राष्ट्रपिता महात्मा गांधी: अहिंसा, स्वतंत्रता और प्रेरणादायक विचारों के प्रतीक
प्रदीप मिश्रा, प्रमुख संवाददाता
State Desk ::
महात्मा गांधी, जिन्हें पूरी दुनिया बापू के नाम से जानती है, ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने असहयोग आंदोलन, सविनय अवज्ञा आंदोलन और भारत छोड़ो आंदोलन जैसे प्रमुख आंदोलनों का नेतृत्व किया। गांधी जी के नेतृत्व में लाखों भारतीयों ने ब्रिटिश शासन के खिलाफ अहिंसात्मक संघर्ष में हिस्सा लिया, और भारत को स्वतंत्रता दिलाने के लिए एक लंबी लड़ाई लड़ी। महात्मा गांधी का जीवन और उनके आदर्श आज भी प्रेरणा का स्रोत बने हुए हैं।
गांधी जी का मानना था कि अहिंसा ही सबसे शक्तिशाली हथियार है, और इसी प्रतिबद्धता के कारण संयुक्त राष्ट्र ने उनके जन्मदिन, 2 अक्टूबर को “अंतरराष्ट्रीय अहिंसा दिवस” के रूप में घोषित किया है। उनकी विचारधारा में अहिंसा और सत्य का बहुत महत्वपूर्ण स्थान था, और वे इन दोनों सिद्धांतों के आधार पर जीवन जीने की प्रेरणा देते थे।
महात्मा गांधी के अनमोल विचार
महात्मा गांधी के विचार न केवल उनके समय के लिए प्रासंगिक थे, बल्कि आज के समय में भी उनकी बातें हमें मार्गदर्शन प्रदान करती हैं। उनके कुछ प्रमुख विचार इस प्रकार हैं:
“ऐसे जिएं कि जैसे आपको कल मरना है और सीखें ऐसे जैसे आपको हमेशा जीवित रहना है।”
“आंख के बदले आंख पूरे विश्व को अंधा बना देगी।”
अहिंसा पर उनके इस विचार से यह स्पष्ट होता है कि हिंसा का बदला हिंसा से लेने पर समाज में केवल नफरत और अंधकार फैलता है।
“निःशस्त्र अहिंसा की शक्ति किसी भी परिस्थिति में सशस्त्र शक्ति से सर्वश्रेष्ठ होगी।” गांधी जी का दृढ़ विश्वास था कि किसी भी संघर्ष में अहिंसा का मार्ग ही सबसे शक्तिशाली होता है।
“स्वतंत्रता एक जन्म की भांति है। जब तक हम पूर्णतः स्वतंत्र नहीं हो जाते तब तक हम परतंत्र ही रहेंगे।”
गांधी जी के लिए स्वतंत्रता केवल एक राजनीतिक अवधारणा नहीं थी, बल्कि यह मानवीय गरिमा और स्वाभिमान का प्रतीक थी।
“आजादी का कोई अर्थ नहीं है यदि इसमें गलतियां करने की आजादी शामिल न हो।”
उनका मानना था कि आजादी के सही मायने वही समझ सकता है जो अपनी गलतियों से सीखता है।
“कमजोर लोग कभी माफ नहीं कर सकते, माफी मजबूत लोगों का गुण है।”
गांधी जी के अनुसार, माफी एक आंतरिक शक्ति का प्रतीक है, और केवल मजबूत व्यक्ति ही माफ कर सकता है।
“दुनिया में जो बदलाव आप देखना चाहते हैं, वह खुद बनिए।”
समाज में बदलाव की शुरुआत खुद से करनी चाहिए, तभी दुनिया बदल सकती है।
“एक राष्ट्र की संस्कृति लोगों के दिलों में और आत्मा में बसती है।”
गांधी जी ने यह स्पष्ट किया कि किसी देश की संस्कृति उसकी जनता के दिलों और उनकी आत्मा में रहती है।
“जब तक आप किसी को वास्तव में खो नहीं देते तब तक आप उसकी अहमियत नहीं समझते।”
यह विचार जीवन में रिश्तों और चीज़ों की कद्र करने की प्रेरणा देता है।
“कुछ करना है तो प्यार से करें, वरना न करें।”
गांधी जी के अनुसार, किसी भी कार्य का उद्देश्य प्यार और करुणा होना चाहिए। बिना प्रेम के किया गया कोई भी कार्य अर्थहीन होता है।
“क्रूरता का उत्तर क्रूरता से देने का अर्थ अपने नैतिक व बौद्धिक पतन को स्वीकार करना।”
उनके अनुसार, क्रूरता का जवाब क्रूरता से नहीं दिया जाना चाहिए, क्योंकि ऐसा करने पर हम अपनी नैतिकता और बुद्धिमत्ता को खो देते हैं।
महात्मा गांधी का जीवन और योगदान
महात्मा गांधी का पूरा नाम मोहनदास करमचंद गांधी था, और नोबेल पुरस्कार विजेता रवींद्रनाथ टैगोर ने उन्हें “महात्मा” की उपाधि दी थी। इसके बाद से ही उन्हें महात्मा गांधी कहा जाने लगा। गांधी जी को ‘बापू’ और ‘राष्ट्रपिता’ के रूप में भी सम्मानित किया जाता है। वे एक वकील, राजनीतिज्ञ और सामाजिक कार्यकर्ता थे, जिनके विचार आज भी दुनिया भर के लोगों के लिए प्रेरणा स्रोत बने हुए हैं।
गांधी जी के जीवन का हर पहलू सादगी, नैतिकता और सत्य पर आधारित था। उन्होंने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के दौरान न केवल अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ संघर्ष किया, बल्कि भारतीय समाज को भी जागरूक किया और जाति प्रथा, अस्पृश्यता और धार्मिक भेदभाव जैसी सामाजिक बुराइयों के खिलाफ भी आवाज उठाई।
महात्मा गांधी का अहिंसा और सत्य पर आधारित जीवन आज के युग में भी उतना ही प्रासंगिक है जितना उस समय था। उनके विचार हमें सिखाते हैं कि सच्चाई, नैतिकता और प्रेम के रास्ते पर चलकर ही हम जीवन में सच्ची सफलता और शांति प्राप्त कर सकते हैं।



