बनाया है। समूह की ओर से कार्यकत्री से कहा जा रहा है कि हर महीने राशन वितरण करने के बजाय तीन महीने में एक बार राशन का वितरण किया जाए। अब पूरा मामला उच्चाधिकारियों के समक्ष पहुंचा है। सीडीपीओ दुर्गेश गुप्ता ने पुष्टि करते हुए कहा कि शिकायत मिली है, इसकी जानकारी डीपीओ कार्यालय भी दी जा चुकी है। मुख्यसेविका सुमिता वर्मा ने बताया कि राशन वितरण से बचे हुए राशन को समूह दोबारा से उठा ले गया था।

कई महीने से प्रकरण चल रहा है। बीडीओ समेत उच्चाधिकारियों को अवगत करा दिया गया है। कार्यकत्री कंचन विश्वकर्मा और प्रधान की ओर से शिकायतें मिली हैं जिसे डीएम के समक्ष रखा जाएगा।
महिला समूहों को रोजगार दिलाने की शासन मुहिम के तहत आंगनबाड़ी केन्द्रों पर पंजीकृत लाभार्थियों में बंटने वाले राशन के परिवहन हैण्डलिंग का कार्य समूहों को सौंपा गया था। मगर जब यही समूह राशन वितरण में दखल देने लगे तो इससे जुड़ी शिकायतें उच्चाधिकारियों के पास आईं।

समूहों को एनआरएलम की ओर से प्रशिक्षित कर ज्ञान भी दिया गया मगर इसके बावजूद भी उनका वितरण में दखल कम नहीं हुआ है। तरबगंज तहसील के आंगनबाड़ी केन्द्र सिसवा के ग्रामीणों ने डीएम नेहा शर्मा के समक्ष मामला रखा कि उनके यहां राशन वितरण नहीं हो रहा। जब डीएम ने डीपीओ को इसकी जांच सौंपी तो एक बार फिर समूहों के दखल का मामला सामने आया है। राशन वितरण में समूह दखल देता मिला है। डीपीओ मनोज कुमार मौर्या ने इसकी लिखित रिपोर्ट भी डीएम को सौंपी है।
शुरू से ही समूह और आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं मे ठनी हुई है रार : महिला स्वयं सहायता समूह अपने गठन के बाद से ही आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं से उलझती दिखी है। कई बार बाल विकास विभाग और समूहों के गठन देखरेख और संचालन के विभाग एनआरएलएम के अफसरों को बीच बराव तक कराना पड़ गया था।

समूह महिलाओं के मगर उसे चला रहे पति व प्रतिनिधि : महिलाओं को रोजगार से सीधा जोड़कर उनके पैरों पर खड़ा करने की मुहिम क्या रंग ला पाएगी की जब इन समूहों के देखरेख और संचालन का काम पति और प्रतिनिधि चला रहे हैं। हालाकि बड़ी संख्या ऐसे समूहों की है जिन्हें संचालित करने मे महिलाएं आगे आई हैं। फिर भी कुछ समूह पुरुषों के हवाले हैं, बवाल की नौबत इन्हीं समूहों से सामने आ रही है।

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