फीस प्रतिपूर्ति के नाम पर एक करोड़ रुपये से अधिक का फर्जीवाड़ा
: संचालक ने 15 फर्जी स्कूल दिखाकर की करोड़ों की हेराफेरी
प्रदीप मिश्रा, प्रमुख संवाददाता
Gonda News
गोंडा जिले में शिक्षा के क्षेत्र में एक बड़े घोटाले का पर्दाफाश हुआ है, जहां शिक्षा का अधिकार अधिनियम (आरटीई) के तहत गरीब बच्चों को प्रवेश दिलाने के नाम पर एक करोड़ रुपये से अधिक की धनराशि का घोटाला सामने आया है। आरोप है कि एक स्कूल संचालक ने कागजों में 15 स्कूलों का फर्जी संचालन दिखाया और उन स्कूलों में बच्चों के नामांकन के जाली दस्तावेज बनाकर बेसिक शिक्षा विभाग से फीस प्रतिपूर्ति के नाम पर मोटी रकम प्राप्त कर ली। शिकायत मिलने के बाद जिलाधिकारी ने मामले की गंभीरता को देखते हुए तुरंत जांच के आदेश दिए हैं और एक तीन सदस्यीय समिति का गठन किया है। इस समिति को 15 दिनों के भीतर अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया गया है।
: कागजों पर स्कूल, हकीकत में फर्जीवाड़ा
इस घोटाले का खुलासा तब हुआ जब परसपुर के नंदौर गांव के रहने वाले रविन्द्र सिंह ने शिकायत दर्ज कराई। शिकायत में आरोप था कि ग्राम नंदौर नौसहरा में संचालित दिखाए गए 15 स्कूल वास्तव में अस्तित्व में ही नहीं हैं। स्कूल संचालक ने कागजों में इन स्कूलों का संचालन दर्शाकर आरटीई के तहत गरीब बच्चों का फर्जी नामांकन किया और फीस प्रतिपूर्ति के रूप में बड़ी धनराशि का गबन कर लिया। शिकायत में यह भी बताया गया कि एक ही बच्चे का नामांकन तीन-तीन अलग-अलग स्कूलों में दिखाकर संचालक ने धांधली की, जिससे सरकार से करोड़ों रुपये की धनराशि प्राप्त की गई।
जिलाधिकारी ने दिए जांच के सख्त आदेश
शिकायत मिलने के बाद जिलाधिकारी ने तुरंत मामले का संज्ञान लिया और तीन सदस्यीय समिति का गठन कर दिया। इस समिति की अगुवाई उप जिलाधिकारी करेंगे, जबकि अन्य दो सदस्य जिला पंचायत के वित्त एवं लेखाधिकारी और परसपुर के खण्ड विकास अधिकारी होंगे। समिति से कहा गया है कि वह 15 दिनों के भीतर अपनी जांच रिपोर्ट प्रस्तुत करें। रिपोर्ट के आधार पर आगे की कार्रवाई की जाएगी और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने का आश्वासन दिया गया है।
जांच समिति को कई महत्वपूर्ण बिंदुओं पर ध्यान केंद्रित करना है, जिनमें शामिल हैं:
विद्यालय की मान्यता की जांच:
समिति यह देखेगी कि स्कूलों को प्राप्त मान्यता वैध है या नहीं, और क्या वे मान्यता की शर्तों के अनुसार संचालन कर रहे हैं।
विद्यालय का स्थान:
यह भी देखा जाएगा कि जिन स्थानों पर स्कूलों का संचालन दिखाया गया है, क्या वहां वाकई में विद्यालय संचालित हो रहे हैं या नहीं।
अध्यापकों का सत्यापन:
जांच में यह भी शामिल होगा कि विद्यालय में मान्यता के समय दर्ज किए गए अध्यापकों का विवरण सही है या नहीं और वर्तमान में कितने अध्यापक कार्यरत हैं।
छात्रों का कक्षावार सत्यापन:
विद्यालय में नामांकित छात्रों की संख्या और उनकी वास्तविकता का भी सत्यापन किया जाएगा।
फीस और धनराशि का सत्यापन:
आरटीई के तहत दाखिल बच्चों की फीस प्रतिपूर्ति के नाम पर ली गई राशि का वर्षवार सत्यापन किया जाएगा। इसमें यह देखा जाएगा कि फीस प्रतिपूर्ति की गई राशि को सही तरीके से खर्च किया गया है या नहीं।
जांच में सामने आए फर्जी स्कूल: कागजों में स्कूल, जमीन पर कुछ नहीं
जांच के दौरान खुलासा हुआ कि जिन स्कूलों को संचालित दिखाकर बच्चों का नामांकन और फीस प्रतिपूर्ति की गई, वे वास्तविकता में धरातल पर मौजूद ही नहीं हैं। यह पता चला कि इन स्कूलों का संचालन केवल कागजों में दिखाया गया था। इस पर जिलाधिकारी ने तुरंत फीस प्रतिपूर्ति का भुगतान रोकने के आदेश दिए और स्कूल संचालक से स्पष्टीकरण मांगा। संचालक ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए जांच प्रक्रिया पर सवाल उठाए और मांग की कि इस मामले की जांच किसी अन्य विभाग के अधिकारी से कराई जाए।
दोषियों पर होगी कड़ी कार्रवाई
जिलाधिकारी ने यह स्पष्ट किया है कि जांच रिपोर्ट आने के बाद दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। यदि जांच में फर्जी नामांकन और फीस प्रतिपूर्ति की पुष्टि होती है, तो दोषियों पर आपराधिक मामले दर्ज किए जाएंगे। इसके अलावा, बेसिक शिक्षा विभाग के उन अधिकारियों पर भी कार्रवाई की जाएगी, जिन्होंने इस घोटाले में सहयोग या मिलीभगत की होगी। जिलाधिकारी ने कहा कि सरकार शिक्षा के क्षेत्र में पारदर्शिता बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध है और इस प्रकार के घोटालों को किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
शिक्षा क्षेत्र में बड़े फर्जीवाड़े की ओर इशारा
यह फर्जीवाड़ा केवल एक जिले तक सीमित नहीं है, बल्कि यह पूरे शिक्षा क्षेत्र में भ्रष्टाचार की जड़ें उजागर करता है। शिक्षा का अधिकार अधिनियम (आरटीई) के तहत गरीब बच्चों को मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा प्रदान करने के उद्देश्य से सरकार ने फीस प्रतिपूर्ति की व्यवस्था की थी, लेकिन इस व्यवस्था का गलत फायदा उठाकर कुछ संचालक और अधिकारी मिलकर फर्जीवाड़े कर रहे हैं। इसके सामने आने के बाद उम्मीद की जा रही है कि सख्त कदम से पारदर्शिता सुनिश्चित होगी।



