सड़क की खुदाई में मिले चांदी जैसे सिक्के, ‘खजाने’ की चर्चा से उमड़ी भीड़ | ग्रामीण बोले—पुराना गड़ा धन हो सकता है

प्रदीप मिश्रा, प्रमुख संवाददाता

Gonda News

गोण्डा | गोंडा-बालरामपुर मार्ग पर सुभागपुर रेलवे स्टेशन के पास रविवार को सड़क पटान के लिए की जा रही खुदाई ने उस समय रहस्यमयी मोड़ ले लिया, जब मजदूरों को मिट्टी के नीचे से चांदी जैसे चमकदार सिक्के मिलने लगे। यह खबर पलक झपकते ही इलाके में फैल गई और देखते ही देखते घटनास्थल पर ग्रामीणों की भीड़ उमड़ पड़ी।

ग्रामीणों का कहना है कि जैसे ही खुदाई ने कुछ गहराई पकड़ी, मजदूरों को कुछ धातु जैसी वस्तुएं नजर आईं। उन्होंने उन्हें उठाकर देखा तो वे गोल और चांदी जैसी दिखने वाली आकृतियाँ थीं। कुछ लोगों ने मौके पर ही खुदाई शुरू कर दी और दावा किया कि उन्हें लगभग 14 ग्राम वजनी सिक्के मिले हैं, जिनकी बाजार में कीमत 1100 रुपये प्रति सिक्का तक आंकी जा रही है।

ग्रामवासी बोले—यह क्षेत्र रहा है ऐतिहासिक

स्थानीय निवासी शिवनारायण तिवारी का कहना है, “यह इलाका प्राचीन समय में बस्ती-बसेरा वाला रहा है। हमारे बुजुर्ग बताते थे कि यहां पहले बाग-बगिचे और किलेनुमा ढांचे थे। संभव है कि यह कोई पुराना गड़ा हुआ खजाना हो।”

इसी तरह रामसेवक यादव ने बताया, “मैं खुद मौके पर था। मजदूरों ने कुछ सिक्के निकाले। बाद में गांव के कई लड़कों ने भी खुदाई शुरू कर दी। थोड़ी ही देर में रेलवे के लोग भी आ गए और खुदाई रुकवा दी।”

खुदाई स्थल को किया गया सील, विभागीय जांच शुरू

घटना के कुछ ही समय बाद रेल विभाग और स्थानीय प्रशासन मौके पर पहुंचा और जहां-जहां से सिक्के मिलने की बात सामने आई थी, उन स्थानों को सील कर दिया गया। फिलहाल खुदाई पर रोक लगा दी गई है और सिक्कों की धातु, कालखंड व ऐतिहासिकता की जांच की जा रही है।

हालांकि यह अभी साफ नहीं हो सका है कि ये सिक्के चांदी के हैं या किसी अन्य धातु के। न ही यह तय हो पाया है कि उनका कोई पुरातात्विक या ऐतिहासिक महत्व है या नहीं।

स्थानीयों में उत्सुकता, अफवाहों का बाजार गर्म

इलाके में यह चर्चा भी जोरों पर है कि मलबा कहीं और से लाया गया था और उसी में से यह सिक्के निकले हैं, ऐसे में मलबे के स्रोत की भी जांच जरूरी हो गई है। वहीं, कुछ लोगों ने यह भी कहा कि यह सब अफवाह हो सकती है और किसी ने जानबूझकर कोई पुरानी वस्तु डाल दी हो।

सिक्के क्या हैं, कितने हैं और कहां से आए—इन सवालों पर सबकी नजर

अब यह रहस्य बना हुआ है कि सिक्के वास्तव में कितने मिले हैं, किस काल के हैं और वे जमीन में पहले से थे या मलबे के साथ आए?

फिलहाल ग्रामीणों की नजरें इस जांच पर टिकी हैं कि—
क्या यह किसी गुप्त खजाने की दस्तक है या फिर सिर्फ अफवाहों की उड़ान?

जो भी हो, सुभागपुर का यह मामला अब केवल एक खुदाई नहीं, बल्कि एक रोमांचक खोज में तब्दील हो चुका है, जिसकी गूंज अभी लंबे समय तक सुनाई देती रहेगी।

 

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