महिलाओं बच्चियों के हक की लड़ाई लड़ते समय काम के घण्टे नहीं गिनती है वन स्टॉप सेंटर की महिला ब्रिगेड
अब तक तकरीबन ढाई हजार बच्चियों और महिलाओं को दिला चुका है उनके अधिकार
जिले में साकार हो रही वन स्टॉप सेंटर से महिला शक्ति की परिकल्पना
महिलाओं और बच्चियों के लिए मां के आँचल की तरह है महिला कल्याण विभाग का ये अनूठा केंद्र
केंद्र के एक छत के नीचे मिल रही पीड़ित शोषित महिलाओं बच्चियों को सभी सहायता
टोल फ्री नंबर 181 के जरिए वन स्टॉप सेंटर से महिलाओं और बच्चियों को मिलती है सीधी सहायता
प्रदीप मिश्रा, प्रमुख संवाददाता
Gonda News ::
समस्याओं से पीड़ित महिलाओं व बच्चियों के लिए महिला कल्याण विभाग का वन स्टॉप सेंटर किसी वरदान से कम नहीं है। जिले मे वर्ष 2020 में अपनी स्थापना के बाद से अब तक तक़रीबन ढाई हजार महिलाओं और बच्चियों को इसका सीधा लाभ पहुंचा है। सेंटर पर कार्यरत महिला स्टाफ ने उन्हें विभिन्न उलझनों से निकालकर बाहर कर दिया है। इसके लिए वन स्टॉप सेंटर पर कार्यरत ये महिला अधिकारी और कर्मचारी अपने काम के घण्टे तक नहीं गिनती हैं। वे पीड़ित महिला और बच्ची के लिए तबतक के लिए जुट जाती हैं कि जब तक उन्हें राहत नहीं दिला देती हैं। इसके लिए पुलिस, कोर्ट, स्वास्थ्य विभाग की मदद लेकर उन्हें लाभ दिलाने का कार्य किया जाता है।
सेन्टर इंचार्ज चेतना सिंह बताती हैं कि जैसी जरूरत उन्हें पड़ती है जिला प्रशासन से उन्हें उतनी मदद मुहैया करा दी जाती है, जिससे कार्य आसान तो हो ही जाता है, साथ ही पीड़िता को राहत भी जरूर से जरूर मिल जाती है। इसके लिए वे अपने उच्चधिकारियों के सम्वेदनशीलता का बखान करते नहीं थकतीं। वे जिलाधिकारी नेहा शर्मा और जिला प्रोबेशन अधिकारी संतोष कुमार सोनी को सरल और सम्वेदनशील अफसर बताती हैं। यही नहीं जब सेंटर इंचार्ज चेतना सिंह से बात की गई तो उन्होंने अपने सहयोगी स्टाफ की सराहना की, कहा कि उनके सहयोग के बिना महिलाओं और बच्चियों के लिए किया जाने वाला ये कार्य सम्भव नहीं हो सकता था।
पीड़िताओं के लिए मां के आँचल सरीखा है वन स्टॉप सेंटर ::
वन स्टॉप सेंटर पीड़ित महिलाओं और बच्चियों के लिए मां के आँचल सरीखा है। यहां पर 181 पर फोन कॉल करके आने वाली या फिर पुलिस द्वारा लाई जाने वाली पीड़िताओं को अधिकतम पांच दिन तक रखने का प्राविधान किया गया है। इस बीच सेंटर पर तैनात विभागीय टीम उनकी समस्याओं का समाधान खोज निकालती हैं। सेंटर इंचार्ज चेतना बताती हैं कि कई बार फोन कॉल के माध्यम से आई सूचना के मुताबिक समस्याओं में बुरी तरह फंसी पीड़िताओं के लिए रेस्क्यू ऑपरेशन करना पड़ता है। जिसे साहस के साथ पूरा किया जाता है।
पीड़िता की काउंसलिंग करतीं हैं वन स्टॉप सेंटर की महिला कर्मचारी :
पीड़ित महिलाओं और बच्चियों को अपनेपन का एहसास दिलाकर वन स्टॉप सेंटर का स्टाफ उनकी काउंसिलिंग करता है। स्टाफ ये जानने की कोशिश करता है कि पीड़िता की असली समस्या क्या है। समस्या की जड़ तक पहुंचकर उसका स्थाई हल निकाल लिया जाता है। सेंटर पर कार्यरत महिला कर्मी निधि त्रिपाठी ने बताया कि थानों से आए केस का समाधान कराया जाता है। इसके लिए पीड़िता के परिवार के लोगों से बात की जाती है। जरूरत पड़ने पर उन्हें निःशुल्क विधिक सहायता भी मुहैया करायी जाती है।

कई महिलाओं और बच्चियों को उनके समस्याओं से बाहर निकाल कर उन्हें उनके पैरों पर खड़ा कर देने तक कि निगरानी भी की जाती है। उन्हें स्वरोजगार से जोड़ने के लिए प्रतिष्ठित प्रशिक्षण संस्थानों से उनके कौशल का विकास किया जाता है। प्रशिक्षण दिलाकर कई लोगों को बाहर निकाला गया है जिनके संघर्षों की कहानी अन्य पीड़िताओं के लिए प्रेरणादायी हैं।
चेतना सिंह, सेंटर इंचार्ज, वन स्टॉप सेंटर, गोंडा ।
विभाग महिला कल्याण से जुड़े कार्यक्रमों को पूरी निगरानी के साथ संचालित करता है। वन स्टॉप सेंटर ने जिले में बेहतर कार्य किया है। अन्य जिलों के मुकाबले यहां से हुए कार्य प्रेरणादायक हैं।
संतोष कुमार सोनी, जिला प्रोबेशन अधिकारी, गोंडा ।



