‘यूपी ग्रामीण बैंक’ का गठन: देश को मिला सबसे बड़ा ग्रामीण बैंक, लखनऊ होगा मुख्यालय
प्रदीप मिश्रा, प्रमुख संवाददाता
Gonda News
गोंडा ।
उत्तर प्रदेश को एक मई से देश का सबसे बड़ा ग्रामीण बैंक मिलने जा रहा है। राज्य के तीन प्रमुख क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों—आर्यावर्त बैंक, प्रथमा बैंक और बड़ौदा यूपी बैंक—का विलय कर ‘यूपी ग्रामीण बैंक’ की स्थापना की जा रही है। इस नवगठित बैंक का मुख्यालय राजधानी लखनऊ में होगा और यह बैंक ऑफ बड़ौदा के प्रायोजन में संचालित किया जाएगा।
75 जिलों में 4317 शाखाओं का नेटवर्क
‘एक राज्य–एक ग्रामीण बैंक’ मॉडल के तहत यूपी ग्रामीण बैंक की 4317 शाखाएं प्रदेश के सभी 75 जिलों में संचालित होंगी। इससे न केवल बैंकिंग सेवाओं का विस्तार होगा, बल्कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती भी मिलेगी।
देशभर में चल रहा है ग्रामीण बैंकों का पुनर्गठन
भारत सरकार की अधिसूचना के मुताबिक, उत्तर प्रदेश समेत 11 राज्यों और एक केंद्र शासित प्रदेश में ग्रामीण बैंकों का राज्यस्तरीय समामेलन पूरा कर लिया गया है। 2005 तक देश में 196 क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक थे, जो अब घटकर सिर्फ 28 रह जाएंगे।
बैंकों के एकीकरण से मिलेंगे ये बड़े फायदे
- ऋण वितरण में वृद्धि: किसानों और ग्रामीण उद्यमियों को मिलेगा अधिक लाभ।
- डिजिटल बैंकिंग का विस्तार: दूरस्थ क्षेत्रों तक पहुंचेगी आधुनिक सुविधाएं।
- ग्राहक सुविधा पर विशेष ध्यान: नाबार्ड की विशेष समिति कर रही निगरानी।
- सॉफ़्टवेयर परिवर्तन: बैंक ऑफ बड़ौदा का सिस्टम लागू होगा, खातों का माइग्रेशन होगा।
- मौजूदा चेकबुक मान्य: बाद में जारी होंगी नई चेकबुक, संभावित है खाता संख्या में बदलाव।
प्रथमा बैंक से शुरू हुई थी ग्रामीण बैंकिंग की कहानी
प्रथमा यू.पी. ग्रामीण बैंक ऑफिसर्स एसोसिएशन, गोंडा के अध्यक्ष सुधीर शुक्ला ने बताया कि 1975 में स्थापित प्रथमा बैंक देश का पहला क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक था। अब जब ग्रामीण बैंक स्थापना के 50 वर्ष पूरे हो रहे हैं, तब चौथे चरण के समामेलन के बाद देश में इन बैंकों की संख्या घटकर 28 रह जाएगी।
एसोसिएशन के सचिव अभिषेक सिंह ने बताया कि ऑल इंडिया रीजनल रूरल बैंक एम्प्लाइज एसोसिएशन (AIRRBEA) अब इन बैंकों के समामेलन के उपरांत ‘भारतीय राष्ट्रीय ग्रामीण बैंक’ की स्थापना की मांग कर रहा है।
2005 से चल रही है प्रक्रिया, चौथा बड़ा विलय
उत्तर प्रदेश में यह चौथा बड़ा ग्रामीण बैंक विलय है। विशेषज्ञों का मानना है कि इससे बैंकिंग व्यवस्था अधिक सशक्त, केंद्रीकृत होगा।



