ऑनलाइन हाजिरी के नियम से फूट गया शिक्षकों का दर्दभरा पुराना छाला
ऑनलाइन बायोमिट्रिक हाजिरी के खिलाफ शिक्षक लामबंद
विभाग के किसी भी नियम के खिलाफ अब तक की सबसे बड़ी लामबंदी, एकजुट हो रहे सभी शिक्षक संगठन
संगठनों ने उठाई सबसे पहले पूर्व के माँगों को पूरा किए जाने की मांग
*ऑनलाइन उपस्थिति का दबाव विभाग ने डाला तो कुरेद उठा शिक्षकों का दर्द*
*तमाम समस्याओं से जूझते हुए शिक्षक कराते आ रहे हैं पढ़ाई*
*शिक्षक बोल रहे की मेहनत कर रहें हैं मगर विभाग क्यूँ लगा रहा है कामचोरी का आरोप*
प्रदीप मिश्रा, प्रमुख संवाददाता

Gonda News :

स्कूल शिक्षा महानिदेशालय ऑनलाइन शिक्षक उपस्थिति के जिस इंजेक्शन के जरिए शैक्षिक सुधार करने का दावा कर रहा है, उसी इंजेक्शन की सुई से शिक्षकों के दर्दभरे छाले फ़ूट गए हैं। पढ़ाने लिखाने के संसाधनों की तमाम दुश्वारियों को भुलाकर जो शिक्षक अपनी गाढ़ी कमाई का कुछ हिस्सा विद्यालय और छात्रों के बेहतरी के लिए हवन करते आ रहे थे। शिक्षक संगठन बताते हैं कि फोटो के साथ ऑनलाइन बायोमीट्रिक हाजिरी को जरूरी कर दिए जाने से उनके ज़मीर को गहरा धक्का लगा है। शिक्षक नेता बताते हैं अब शिक्षक समझौता वादी अपने रुख को छोड़ने पर विवश हैं। उनका कहना है कि पहले उनकी पूर्व की मांगे मान ली जाएं फिर हाजिरी की नई व्यवस्था को लागू कर दिया जाए।
महानिदेशालय के आदेश के खिलाफ लामबंदी बढ़ी है। शिक्षको के सभी संगठन एक साथ नई व्यवस्था के खिलाफ खड़े हो गए हैं। उन्होंने माँगों को माने जाने तक नई व्यवस्था को रद्द करने का आंदोलन शुरू कर दिया है।

संगठन की प्रमुख मांगें-

👉1-अन्य विभागों की भांति ‘हाफ डे लीव अवकाश’ का दिया जाए।
👉2-राज्य कर्मचारियों की भांति 30 ई.एल. या महाविद्यालयों के शिक्षकों की भांति पी.एल. दिया जाए।
👉3-अन्य विभागों की भांति ‘प्रतिकर अवकाश’ प्रदान किया जाये।`
👉4-मौसम की प्रतिकूलता व विभागीय कार्यक्रमों में प्रतिभाग हेतु बी.एस.ए. को ऑनलाइन उपस्थिति में शिथिलता का अधिकार दिया जाये।
👉5-सर्वर क्रैश होने पर वैकल्पिक व्यवस्था का स्पष्ट दिशा निर्देश जारी किया जाए
6- ऑनलाइन उपस्थिति का आदेश शिक्षकों की सेवा शर्तों के विरुद्ध है साथ ही साथ महिलाओं एवं बालिकाओं का फोटो प्रतिदिन ऑनलाइन किया जाना उनकी निजता का हनन है।
7-भेदभाव पूर्णं व शोषणकारी ऑनलाइन उपस्थिति की व्यवस्था को समाप्त कर अन्य विभागों की भांति ही व्यवस्था लागू रहे।

प्रमुख समस्याओं का समाधान किये बिना ही विभागीय अधिकारियों द्वारा भय का वातावरण बनाकर डिजिटाइजेशन /ऑनलाइन उपस्थिति (फेस रिकग्निशन) की व्यवस्था केवल बेसिक शिक्षा विभाग में ही लागू की जा रही है। इससे पूरे प्रदेश का शिक्षक समाज स्वयं को अपमानित एवं ठगा महसूस कर रहा है।
– शिक्षक संगठन
शिक्षक बोल रहे मूलभूत बातों पर भी ध्यान नहीं दे रहा महानिदेशालय ……

1-मध्याह्न भोजन के अंतर्गत सोमवार को 4 रुपये की दर से प्रति बच्चा फल लाना होता है जो लगभग असंभव कार्य है जिसकी जिम्मेदारी विद्यालय के इंचार्ज प्रधानाध्यापक (गत कई वर्षो से प्रमोशन ना होने के कारण वह सारे कार्य कर रहे हैं …) की है ।

2-प्रत्येक बुधवार को प्रत्येक बच्चे को गरम मीठा दूध देना है जिसके लिए कोई अतरिक्त राशि उपलब्ध नहीं है ।

3- गैस सिलेंडर भराने से लेकर भट्टी खराब हो जाने पर उसको बनवाने भी लेकर विद्यालय के इंचार्ज प्रधानाध्यापक को लेकर जाना हैं ।

4-प्रत्येक दिन मीनू के हिसाब से सब्जी बाजार से लाना है ।

5-कोटेदार से राशन के लिए मिन्नत करनी पड़ती है (अध्यापक ज्यादातर बाहरी है कोटेदार क्षेत्रीय और दबंग है )।

6- रुपया 5.45 की दर से हर बच्चे को पौष्टिक भोजन कराना है इतने पैसे मे एक समोसा भी नहीं आ रहा है जब हर वस्तु का मूल्य इतना महँगा हो ग़या है।

