आरटीओ ऑफिस में फर्जीवाड़े का बोलबाला: लाइसेंस से गाड़ी ट्रांसफर तक हर जगह घोटाला
प्रदीप मिश्रा, प्रमुख संवाददाता
Gonda News
गोण्डा।
आरटीओ ऑफिस में फर्जीवाड़े का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। ड्राइविंग लाइसेंस बनवाने से लेकर गाड़ी ट्रांसफर कराने तक हर प्रक्रिया में धांधली का खेल बदस्तूर जारी है। इस घोटाले में केवल दलाल ही नहीं, बल्कि ऑफिस के कर्मचारी भी शामिल हैं। हाल ही में एक महिला समेत दो आरोपियों की गिरफ्तारी ने इस काले खेल की पोल खोल दी है।
हर पटल पर दलालों का कब्जा, दुकानों से होती सेटिंग
सूत्र बताते हैं कि आरटीओ ऑफिस में दलालों का नेटवर्क हर पटल पर फैला हुआ है। ऑफिस के बाहर स्थित दुकानों पर फार्म ऑनलाइन कराने के नाम पर सेटिंग शुरू हो जाती है। कई बार तो ये दलाल ऑफिस के अंदर बैठकर कम्प्यूटर पर काम करते नजर आते हैं। आम जनता को यह समझ पाना मुश्किल हो जाता है कि कौन कर्मचारी है और कौन दलाल।
ऑफिस में काम का बोझ इतना अधिक है कि जिम्मेदार अधिकारी भी इन बाहरी लोगों की मौजूदगी पर विरोध नहीं जताते। स्थिति यह है कि ऑफिस के कर्मचारी खुद ही फार्म ऑनलाइन कराने के लिए बाहर के ऑनलाइन सेंटरों का रुख करने को कहते हैं।
शाम को दलालों की लगती है भीड़
बताया जा रहा है कि दिन के समय ऑफिस में कम सक्रिय रहने वाले दलाल शाम 5 बजे के बाद ऑफिस में सेटिंग करने पहुंच जाते हैं। अगर कोई व्यक्ति केवल निर्धारित फीस देकर अपना काम कराना चाहे, तो उसे कई बार ऑफिस के चक्कर लगाने पड़ते हैं।
गिरफ्तारी के बाद से मचा हुआ है हड़कंप
गुरुवार को फर्जीवाड़े में एक महिला और एक अन्य व्यक्ति की गिरफ्तारी के बाद आरटीओ दफ्तर में खलबली मच गई। कर्मचारियों के चेहरों पर शिकन और डर साफ नजर आया। इस डर से कई दलाल भी ऑफिस में जाने से बचते देखे गए।
जांच की आंच से सहमे कर्मचारी
बहराइच के एआरटीओ प्रशासन की जांच से ऑफिस के कर्मचारियों में हड़कंप मचा हुआ है। फिलहाल जांच की आंच कनिष्ठ लिपिक रमेश शुक्ला और वरिष्ठ लिपिक विद्याभूषण गुप्ता तक पहुंची है। हालांकि, इस बात की उम्मीद है कि जांच के दायरे में और भी कई बड़े नाम आएंगे।



