यूनिसेफ के ग्लोबल लीड द्वारा सुमेरपुर और हटही प्राथमिक विद्यालय का दौरा
दिव्यांगता समावेशन और शालापूर्व शिक्षा की प्रक्रिया का अवलोकन
प्रदीप मिश्रा, प्रमुख संवाददाता
Gonda News

सुमेरपुर, हलधरमऊ:

यूनिसेफ और विक्रमशिला एजुकेशन रिसोर्स सोसाइटी के संयुक्त तत्वावधान में शालापूर्व शिक्षा और दिव्यांगता समावेशन के क्षेत्र में किए जा रहे कार्यों को एक नई दिशा और मान्यता मिली है। इस पहल के अंतर्गत, यूनिसेफ के न्यूयॉर्क कार्यालय से आए दिव्यांगता समावेशन के ग्लोबल लीड गोपाल मित्रा, यूनिसेफ के मुख्य वित्त अधिकारी (CFO) जकारी एडम, और शिक्षा विशेषज्ञ रित्विक पात्रा ने हाल ही में ब्लॉक हलधरमऊ के सुमेरपुर और हटही स्थित प्राथमिक विद्यालयों का दौरा किया।

दिव्यांगता समावेशन को बारीकी से देखा और छात्र जतन से की मुलाकात

हटही के प्राथमिक विद्यालय के भ्रमण के दौरान टीम ने विशेष रूप से कक्षा 3 में नामांकित दिव्यांग छात्र जतन से मुलाकात की। जतन, जो कि शारीरिक रूप से दिव्यांग है, अपनी कक्षा में सक्रियता से भाग ले रहा है और शिक्षा प्राप्त कर रहा है। इस मुलाकात के दौरान टीम ने जतन की दिनचर्या और उसकी शिक्षा से संबंधित चुनौतियों के बारे में उसके अभिभावकों और शिक्षकों से विस्तृत बातचीत की। जतन ने अपनी कक्षा में लर्निंग प्रक्रिया और अपनी समझ को साझा किया, जो इस बात का प्रमाण था कि समावेशी शिक्षा के तहत किस प्रकार बच्चों के विकास पर ध्यान दिया जा रहा है।

सुमेरपुर ऑंगनवाड़ी केंद्र का दौरा और शालापूर्व शिक्षा का अवलोकन

इसके बाद टीम ने सुमेरपुर स्थित ऑंगनवाड़ी केंद्र का दौरा किया। यहां, ऑंगनवाड़ी कार्यकत्री द्वारा संचालित शालापूर्व शिक्षा (ECE) सत्र का अवलोकन किया गया। इस सत्र के दौरान, टीम ने देखा कि किस तरह छोटे बच्चों के साथ समावेशी शिक्षा की प्रक्रिया को लागू किया जा रहा है, जिसमें दिव्यांग बच्चों का भी समावेश हो। टीम ने बच्चों से बातचीत की और उनकी शिक्षा प्रक्रिया को समझने का प्रयास किया। बच्चों की सकारात्मक प्रतिक्रिया और उनकी उत्सुकता ने टीम को अत्यधिक प्रभावित किया। बच्चों ने उत्साहपूर्वक टीम का स्वागत किया और उन्हें गुलदस्ते भेंट किए।

बैठक में दिव्यांगता समावेशन की चुनौतियां पर चर्चा हुई और साझा किए गए अनुभव

प्राथमिक विद्यालय सुमेरपुर के पुस्तकालय कक्ष में एक विशेष बैठक आयोजित की गई। इस बैठक में 12 ऑंगनवाड़ी कार्यकत्रियों ने भाग लिया, जिन्होंने अपने-अपने केंद्रों पर दिव्यांग बच्चों के साथ किए जा रहे कार्यों और समावेशन की चुनौतियों पर चर्चा की। कार्यकत्रियों ने अपने अनुभव साझा किए और यह बताया कि कैसे वे शालापूर्व शिक्षा के अंतर्गत बच्चों को मुख्यधारा में लाने का प्रयास कर रही हैं। इसके साथ ही, उन्होंने इस बात पर भी चर्चा की कि दिव्यांग बच्चों के साथ काम करने के दौरान किन-किन कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है और उन्हें कैसे दूर किया जा सकता है।

दौरे के समापन पर टीम ने दी संतोषजनक प्रतिक्रिया प्रतिक्रिया

यूनिसेफ और विक्रमशिला टीम का यह दौरा सफल और प्रेरणादायक रहा। टीम ने इस दौरान जो कुछ देखा और अनुभव किया, उससे वे अत्यधिक संतुष्ट नजर आए। बच्चों और कार्यकत्रियों के साथ की गई बातचीत ने यह साबित किया कि जनपद में शालापूर्व शिक्षा और दिव्यांगता समावेशन के क्षेत्र में हो रहे प्रयास सही दिशा में हैं।

इस दौरे के दौरान कई प्रमुख व्यक्ति उपस्थित रहे, जिनमें विक्रमशिला के मंडलीय प्रबंधक कृष्ण मोहन सिंह, स्टेट मैनेजर समर्पिता, नीतू, सीडीपीओ नंदनी घोष, मुख्य सेविका सुषमा वर्मा, इन्द्रभान, शिवम, विवेक, प्रशांत, प्रदीप और ग्राम प्रधान का योगदान विशेष रूप से सराहनीय रहा।

यूनिसेफ के इस दौरे ने क्षेत्र में शालापूर्व शिक्षा और दिव्यांगता समावेशन की दिशा में हो रहे प्रयासों को और मजबूती प्रदान की है। इस प्रकार के प्रयास निश्चित रूप से दिव्यांग बच्चों को शिक्षा की मुख्यधारा में शामिल करने के लिए प्रेरणा का स्रोत बनेंगे।

 

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