रिटायर्मेंट पर मुख्य सेविका उर्मिला देवी को दी गई भावभीनी विदाई
सीडीपीओ अभिषेक दुबे ने आयोजित किया समारोहपूर्वक कार्यक्रम
सभी ने की रिटायर हो रही मुख्य सेविका के स्वस्थ और सुनहरे भविष्य की कामना
प्रदीप मिश्रा, प्रमुख संवाददाता

Gonda News ::

शुक्रवार को बाल विकास कार्यालय पण्डरी कृपाल की मुख्य सेविका उर्मिला देवी की सेवानिवृत्ति के पश्चात विदाई समारोह का आयोजन किया गया जिसके दौरान मुख्य सेविका उर्मिला देवी द्वारा उनके सफल कार्यकाल की सराहना करते हुए सीडीपीओ अभिषेक दूबे ने कहा कि मुख्य सेविका उर्मिला देवी ने अपने पूरे कार्यकाल के दौरान जिस कर्तव्य निष्ठा और सेवा भावना का परिचय दिया वह निश्चित रूप से अनुकरणीय है, उन्होंने विभाग के सभी कार्य को पूरे मनोयोग से किया और साथ ही बच्चों को कुपोषण से दूर रखने में कोई कसर नहीं छोड़ी। 27 वर्ष एक आंगनबाड़ी कार्यकत्री के रूप में उर्मिला देवी ने बच्चों, गर्भवती महिलाओं को सुपोषित करने का भरसक प्रयास तो किया ही साथ ही साथ मुख्य सेविका के रूप में 10 वर्षीय कार्यकाल के दौरान कुल 73 अतिगम्भीर कुपोषित बच्चों को पोषण पुर्नवास केन्द्र पर भर्ती करवाकर स्वथ्य एवं सुपोषित कराने का पुनीत कार्य किया यही सुपोषित बच्चे ही आगे चलकर रखेंगे विकसित भारत की नीव रखेंगे। विदाई समारोह के दौरान मुख्यसेविका उर्मिला देवी का पुष्पगुच्छ देकर सम्मानित किया गया एवं उनको शॉल, प्रतीकात्मक रूप से श्रीराम मन्दिर, रामचरितमानस पुस्तक के अलावा सूटकेस और छाता प्रदान किया। विदाई समारोह में उपस्थित अन्य लोगों ने भी स्वेच्छानुसार मुख्य सेविका को उपहार दिया। मुख्यसेविका उर्मिला देवी ने इस आयोजन हेतु सभी आभार व्यक्त किया बताया कि, “मैंने जीवनपर्यन्त ईमानदारीपूर्वक कार्य किया और आज अपने सेवानिवृत्ति के पूर्ण सन्तुष्टि के साथ विभाग से विदा ले रहीं हूँ।” विदाई समारोह में जनपद की अन्य मुख्य सेविका गरिमा राजन, अंकिता श्रीवास्तव, उमा श्रीवास्तव, शकुन्तला देवी, शकुन्तला गुप्ता आदि ने उर्मिला को उपहार भेंट किया और स्वस्थ भविष्य के लिए उन्हें शुभकामना दी। कार्यालय लिपिक ताराचन्द जोशी ने उर्मिला देवी के कार्यकाल को सराहा और उनके सुखद एवं निरोगी भविष्य की शुभकामना दी। जोशी ने कहा कि उर्मिला ने जीवन के अनमोल 37 वर्ष तक विभाग में त्याग, लगन, कर्मठतापूर्ण सेवाएँ दी। सदभाव पूर्ण काम करते हुए विभाग के सभी क्रियाकलापों में बेहतर योगदान दिया, हर कार्य को एक चुनौती के रूप में लिया और उस चुनौती को पूरा किया। हर परिस्थिति में बिना विचलित हुए दृढ़ता के साथ विभाग में कार्य किया।

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