प्रदीप मिश्रा वरिष्ठ संवाददाता 

गोंडा:आयुष विभाग योग वेलनेस सेंटर गोंडा के तत्वावधान में सखी बाबा आश्रम में त्राटक ध्यान क्रिया योग का अभ्यास करवाया गया। क्षेत्रीय आयुर्वेदिक एवं यूनानी अधिकारी डॉ अरुण कुमार कुरील के निर्देशन में योगाचार्य सुधांशु द्विवेदी और आशीष गुप्ता द्वारा उपस्थित समस्त बाल योगियों को सामुहिक रूप से त्राटक क्रिया का अभ्यास करवाया गया I
इसी क्रम में योगाचार्य सुधांशु द्विवेदी ने कहा की दिव्यदृष्टि बढ़ाने वाली साधनाओं में ‘त्राटक’ प्रमुख है। इसे बिंदुयोग भी कहते हैं। त्राटक क्रिया ध्यान के अभ्यास से समस्त मानसिक रोगों में अनिद्रा में विशेष लाभ होता है। साथ ही साथ अस्त-व्यस्त, इधर-उधर भटकने वाली बाह्य और अंत:दृष्टि को किसी बिंदु विशेष पर, लक्ष्य विशेष पर एकाग्र करने को बिंदु साधना कह सकते हैं। त्राटक का उद्देश्य यही है। त्राटक में बाह्य नेत्रों एवं दीपक जैसे साधनों का उपयोग किया जाता है, इसलिए उसकी गणना स्थूल उपचारों में होती है।
योगाचार्य ने कहा बिंदुयोग में ध्यान धारणा के सहारे किसी एक आकृति पर अथवा प्रकाश ज्योति पर एकाग्रता का अभ्यास किया जाता है। दोनों का उद्देश्य एवं अंतर केवल भौतिक साधनों के प्रयोग करने की आवश्यकता रहने न रहने का है। आरंभिक अभ्यास की दृष्टि से त्राटक को आवश्यक एवं प्रमुख माना गया है।
त्राटक साधना में एकाग्र चित्त होकर निश्चल दृष्टि से सूक्ष्म लक्ष्य को तब तक देखा जाता है, जब तक आंखों में से आंसू न आ जाएं।

कार्यक्रम के अंत में आशीष गुप्ता ने बताया की त्राटक साधना से नेत्र रोग और आलस्य प्रमाद दूर हो जाते हैं। प्राचीन काल में योग साधकों की नेत्रदृष्टि बहुत प्रबल होती थी।त्राटक ध्यान के नियमित अभ्यास से बच्चों की मेधा,प्रज्ञा,एकाग्रता,मेमोरी पावर भी बहुत अच्छी होती है। जो बच्चों की पढ़ाई में बहुत मददगार होती है।
ध्यान शिविर में अनिल भट्ट, आशीष गुप्ता, पार्थ विश्नोई, शिवा, तथागत,शौर्य, लक्ष्य, अक्षिति सिंह, रितिका, सिया, श्रीम, सौम्या, अवंतिका, आज्ञा, प्रज्ञा, अनुभव, दिव्यम, बिट्टू, देवांस, काव्या, ओजस्विन, आदि मौजूद रहे I

By admin

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *