चिलचिलाती धूप, लू और रोग से फसलों को झुलसने से बचाएगी कृषि विभाग की एडवाइजरी
किसानों को दिए गए सुझाव, जारी एडवाइजरी में फसलों और उनकी बेड़न बचाने के टिप्स दिए गए
जिला कृषि अधिकारी जगदीश प्रसाद ने बताई झुलसा रोग से बचाने की दवाई
प्रदीप मिश्रा, प्रमुख संवाददाता
Gonda News ::
वर्तमान समय में धान की नर्सरी का कार्य चल रहा है। इस समय गर्मी/तापमान बहुत अधिक है जिससे धान की नर्सरी को नुकसान से बचाने के लिए कृषि विभाग ने एडवाइजरी जारी की है। जिला कृषि अधिकारी जगदीश प्रसाद यादव ने किसानों को सलाह दी है कि धान की नर्सरी सांय काल में कम तापमान होने पर डालें तथा जहां नर्सरी उग चुकी है उसमें सांयकाल के समय सिंचाई करें। सिंचाई इस प्रकार करें कि खेत में पानी भरा न रहे। इसलिए बुआई से पहले बीज व खेत का उपचार कर लेना चाहिए। धान की जिन प्रजातियों में जीवाणु जनित / जीवाणु झुलसा रोग जिसमें पत्तियाँ कत्थई रंग की हो जाती हैं, की समस्या हो तो इन प्रजातियों में स्ट्रेप्टोसाइक्लिीन 4 ग्राम अथवा प्लांटोमाइसिन 40 ग्रा0 मात्रा में 25 कि0ग्रा0 बीज को रात भर पानी में भिगो कर रखें तत्पश्चात उसकी बुवाई करें। जिन क्षेत्रों में फफूंदी जनित रोग का प्रकोप होता है, वहाँ पर ट्राइकोडर्मा 2 प्रतिशत डब्लू०पी० की 4 ग्राम मात्रा प्रति कि०ग्रा० बीज अथवा थीरम की 2.5 ग्रा० मात्रा प्रति कि०ग्रा० बीज की दर से उपचारित करें। भूमि शोधन हेतु ट्राइकोडर्मा 2 प्रतिशत डब्लू०पी० की 2.5 कि0ग्रा0 मात्रा को 100 कि0ग्रा0 गोबर की सड़ी खाद में मिलाकर जुताई के समय प्रयोग करें, तत्पश्चात् धान की रोपाई करें।



