चुनावी शोर में दब रही बाल विकास कार्मिकों की सिसकियाँ
मार्च भी बीता, मगर नौ माह बाद भी नहीं मिला सेवा विस्तार
बिना वेतन के विभागीय कार्य निबटाने के कर्ज की गर्त में जा रहे कार्मिक
संविदा सीडीपीओ, मुख्य सेविका और लिपिक के सामने खड़ी है बड़ी मुसीबत
प्रदीप मिश्रा, प्रमुख संवाददाता
Gonda News ::
बाल विकास एवं पुष्टाहार विभाग में कार्यरत संविदा कार्मिकों को बीते नौ माह से सेवा विस्तार नहीं मिल पाया है। ऐसे में वेतन के बिना विभागीय कार्यों को निबटाने मे कर्ज की गर्त में कार्मिक डूबते जा रहे हैं। उनके सामने उनका घर चलाने की मुसीबत अलग से खड़ी हुई है। चुनाव के शोर में कार्मिकों की सिसकियाँ दबकर रह गई हैं।
बीते साल इन कार्मिकों को मार्च के महीने मे सेवा विस्तार मिल गया था। मगर जुलाई महीने के बाद सेवा विस्तार के बिना ये कार्मिक वेतन नहीं पा रहे हैं।
संगठन कर रहा समान काम के बदले समान वेतन की मांग
संविदा सीडीपीओ, सुपरवाइजर और लिपिकों का संगठन समान काम के बदले समान वेतन की मांग कर्ता आ रहा है।
डिप्रेशन की शिकार हो रही सुपरवाइजर
बाल विकास एवं पुष्टाहार विभाग में कार्यरत सुपरवाइजर सेवा विस्तार नहीं मिलने से डिप्रेशन की शिकार हो रही हैं। बीस साल से विभाग में तैनाती पाने के बाद से लगातार नौकरी के स्थाई होने की बाट जोह रही सुपरवाइज़र हर साल सेवा विस्तार होने नहीं होने की पीड़ा झेलती आ रही हैं। मगर इस बार उनकी टीस कुछ जादा ही बढ़ी हुई है जहां एक तरफ विभागीय कार्य निबटाने के लिए उन्हें कर्ज लेना पड़ रहा है। वहीं पर कुछ महीने पहले उन्हीं के पदों पर शासन से सीधी सरकारी भर्ती निकाले जाने के दंश का शिकार हैं। उनकी मांग है कि पहले से विभाग में संविदा पर तैनात सभी सुपरवाइजर को पहले स्थाई किया जाए फिर शेष बचे पदों पर भर्ती किया जाए। इसके लिए संविदा कार्मिकों के संगठन ने हाईकोर्ट की शरण लेकर भर्ती प्रक्रिया पर स्थगनादेश ले लिया। मगर अब उनकी नींद फिर से उड़ने लगी है कि जब सुपरवाइजर की भर्ती परीक्षा में बैठने वाले अभ्यर्थियों ने शासन के समक्ष भर्ती परीक्षा परिणाम निकाले जाने की प्रार्थना करते हुए शासन से कोर्ट में पैरवी करने की गुहार लगाई है।
- संविदा सीडीपीओ के सामने भी है बड़ी मुसीबत
संविदा सीडीपीओ के सामने जहां वेतन नहीं मिलने से संविदा लिपिक और सुपरवाइजर की तरह ही भुखमरी झेलने की मुसीबत है। वहीं पर पिछले साल मार्च में सेवा विस्तार के साथ आए उस आदेश से उनमें खलबली है जिसमें विभाग ने ये कहते हुए सेवा विस्तार दिया था कि आयोग से तैनाती होने के साथ ही इन पदों पर सेवा विस्तार नहीं दिया जाएगा। यानी जैसे जैसे आयोग से सीडीपीओ तैनात होते जाएंगे। संविदा के पदों को सेवा विस्तार नहीं मिल पाएगा।



