गोण्डा, संवाददाता। बाल विकास सेवा एवं पुष्टाहार विभाग में जिले व ब्लॉक स्तर पर तैनात आउटसोर्सिंग कार्मिकों के सामने परिवार पालने में संकट खड़ा हो गया है। उनके मानदेय में की गई वृद्धि की भी कटौती कर ली गई है, बीते तीन महीने से मानदेय नहीं दिया गया है और इनके मानदेय से ही की जाने वाली 18 प्रतिशत जीएसटी की कटौती भी की जा रही है। संकट से जूझ रहे इन कार्मिकों ने अब डीएम नेहा शर्मा से मुलाकात कर समस्या के समाधान कराने की गुहार लगाई है।
पोषण अभियान के तहत आउटसोर्सिग भर्ती के जरिए जिले स्तर पर डिस्ट्रिक्ट को-ऑडिनेटर, डिस्ट्रिक्ट प्रोजेक्ट एसोसिएट, ब्लाक को-ऑडिनेटर की तैनाती की गई थी।
मगर तैनाती के बाद से ही कार्मिकों के वेतन से ही जीएसटी की कटौती चल रही है। कार्मिकों ने बताया कि 20 अक्टूबर 2020 को महानिदेशक ने पोषण अभियान के अन्तर्गत जनपद एवं ब्लाक हेल्प डेस्क के पदों की भर्ती के लिए विस्तृत दिशा निर्देश दिए थे।
इसह क्रम में नियुक्त सेवा प्रदाता डाटा लाइव कम्प्यूटर टेक्नोलॉजी, प्रयागराज ने सेवायोजन विभाग के पोर्टल पर भर्ती की विज्ञप्ति का प्रकाशन 4 अगस्त को किया। जब जीएसटी की कटौती कार्मिकों के मानदेय से की जाने लगी तो कार्मिकों ने डीएम से गुहार लगाई सम्बन्ध में ज्वाइन्ट कमिश्नर जीएसटी ने विभाग को अवगत कराया था कि पूरे वेतन पर जीएसटी नहीं लगाई जाएगी बल्कि सिफ आउटसोर्सिंग कम्पनीारा लिए जाने वाले सेवा शुल्क पर जीएसटी का निर्धारण किया जाना है। कार्मिकों ने डीएम नेहा शर्मा को बताया कि इसके अलावा उपनिदेशक पंचायत देवीपाटन मण्डल ने अपने पत्र संख्या 289 दिनांक 16 अगस्त 2021 ने प्रबन्धक शहरी अजीविका केन्द्र श्रावस्ती को लिखा गया है कि कार्मिक के मानदेय पर जीएसटी लिया जाना न्यायसंगत नहीं है, जीएसटी निर्धारण सिर्फ आउटसोर्सिंग कम्पनी के सेवा शुल्क पर ही होना चाहिए।
कार्मिकों से हर महीने की जा रही साढ़े तीन हजार की कटौती :
कार्मिकों ने बताया कि उनके मूल वेतन से प्रत्येक महीने जीएसटी अन्य करों के नाम पर लगभग रुपया 3500 की कटौती हो रही है।
पीड़ित कार्मिकों ने कहा कि अल्प मानदेय में अपने परिवार का भरण पोषण करना बहुत ज्यादा कष्टदायी हो रहा है। कार्मिकों ने भुगतान नियमों के तहत कराने की मांग की है।



