68 साल के होकर घर लौटे त्रिजुगी नारायन: किशोरावस्था में गायब होकर दिल्ली और श्रीलंका में बिताए जीवन के 51 साल, परिवार में छाई खुशी
प्रदीप मिश्रा, प्रमुख संवाददाता
Gonda News :
– गोंडा जिले के कौड़िया थाना क्षेत्र के ग्राम पंचायत जेठपुरवा के रहने वाले त्रिजुगी नारायन की कहानी किसी फिल्मी पटकथा से कम नहीं है। मात्र 17 वर्ष की उम्र में, एक किशोर के रूप में, वह अचानक घर से गायब हो गए थे। परिजनों ने उन्हें खोजने का हर संभव प्रयास किया, पर कोई सुराग हाथ नहीं लगा। समय बीतता गया और परिवार ने उम्मीद छोड़ दी थी कि वह कभी लौटेंगे। लेकिन त्रिजुगी नारायन ने अपनी जिंदगी के 68वें साल में लौटकर एक अनकही दास्तां सुनाई, जिसने परिवार की आंखों में आंसू आ गए।
त्रिजुगी नारायन बताते हैं कि वह अचानक दिल्ली पहुंच गए थे। वहां कुछ समय बिताने के बाद उन्हें एक अजनबी व्यक्ति मिला जिसने उन्हें श्रीलंका ले जाने का प्रस्ताव दिया, यह वादा करते हुए कि वहां उनके लिए नौकरी की व्यवस्था कर देगा। लेकिन श्रीलंका पहुंचने पर स्थिति बदल गई। वादा करने वाला व्यक्ति उन्हें छोड़कर चला गया और उनके पास कोई काम नहीं था। त्रिजुगी नारायन ने समुद्र तट के किनारे रहने का निर्णय लिया और वहां 30 साल तक गुजर-बसर की। स्थानीय लोग उन्हें भोजन और पानी दे दिया करते थे जिससे उनका जीवन चलता रहा।
श्रीलंका में बिताए वर्षों के दौरान त्रिजुगी नारायन को हमेशा अपने परिवार की याद सताती थी। लेकिन वे भारत लौटने का कोई साधन नहीं खोज पाए। इसी बीच, किस्मत ने एक बार फिर उनके जीवन में करवट ली जब उन्हें एक भारतीय व्यक्ति मिला। उन्होंने अपनी कहानी उसे सुनाई, जिसने उनकी मदद की और उन्हें पानी के जहाज से आंध्र प्रदेश के हैदराबाद तक पहुंचा दिया। हैदराबाद में भी वे कुछ समय के लिए इधर-उधर भटकते रहे, लेकिन उनकी अंतर्निहित इच्छा उन्हें दिल्ली तक वापस खींच लाई।
भाषा से मिली पहचान, घर लौटने का रास्ता
दिल्ली में भटकते हुए, एक दिन त्रिजुगी नारायन की मुलाकात गोंडा के रहने वाले एक व्यक्ति से हुई। बातचीत के दौरान, उस व्यक्ति ने उनकी बोली को पहचान लिया और पूछा, “क्या आप गोंडा से हैं?” यह सवाल त्रिजुगी नारायन के लिए जीवन की दिशा बदलने वाला साबित हुआ। उन्होंने सहमति में सिर हिलाया और घर लौटने की इच्छा व्यक्त की। वह व्यक्ति उन्हें रेलवे स्टेशन लेकर गया और ट्रेन पर बैठा दिया। इसके बाद, त्रिजुगी नारायन गोंडा पहुंच गए।
घर लौटने की खुशी और परिवार का भावुक मिलन हुआ
जब त्रिजुगी नारायन अपने गांव लौटे, तो उनके परिवार में किसी ने भी यह उम्मीद नहीं की थी कि वह दोबारा मिलेंगे। उनके छोटे भाई को जैसे ही इस खबर की सूचना मिली, वह तुरंत स्टेशन पहुंचे और उन्हें घर लेकर आए। वर्षों बाद उन्हें देख, परिवार में भावनाओं का ज्वार उमड़ पड़ा। उनका आना पूरे गांव के लिए एक अद्भुत घटना थी और यह साबित करता है कि जीवन में असंभव कुछ भी नहीं।
त्रिजुगी नारायन की इस अनोखी यात्रा ने न केवल उनके परिवार को बल्कि पूरे गांव को चौंका दिया। उनका संघर्ष और उनकी कहानी हर उस व्यक्ति के लिए प्रेरणास्रोत है, जो कठिनाईयों के बावजूद उम्मीद नहीं छोड़ते।