7-अंत में चेक पर एक हस्ताक्षर के लिए प्रधान के घर के चक्कर काटना मजबूरी है। उन्हें इसके लिए क्यूँ दौड़ाया जाता है विभाग इसका अंदाजा खुद लगा सकता है।

8-अंत में उस पैसे को निकालने के लिए बैंकों की लंबी लाइन मे लगना होता है।

9- स्कूल में पंजीकृत बच्चो को मिड डे मील खिलाते समय मे आंगनबाड़ी के बच्चे भी विद्यालय में भोजन करते हैं। जिसके लिए बाल विकास विभाग को दी जाने वाली राशि शिक्षकों को भोजन बनवाने मे नहीं मिल पा रही है।

10-विद्यालय के वरिष्ठ अध्यापक को जबरदस्ती इंचार्ज प्रधानाध्यापक बना कर वह सारे कार्य कराये जा रहे हैं ।

11-जूनियर विद्यालय में अध्यापक नहीं है प्राथमिक के भरोसे चल रहे हैं । लम्बे अर्से से प्रमोशन नहीं किया गया। …

12-अन्तर्जनपदीय स्थानांतरण की प्रक्रिया भी हर वर्ष नहीं आती है ।

13-अध्यापक के पास पढ़ाने के अतरिक्त इतने कार्य दे दिए गए हैं कि वह अपने मूल कार्य से भटक गया है । कार्यों की सूची बहुत जादा लंबी है।

14- शिक्षण के जिस महत्वपूर्ण कार्य के लिए शिक्षक चयनित किए गए है उन्हें पूरा करने के लिए शिक्षको को स्वस्थ मन और पूरे मनोयोग से करने को नहीं मिल रहा है।

15- शिक्षक बहुत ही सीमित संशोधनों मे शिक्षा की अलख जलाये हुए हैं जहां उम्मीद की किरणों का पहुंचना मुश्किल है ।

16–एक आप है जहा हमारा मनोबल बढ़ाने की बजाये हमे कमज़ोर कर रहे हैं ……ऐसे कैसे हम विश्वगुरु का सपना देख रहे हैं जहां गुरु ही अपनी कक्षाओं की बजाय सड़कों पर आंदोलन करने को मज़बूर है ….

17_कभी -कभी हम सोचते हैं अध्यापक बनने का निर्णय ग़लत था ….मैं जिस कार्य के लिए आया था वह कार्य तो विभाग करने ही नहीं दे रहा है।

18- विद्यालय में जब कम्पोजिट धनराशि आती हैं तब पहले से ही निर्धारित कर चुके होते हैं कि यह कार्य कराने है उन कार्यो के लिए पागलों की तरह एक दुकान से दुकान भागते रहिए …..PFMS की प्रक्रिया इतनी जटिल है जिसमें बहुत परेशानी होती है।

19-संविदा कर्मियों (शिक्षा मित्र /अनुदेशक ) अल्प मानदेय पर कार्यरत हैं जिनकी सुनवाई भी विभाग नहीं कर रहा है।

20- शिक्षकों की परेशानियों को देखते हुए विभाग ने पुरानी पेंशन दिलाने की दिशा में कुछ नहीं किया है।

21-राज्य कर्मचारियों का दर्जा शिक्षक मांगते आ रहे हैं जिसे अभी तक नहीं दिया गया है।

22-कैशलेस स्वास्थ्य बीमा की व्यवस्था नहीं दी गई है।

23-इस पर भी हम सभी पूर्ण मनोयोग से शिक्षा की अलख रोशन किए हुए हैं ।

24-हम वहा पढाते है जहा बच्चा सुबह भूखा ही घर से चला आता है ..उसके बावजूद उसके चेहरे पर मुस्कान लाने का काम हम करते हैं।

25-हम सफ़ाई कर्मी भी बनते हैं तो कभी रसोईया भी बनते हैं बच्चों को चोट लगने पर डॉ भी बनते हैं ….उसे माँ का प्यार और पिता की डाट भी देते हैं .अपने विद्या के मंदिर को संवारने के लिए हम हर वह कार्य करते हैं जो हमे लगता है कि वह जरूरी है ।

26-लेकिन आपने हमारी छवि ऐसी गढ़ दी है कि हमे अपने शिक्षक होने पर गर्व नहीं ग्लानी होने लगी है हमारे कुछ पत्रकार बन्धु भी इस प्रकार के लेख लिखते हैं कि फला विद्यालय में अधिकारियों का पड़ा छापा …..जैसे हम वहा नौनिहालों के भविष्य की जगह “अवैध शराब का निर्माण” कर रहे हैं

27- हमारी आपसे विनती है कि इसे प्रयोगशाला मत बनाइये …इतिहास के पन्ने उठा कर देख लीजिए कि इन्हीं सरकारी संस्थानों से देश के उच्च पदों पर पहुँचने वाले लोग आज भी बैठे हुए हैं ….

28- एक अध्यापक को उसका सम्मान वापस कर दीजिए ।

29-रही बात ऑनलाइन हाजिरी की तो यह किसी भी रूप मे व्यावहारिक नहीं है आप इतने बड़े प्रदेश में प्रत्येक विद्यालय को सारे संसाधन उपलब्ध नहीं करा सकते हैं ….हर क्षेत्र की समस्याए अलग है ।

30-इसलिए ज़िद को त्याग कर तुगलकी फरमान को वापस लिया जाए ।

31 – शिक्षकों के स्कूल सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों में बने हैं जहां के दुर्गम रास्ते खराब मौसम में बहुत ही खराब हो जाते हैं।

 

 

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