गोंडा के भू-माफिया बृजेश अवस्थी बस्ती जेल में था बंद,
मौत
छाती में दर्द उठा, अस्पताल ले जाने के बाद दम तोड़ा; 43 से ज़्यादा मुक़दमों के चलते दिसंबर 2024 में गोंडा से बस्ती जेल भेजा गया था
प्रदीप मिश्रा, प्रमुख संवाददाता
Gonda News
बस्ती/गोंडा, 25 जून
उत्तर प्रदेश की बस्ती ज़िला जेल में बंद गोंडा के चर्चित भू-माफिया और अधिवक्ता बृजेश अवस्थी (46) की बुधवार सुबह संदिग्ध हालात में मौत हो गई। जेल प्रशासन के मुताबिक अवस्थी को करीब साढ़े छह बजे तेज सीने के दर्द और पसीना आने की शिकायत हुई। आधे घंटे के प्राथमिक उपचार के बाद उन्हें जिला अस्पताल भेजा गया, जहां करीब 10:30 बजे डॉक्टरों ने मृत घोषित कर दिया। प्रारम्भिक कारण हार्ट अटैक बताया गया है; शव को पोस्टमॉर्टम के लिए भेजा गया है।
कैसे पहुँचा था सलाखों के पीछे
अवस्थी को 25 नवंबर 2022 को लखनऊ से गिरफ़्तार किया गया था। उस पर ज़मीन हड़पने, जालसाज़ी, धमकी और हत्या के प्रयास समेत IPC तथा गैंगस्टर एक्ट के तहत 40 से ज़्यादा केस दर्ज हैं। पुलिस की एसओजी व नगर कोतवाली की संयुक्त टीम ने गिरफ्तारी के बाद सीधे गोंडा मंडलीय जेल भेजा था।
2023-24: जमानतें ख़ारिज, ‘बुलडोज़र’ की कार्रवाई
अवस्थी ने कई बार ज़मानत की कोशिश की, मगर इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने याचिकाएँ नामंजूर कर दीं।
सितंबर 2024 में ज़िले की नज़ूल भूमि पर अवैध कब्ज़े पर बने उसके दो-मंज़िला मकान पर प्रशासन ने बुलडोज़र चलाया। उसी कार्रवाई के दौरान करोड़ों की संपत्ति सील और कुर्क की गई।
अलग-अलग जेलों में किया गया था तबादला
जेल के भीतर साथियों के ज़रिये धमकियाँ और फर्जी बैनामे संचालित करने के इनपुट मिलने के बाद प्रशासन ने 15 दिसंबर 2024 को अवस्थी को गोंडा से बस्ती, जबकि गिरोह के दो सहयोगी अनिल सिंह को बहराइच और राकेश त्रिपाठी को बलरामपुर भेज दिया था।
25 जून 2025 की सुबह ली आख़िरी सांस
बस्ती जेल सूत्रों के अनुसार बुधवार सुबह बैरक-4 में बंद अवस्थी को अचानक बेचैनी हुई। सीसीटीवी फुटेज में वह ज़मीन पर लेटकर छाती पकड़ते दिखा। जेल अस्पताल से ज़िला अस्पताल तक पहुँचने में लगभग एक घंटा लगा, जहाँ कार्डियक अरेस्ट से उसकी मौत हुई। प्रशासन ने मजिस्ट्रेटी जांच के आदेश दिए हैं।
लंबा आपराधिक ग्राफ
- 43 से अधिक मुक़दमे—जालसाज़ी, ज़मीन पर कब्ज़ा, गैंगस्टर एक्ट, धोखाधड़ी।
- एक ही साल (2021-22) में 18 केस दर्ज; कुल मुक़दमों की संख्या 45 तक पहुँची।
- कई मामलों में पीड़ितों ने आरोप लगाया कि अधिवक्ता होने का लाभ उठाकर वह क्लाइंट की ज़मीन अपने परिवार के नाम कराता था।
अब आगे क्या
• पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट—स्वतंत्र चिकित्सक की टीम से कराई जाएगी, ताकि मौत की वजह पर संदेह न रहे।
• मजिस्ट्रेटी जांच—जेल में मेडिकल सुविधा, सीसीटीवी और सुरक्षाकर्मियों की भूमिका की समीक्षा की मांग की जा रही है।
• दिवालिया चल रही केस डायरी—जानकार बताते हैं कि अवस्थी के खिलाफ लंबित मामलों में अदालतें मृत्यु प्रमाण की तस्दीक के बाद कार्यवाही बंद कर सकती हैं, मगर सह–आरोपियों पर केस जारी रहेंगे।



