प्रदीप मिश्रा वरिष्ठ संवाददाता

Gonda News : नये शिक्षा सेवा चयन आयोग अधिनियम -2023 को वापस लेकर चयन बोर्ड व चयन बोर्ड अधिनियम को यथावत रखने, पुरानी पेंशन व्यवस्था को बहाल करने तथा मानदेय, आउट सोर्सिंग नियुक्तियों व जन साधारण की शिक्षा व्यवस्था के निजीकरण को तत्काल बंद किये जाने की तीन सूत्रीय मांगों को लेकर माध्यमिक शिक्षा से जुड़े दस संगठनों द्वारा बनाये गये उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षक संघ – संयुक्त मोर्चा के आह्वान पर सोमवार को जिलाधिकारी कार्यालय पर जिले के शिक्षकों एवं शिक्षणेत्तर कर्मचारियों ने प्रदर्शन कर मुख्यमंत्री को सम्बोधित ज्ञापन एडीएम को सौपा ।

उपरोक्त जानकारी देते हुए संयुक्त मोर्चा के जिला संयोजक अनिल सिंह ने बताया कि नया शिक्षा सेवा चयन आयोग कार्यरत शिक्षकों और बेरोजगार युवाओं दोनों के हक में नहीं है। यह शिक्षकों की सेवा सुरक्षा को समाप्त करने तथा शिक्षकों की नई भर्ती को बंद करने की साजिश है। नये आयोग का गठन ही दोषपूर्ण है। इसके 12 सदस्यों में से 6 सदस्यों के न्यूनतम योग्यता का ही पता नहीं है और 4 सदस्य शिक्षा विभाग के रिटायर्ड अधिकारी होंगे। इसलिए संयुक्त मोर्चा चयनबोर्ड को यथावत बनाये रखने की मांग कर रहा है

जिला सह संयोजक विजय प्रकाश विद्रोही ने बताया कि उत्तर प्रदेश के अधिकांश जिलों में एनपीएस के घोटाले शुरू हो गए हैं, आगे चल कर यह विश्व का सबसे बड़ा घोटाला बन सकता है। सरकार इसको बंद करके तत्काल पुरानी पेंशन योजना को लागू करे। जिला सहसंयोजक ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति के प्रारूप में केवल मौलिक और स्थायी शिक्षक नियुक्त करने का सुझाव दिया गया था, सरकार इसके विरुद्ध मानदेय एवं आउटसोर्सिंग से नियुक्तियां कर रही है और धीरे धीरे जनसाधारण की शिक्षा का निजीकरण कर रही है। इससे गरीबों के बच्चे शिक्षा से ही वंचित हो जाएंगे। इसलिए संयुक्त मोर्चा सभी माध्यमिक विद्यालयों के राजकीयकरण किये जाने की माँग कर रहा है।

यदि सरकार ने संयुक्त मोर्चा के प्रतिनिधिमंडल से शिक्षकों की तीन सूत्रीय मांगों पर वार्ता कर समाधान नहीं किया तो 11 दिसम्बर को लखनऊ में बड़ा प्रदर्शन किया जायेगा, जिसके लिए सरकार जिम्मेदार होगी । आज के कार्यक्रम में आदि शिक्षक, कर्मचारी उपस्थित रहे ।

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