सरकार चाहे तो खत्म हो जाए संविदा मुख्य सेविकाओं की वेदना
22 वर्षों से सेवा विस्तार के सहारे चल रही नौकरी, स्थायीकरण की मांग ने पकड़ा जोर
प्रदीप मिश्रा, प्रमुख संवाददाता

Gonda News

गोंडा।
प्रदेश की आंगनबाड़ी सेवाओं की रीढ़ कही जाने वाली संविदा मुख्य सेविकाएं इन दिनों फिर से भविष्य को लेकर असमंजस में हैं। 22 वर्षों से हर साल सेवा विस्तार के सहारे नौकरी करने वाली तकरीबन सवा सौ संविदा मुख्य सेविकाएं आज भी स्थायीकरण की आस लगाए बैठी हैं। इस बार भी 31 जुलाई 2025 को संविदा अवधि पूरी हो चुकी है और अब तक विस्तार का आदेश न आने से इनके सामने रोज़गार और मानदेय का संकट खड़ा हो गया है।

नई नियुक्तियों से बढ़ी बेचैनी

प्रदेश सरकार ने हाल ही में 75 जिलों में ढाई हजार से अधिक मुख्य सेविकाओं के स्थाई पदों पर नई तैनाती की प्रक्रिया तेज कर दी है। नियुक्ति पत्र वितरण की तारीख भी 27 अगस्त तय कर दी गई है। नई भर्तियों की आहट से संविदा मुख्य सेविकाओं की बेचैनी और बढ़ गई है। उनका कहना है कि जब वे वर्षों से अनुभव और दक्षता के साथ विभागीय योजनाओं को चला रही हैं, तो उन्हें स्थायी पदों पर क्यों नहीं समायोजित किया जा रहा।

अनुभव और योग्यता का अनदेखा होना

संगठन का तर्क है कि संविदा मुख्य सेविकाएं किसी भी लिहाज से नई नियुक्त मुख्य सेविकाओं से कमतर नहीं हैं। योग्यता में सक्षम और अनुभव में कहीं आगे होने के बावजूद उन्हें हर साल सेवा विस्तार की बैसाखी पर खड़ा कर दिया जाता है। आदेश में देरी होते ही उनका वेतन व मानदेय भी रुक जाता है, जिससे परिवार की रोज़मर्रा की जरूरतें प्रभावित होती हैं।

संगठन ने बुलाई निर्णायक बैठक

इसी मसले को लेकर संविदा मुख्य सेविकाओं का संगठन अब आर-पार की लड़ाई के मूड में है। 24 अगस्त को एक बड़ी और निर्णायक बैठक बुलाकर सरकार से मांग तेज करने का ऐलान किया गया है। संगठन के नेताओं ने साफ कहा कि यदि सरकार वास्तव में संविदा मुख्य सेविकाओं की वेदना खत्म करना चाहती है, तो रिक्त स्थाई पदों पर इन्हें समायोजित कर न्याय दे।

हर साल रहती है चिंता, हर बार करना होता है संघर्ष

संविदा मुख्य सेविकाएं कहती हैं कि हर साल सेवा विस्तार के नाम पर अनिश्चितता की स्थिति से गुजरना अब असहनीय हो गया है। उनका दर्द है कि 22 साल से नौकरी कर रही महिलाएं अब भी खुद को असुरक्षित महसूस करती हैं, जबकि सरकार चाह ले तो यह वेदना एक झटके में खत्म हो सकती है।

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