शास्त्रीय संगीत की सुरमयी स्वर्ण यात्रा में झूले श्रीराम 
लेखक और वरिष्ठ पत्रकार हुए सम्मानित
प्रदीप मिश्रा, प्रमुख संवाददाता
Gonda News

गोण्डा । श्रावण झूला स्वर्ण शताब्दी समारोह के अवसर पर मारुति सदन राधाकुण्ड में शास्त्रीय संगीत की सुरमयी संध्या ने श्रोताओं को भक्ति और सुरों के अनूठे संगम से अभिभूत कर दिया। समारोह के आयोजक यज्ञ देव पाठक ‘नीरज गोनर्दनीय’ ने जनपद के वरिष्ठ पत्रकार डॉ. जीसी श्रीवास्तव को अंगवस्त्र एवं स्मृति चिह्न प्रदान कर सम्मानित किया।

इस अवसर पर अपने उद्बोधन में श्री पाठक ने कहा, “शास्त्रीय संगीत ईश्वर से जोड़ने वाली अद्वितीय कला है। आज इसकी रक्षा और प्रचार-प्रसार के लिए पत्रकारों, लेखकों और चिंतनशील बुद्धिजीवियों की अहम भूमिका है। यह समारोह हमारी नई पीढ़ी को इस ईश्वरीय धरोहर से परिचित कराने का प्रयास है।”

समारोह में डॉ. प्रीति पाण्डेय और प्रज्ञा पाठक ने यमन राग में तीन ताल की जुगलबंदी कर उपस्थित श्रोताओं को भावविभोर कर दिया। लखनऊ से पधारे पं. अरुणेश पाण्डेय एवं उनके पुत्र अध्यात्म पाण्डेय ने टुकड़ा, तीन ताल, पलटा, कायदा और बंदिशों की जुगलबंदी प्रस्तुत कर सुरों का अद्भुत संगम रचा।

इस सांगीतिक यात्रा में गुरु तुलसीदास ने झूला गायन प्रस्तुत किया जबकि पंकज शांडिल्य ने हारमोनियम पर संगत की। लखनऊ के अमोघ सहस्र बुद्धे ने तबला वादन में दक्षता दिखाई। वहीं पंडित ओंकारनाथ पाण्डेय ने राग विहाग, रेवा, सोहनी, गोरख कल्याण और कलावती में “कमल नयन वाले राम” भजन प्रस्तुत कर समां बांध दिया।

पंडित शिवदयाल ने राग भूप कल्याण में “मोरा मन बस कर लीनो श्याम” ख्याल सुनाकर श्रोताओं को भक्ति भाव में डुबो दिया। समारोह में उल्लेखनीय प्रस्तुति देने वाले कलाकारों – पं. अरुणेश पाण्डेय, अध्यात्म पाण्डेय (तबला वादन), ओंकारनाथ उपाध्याय (गायन), राजकुमार मिश्र (तबला वादन) तथा राकेश (सारंगी वादन) – को स्वर्ण शताब्दी सम्मान से नवाजा गया।

कार्यक्रम के अंत में सुश्री प्रज्ञा पाठक एवं मनीषा पाठक ने सभी आमंत्रित श्रोताओं एवं कलाकारों के प्रति आभार प्रकट किया।


यह आयोजन शास्त्रीय संगीत के संरक्षण और नव पीढ़ी को इसकी ओर आकर्षित करने की एक प्रेरणादायक मिसाल बनकर सामने आया।

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