डाला छठ पर्व पर व्रती महिलाओं ने दिया अस्ताचल गामी सूर्य देव का अर्ध्य
छठ पूजा 2024: आस्था, सामूहिक एकता और सूर्योपासना के अद्वितीय पर्व का महात्म्य

बिहार, झारखंड, पूर्वी उत्तर प्रदेश और देश के विभिन्न हिस्सों में मनाए जाने वाले महापर्व छठ पूजा का आयोजन भक्ति और श्रद्धा का प्रतीक है। गुरुवार की शाम को खैरा भवानी मंदिर के सरोवर में व्रती महिलाओं ने परंपरागत रीति से अस्ताचल सूर्य को अर्ध्य दिया और शुक्रवार की सुबह उगते सूर्यदेव का पूजन कर यह पर्व संपन्न होगा। जिलाधिकारी नेहा शर्मा ने इस बार छठ पूजा के लिए घाट के सौन्दर्यीकरण की समीक्षा की थी, तैयारियों के दृष्टिगत उन्होंने खुद घाट का जायजा लिया था, जिलाधिकारी ने इस बार सुरक्षा के भी कड़े इंतजाम किए हैं। जिसका नज़ारा गुरुवार शाम को साफ दिखा।

छठ पूजा की विशेषता यह है कि यह एकमात्र ऐसा पर्व है जिसमें सूर्य देव, जो जीवन और ऊर्जा के कारक हैं, को नमन किया जाता है। यह पर्व न सिर्फ धार्मिक आस्था से जुड़ा है, बल्कि सामाजिक सौहार्द और समरसता की मिसाल भी पेश करता है।

छठ पूजा की विशेषताएं

1. सूर्य देव और छठ मैया की उपासना: छठ पर्व में सूर्य देवता को अर्घ्य अर्पित कर उन्हें जल, फल, और पकवानों के माध्यम से धन्यवाद ज्ञापित किया जाता है। यह पूजा उगते सूर्य के साथ-साथ डूबते सूर्य की भी की जाती है, जिससे यह संदेश मिलता है कि जीवन में चाहे जितनी भी कठिनाइयाँ आएं, हर एक अंधकार के बाद एक नया सवेरा होता है।

2. सामाजिक समरसता और समानता का पर्व: इस पर्व में जाति, वर्ग, और आर्थिक स्थिति से परे सभी लोग एकसाथ घाट पर एकत्रित होते हैं। व्रतधारियों (व्रतियों) की सेवा, उनका सम्मान और छठ मैया के गीतों का सामूहिक गायन एक ऐसा वातावरण बनाता है जिसमें कोई भेदभाव नहीं होता। प्रसाद के रूप में बना हुआ ठेकुआ, जो गेहूं के आटे और गुड़ से तैयार होता है, हर एक व्यक्ति श्रद्धा से ग्रहण करता है।

3. सादगी और भक्ति का भाव: छठ पूजा में कोई पुजारी नहीं होता, और न ही किसी विशेष मंदिर की आवश्यकता होती है। यह पूरी तरह से व्रती द्वारा की जाने वाली पूजा है जिसमें वे नदी, तालाब या जलाशय के किनारे खड़े होकर सूर्य को अर्घ्य अर्पित करते हैं। व्रतधारी चार दिन तक कठिन व्रत रखते हैं, जिसमें निर्जला उपवास भी शामिल है। व्रत की कठिनाईयों के बावजूद व्रती के चेहरे पर उत्साह और भक्ति का भाव देखने को मिलता है।

4. परंपरागत लोकगीतों की गूंज: छठ के दौरान गाए जाने वाले लोकगीत, जिनमें छठी मइया की महिमा का वर्णन होता है, घाटों पर वातावरण को भक्तिमय बना देते हैं। ये गीत पीढ़ी दर पीढ़ी सुने जाते हैं और परिवार में बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक सभी को इस महापर्व से जोड़ते हैं।

छठ पूजा का संदेश बेहद स्पष्ट है: “जीवन में संघर्ष और कठिनाइयाँ हों, लेकिन हर डूबने वाले का फिर से उदय होना निश्चित है।” यह पर्व हमें जीवन में निराशा के क्षणों से उबरने की प्रेरणा देता है और यह विश्वास दिलाता है कि अच्छे दिन फिर आएंगे।

सूर्य देवता को जल अर्पित करने का वैज्ञानिक महत्व भी है; इससे जल के कणों का सूर्य की किरणों से संपर्क होता है, जिससे ऊर्जा का आदान-प्रदान होता है और शरीर पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। छठ पूजा की यह प्रक्रिया न सिर्फ श्रद्धा बल्कि स्वास्थ्य और पर्यावरण के प्रति भी जागरूकता फैलाती है।

आधुनिकता के इस युग में भी छठ पूजा की परंपराएं अपनी प्राचीनता और महत्व को बनाए हुए हैं। समाज के हर वर्ग के लोग इस पर्व को समान रूप से मनाते हैं, जिससे यह पर्व एकता और भाईचारे का प्रतीक बनता है।

छठ पर्व का महत्व न सिर्फ धार्मिक दृष्टिकोण से, बल्कि सांस्कृतिक, सामाजिक, और मनोवैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी अति महत्वपूर्ण है। यह पर्व हर किसी को याद दिलाता है कि समाज में सभी का योगदान आवश्यक है और मिल-जुलकर किए गए कार्यों से ही एक सकारात्मक वातावरण का निर्माण होता है। इस प्रकार, छठ पूजा एक ऐसा महापर्व है जो आस्था, प्रेम, समानता, और समर्पण का अद्वितीय उदाहरण है।

 

*छठ पूजा के दृष्टिगत डीएम ने कलेक्ट्रेट परिसर में स्थापित कराया इमरजेंसी ऑपरेशन सेंटर*

छठ पूजा के पावन अवसर पर जनपद के सभी श्रद्धालुओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए जिलाधिकारी श्रीमती नेहा शर्मा ने कलेक्ट्रेट परिसर में इमरजेंसी ऑपरेशन सेन्टर स्थापित कराया है। जनपद में किसी भी प्रकार की आपदा या आपात स्थिति में सहायता प्रदान करने के लिए टीम को तैयार कर दिया गया है। जनपद में किसी भी समस्या की समाधान कराने के लिए हेल्पलाइन नंबर- 05262- 230125, 05262- 358560 पर तत्काल फोन करके सूचना दे सकते हैं।
छठ पूजा त्योहार के दृष्टिगत सभी श्रद्धालुओं से अनुरोध किया गया है कि पूजा के दौरान सभी नियमों का पालन करें, और प्रशासन का सहयोग करें, आपकी सुरक्षा और सुखद छठ पूजा की कामना करते हुए प्रशासन पूरी तरह तैयार है।

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