उत्तर प्रदेश क्षय रोग उन्मूलन में बना रहा है कीर्तिमान, इलाज में 94% तक पहुंची सफलता दर
देवीपाटन मंडल, गोंडा | 

उत्तर प्रदेश क्षय रोग उन्मूलन की दिशा में निरंतर प्रगति करते हुए देश के अन्य राज्यों के लिए एक मिसाल बनता जा रहा है। प्रदेश सरकार द्वारा राष्ट्रीय क्षय रोग उन्मूलन कार्यक्रम (एनटीईपी) के तहत कई प्रभावी कदम उठाए गए हैं, जिससे न केवल टीबी मरीजों की पहचान और इलाज में तेजी आई है, बल्कि इलाज की सफलता दर भी वर्ष 2017 के 29 प्रतिशत से बढ़कर 2024 में 94 प्रतिशत तक पहुँच गई है।

प्रदेश में अब तक 926 नैट मशीनों और 14 कल्चर डीएसटी प्रयोगशालाओं के माध्यम से क्षय रोग की आधुनिक और मुफ्त जांच सुविधा उपलब्ध कराई जा रही है। साथ ही 25 नोडल और 56 जनपदीय ड्रग रेजिस्टेंट टीबी केंद्रों के माध्यम से दवा प्रतिरोधी टीबी के मुफ्त इलाज की व्यवस्था की गई है। जटिल मामलों में मरीजों को बीडाक्यूलीन एवं डिलामिनिड आधारित उपचार भी उपलब्ध कराया जा रहा है।

सक्रिय खोज और प्रभावी इलाज की नीति

वर्ष 2024 में सक्रिय केस खोज अभियान के तहत 15,321 टीबी मामलों की पहचान कर उनका इलाज शुरू किया गया, जबकि 2.45 करोड़ लोगों की स्क्रीनिंग के माध्यम से 90,000 नए टीबी मरीजों की पहचान की गई। इस व्यापक कार्य योजना का परिणाम है कि प्रदेश के 7 जिलों को कांस्य पदक और 4 जिलों को रजत पदक से भारत सरकार ने सम्मानित किया है।

डिजिटल ट्रैकिंग और पोषण योजना से बढ़ा भरोसा

डिजिटल माध्यम से निक्षय पोर्टल पर अब तक 6.81 लाख मरीज पंजीकृत किए जा चुके हैं, जो निर्धारित लक्ष्य से अधिक है। वहीं प्रधानमंत्री टीबी मुक्त भारत अभियान के तहत 17 फरवरी 2025 तक 3.53 लाख मरीजों को सामाजिक संगठनों और व्यक्तियों द्वारा गोद लिया गया। निक्षय पोषण योजना के अंतर्गत टीबी मरीजों को मिलने वाली वित्तीय सहायता को 500 से बढ़ाकर 1,000 रुपये प्रतिमाह कर दिया गया है। अब तक 28.31 लाख मरीजों को 820.32 करोड़ रुपये का भुगतान किया जा चुका है।

मजबूत समन्वय और तकनीकी प्रशिक्षण

प्रदेश के सभी मेडिकल कॉलेजों में टीबी विशेषज्ञों द्वारा हर माह दो बार वर्चुअल माध्यम से ‘डिफिकल्ट टू ट्रीट टीबी क्लिनिक’ आयोजित किए जा रहे हैं, जिससे जटिल मामलों में समय रहते समाधान मिल सके। वहीं आगरा स्थित स्टेट टीबी ट्रेनिंग एवं डिमॉन्स्ट्रेशन सेंटर (एसटीडीसी) को उत्कृष्टता केंद्र के रूप में विकसित किया गया है, जहां चिकित्सकों और स्वास्थ्यकर्मियों को नियमित प्रशिक्षण प्रदान किया जा रहा है।

एचआईवी-मधुमेह की जांच से समग्र दृष्टिकोण

प्रदेश में टीबी मरीजों की 99% एचआईवी जांच और 97% मधुमेह जांच सुनिश्चित की गई है, जिससे इलाज को और अधिक प्रभावी बनाया जा रहा है। साथ ही डाक विभाग के सहयोग से टीबी मरीजों के नमूनों को समय पर प्रयोगशालाओं तक पहुंचाने की व्यवस्था भी सुदृढ़ की गई है।

उत्तर प्रदेश की यह बहुआयामी रणनीति राज्य को क्षयरोग मुक्त बनाने की दिशा में मील का पत्थर साबित हो रही है। सरकार, स्वास्थ्य विभाग और समाज के सहयोग से यह अभियान न केवल सफल हो रहा है, बल्कि इससे लाखों जिंदगियों में आशा की नई किरण जगी है।

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