इस्लाम खां (रिपोर्टर)

विश्व पर्यापरण दिवस पर विशेष

जानलेवा हैं सभी प्रदूषण, अनजाने में सभी खुद ही बढ़ा रहे खतरा

गोण्डा। जिन जरूरी चीजों के बिना जीवन का चार पल भी जीना दुश्वार हो जाता है वही जीवनदायिनी चीजों में जहर घुलने लगा है। हवा, पानी ऐसी ही चीज है जिनके बिना जीने की कल्पना कोई भला कैसे कर सकता है। मगर जाने अनजाने में खुद ही के हाथों से इनमें जहर घुलने लगा है। यह जहर अभी हल्के स्तर पर है तो जीवन पर खतरे के बादल मंडरा आए हैं। हवा में घ़ुलने वाला वायु प्रदूषण और फिर पानी में घुलने वाला जल प्रदूषण स्वस्थ इंसान व जीवों को बीमार बना रहा है आर बीमार लोगों को मौत मुहाने पर खड़ा कर रहा है। आज विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर सभी को एक साथ संकल्प लेने की जरूरत है कि वायु, जल प्रदूषण को घटाएंगे इसके पक्के इंतजाम करेंगे और जहां हमारा रहन सहन है उसे साफ सुथरा रखकर स्थलीय प्रदूषण को जगह बनाने से पूरी तरह से रोकेंगे।

जिले में है स्थलीय प्रदूषण : प्रदूषण के कारकों की नाजानकारी, जागरुकता की कमी ने लोगों के आसपास कूड़ा कचरा पनपाने में सहायक बन गई। यह हाल शहरी क्षेत्र के अलावा ग्रामीण क्षेत्र का भी है। जिसमें प्लास्टिक कचरे, जलभराव व कूड़े की दम घुटा देने वाली सड़न हमारे हवा में जहर घोलने का काम कर रही है।
वायु प्रदूषण इंजन, वाहनों से बढ़ता जा रहा : वायु प्रदूषण इंजन और वाहनों के जरिए बढ़ रहा है। इसके अलावा कई तरह के आधुनिक मशीनी संसाधनों के जरिए वायु प्रदूषण को बढ़ावा मिला है। हवा को शुद्ध करने वाले महत्वपूर्ण कारक हमारे वृक्षों व पौधों की कटान बढ़ने और और कटान के एवरेज में नए पौधों को नहीं लगाए जाने के कारण प्रदूषण की वायु में मात्रा नहीं कम की जा सकी है। बल्कि इसमें चिंताजनक बढ़ोत्तरी दर्ज की जा रही है।
जल प्रदूषण संक्रामक बीमारियों को देती है न्यौता : जिले में जल प्रदूषण पूरी तरह से अंजाने में हो रहा है। जो लोग जानकार हैं भी वो भी इसे काफी हल्केपन में ले रहे हैं। उन्हें लगता है कि ऐसा वे अकेले हैं जो कर रहे हैं जबकि इसी तरह की सोच रखते हुए तमाम लोग यह कर रहे हैं। बाहिरी कचरे को पीने योग्य जल में मिलने देना सबसे खतरनाक है। हो यह रहा है कि सीवर का गंदा हानिकारक और प्रदूषित पानी सीधे जमीन के भीतर बोरिंग करके जाने दिया जा रहा है। जबकि इसपर सरकार ने प्रतिबंध लगा रखा है। नालियों के पानी को जमीन के भीतर बोर करके मिलने देना देखने सुनने में चाहे जितना सहज क्यूंं ना लगे मगर यह शुद्ध पेयजल के स्तर में जहर मिलाने जैसा है। इसमें घुले हुए घातक रसायन जीवन को खतरे में डालने का काम करते हैं जबकि बैक्टीरिया, वायरस जान का जोखिम बढ़ाते हैं।
शहरी कचरों के जलने से उठने वाला धुंआ बर्बाद कर सेहत : शहरी कचरे के निस्तारण की व्यवस्था यहां जिले में नहीं है बल्कि कूड़ा डम्पिंग ग्राउण्ड है। इस मैदान में कचरे के किसी वजह से आग जलने के कारण जानलेचा धुंआ अनवरत उटता रहता है जो जानलेवा होता है। ग्रामीण क्षेत्रों में भी आरईसी सेंअर स्थापित करने की योतना आई है जिसपर काम चल रहा है। कई गांव इसका निर्माण करा रहे हैं जिससे घरेलू कचरे का निस्तारण कराया जा सके।
पर्यावरणीय पर्यटन के विकास पर दिया जाए जोर : पर्यावरणीय पर्यटन यानी ऐसी प्राकृतिक संपदाओं पर आधारित पर्यटन के विकास पर जोर दिया जाए जिसमें पेड़ पौधे, झील, पार्क का समग्र रूप से विकास किया जाए। इसमें लोगों को टहलने की आदत बने इसके लिए जागरुकता बढ़ाई जाए। प्रेरित होकर लोग अपने घरों, खेत खलिहानों में पेड़ पौधों को लगाने के लिए उत्सुक हों और अपने आसपास खुशनुमा सेहतमंद माहौल तैयार करें।

योगाचार्य कर रहे हैं खतरों से जागरुक : प्रदूषण से लोगों के जीवन पर बढ़े हुए खतरों से बचाने के उपाय योगाचार्य करते दिखते हैं। योगाचार्य सुधांशू द्विवेदी ने बताया कि पर्यावरणीय प्रदूषण को रोकने की कक्षाएं भी वे साधकों को देते हैं। योग करने वाले लोग प्रकृति के प्रति विनम्र हो जाते हैं। वे लोग पेड़ पौधों व पक्षियोें व जीवों के बीच अपने जीवन की तलाश करते हैं।
चिकित्सक बीमारी होने पर मरीजों को बता रहे प्रदूषण के खतरे : जीवन पर आफत के क्षणों में ही मरीज बनकर लोग चिकित्सकों के पास जा रहे हैं। ऐसे में लक्षण के आधार पर यदि चिकित्सक प्रदूषण को रोग का कारण पाते हैं तो वे उसके निदान के बारे में मरीजों को गहनता से जानकारी देते हैं। चिकित्सक सभी तरह के प्रदूषण को खतरनाक बताते हैं। जिले में प्रदूषण डब्ल्यूएचओ के मानक के मुकाबले सात गुना है।

 

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