हल षष्ठी व्रत पर महिला कर्मियों को अवकाश के बजाय बैठक, उपजा धर्मसंकट
सम्भव अभियान की समीक्षा के लिए विकास भवन सभागार में गुरुवार को बुलाई गई बैठक
प्रदीप मिश्रा, प्रमुख संवाददाता
Gonda News
गोंडा।
हल षष्ठी व्रत के अवसर पर महिला कर्मियों को जहां परंपरागत रूप से अवकाश लेकर व्रत-पूजन करने का अवसर मिलता है, वहीं इस बार जिला कार्यक्रम अधिकारी (डीपीओ) संजय कुमार द्वारा इसी दिन गुरुवार को विकास भवन सभागार में बैठक बुलाए जाने से महिला कर्मियों के सामने धर्मसंकट खड़ा हो गया है। एक ओर धार्मिक आस्था और पारिवारिक परंपरा, तो दूसरी ओर सरकारी बैठक में हाजिरी—इन दोनों के बीच महिला कर्मचारियों के सामने संकट है।
डीपीओ ने सीएमओ, सभी सीएचसी अधीक्षकों, बाल विकास परियोजनाओं के सीडीपीओ और मुख्य सेविकाओं को बैठक में शामिल होने के निर्देश पत्र भेजे हैं। इस बैठक में महिला कर्मियों की अनिवार्य उपस्थिति तय की गई है।
गौरतलब है कि हल षष्ठी व्रत पर महिला कर्मियों को सामान्यतः निर्बंधित अवकाश लेने की सुविधा होती है। बेसिक शिक्षा विभाग में कार्यरत महिला शिक्षिकाएं इस दिन का अवकाश लेकर पारंपरिक पूजा-अर्चना करती हैं। लेकिन इस बार बैठक के आदेश से महिला कर्मी धर्म संकट में है।
महिला कर्मचारियों का कहना है कि “विभाग को ऐसे धार्मिक अवसरों का ध्यान रखते हुए बैठक या कार्यक्रम की तारीख तय करनी चाहिए, ताकि कार्य और आस्था दोनों का निर्वहन संभव हो सके।’
हल षष्ठी व्रत का महत्व
- यह व्रत भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की षष्ठी तिथि को मनाया जाता है।
- इसे खासतौर पर माताएं अपने बच्चों की दीर्घायु और सुख-समृद्धि के लिए करती हैं।
- व्रत में हल से जुते खेत का अन्न, फल या अनाज नहीं खाया जाता।
- महिलाएं सुबह स्नान के बाद भगवान श्रीकृष्ण और माता हलषष्ठी (यशोदा माता) की पूजा करती हैं।
- ग्रामीण अंचलों में इस व्रत को “ललई छठ” भी कहा जाता है।
डीपीओ कार्यालय ने आदेश जारी करते समय नहीं किया गौर :
-महिलाओं को हल षष्ठी व्रत सिर्फ व्रत ना होकर पूजा पाठ करने का महत्वपूर्ण पर्व है।
-चहल्लुम के कारण निकलने वाले जुलूस से ट्रैफिक जाम हो सकता है।
– ऑनलाइन बैठक के विकल्प पर भी विभाग विचार कर सकता था।



