बाबू ईश्वर शरण अस्पताल में मरीजों की परेशानी: प्लास्टर के लिए बाहर से खरीदनी पड़ रही पीओपी
खरीद के लिए अस्पताल प्रशासन फाइल चलाने में ही उलझकर रह जा रहा
बड़ा सवाल ये है कि जेम पोर्टल और टेन्डर के इंतजार में कैसे चले इमर्जेंसी मरीजों के इलाज
प्रदीप मिश्रा, प्रमुख संवाददाता

Gonda News :
गोण्डा। बाबू ईश्वर शरण अस्पताल, जो स्वशासी मेडिकल कॉलेज से संबद्ध है, यहां मरीजों को दोहरी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। प्लास्टर बंधवाने आए मरीजों को पहले सरकारी फीस अदा कर रसीद कटानी पड़ती है और फिर खुद बाजार से पीओपी (प्लास्टर ऑफ पेरिस) खरीदनी पड़ रही है। बुधवार को अस्पताल में पीओपी का स्टॉक पूरी तरह समाप्त हो गया, जिससे मरीजों और उनके परिजनों को खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ा।
जानकार बताते हैं कि जैम पोर्टल पर दीवालों पर लगने वाला प्लास्टर ऑफ पेरिस की उपलब्धता है, इस पलास्टर ऑफ पेरिस से प्लास्टर करने पर मानव शरीर पर खुजली होने, दाने पड़ जाने, इससे संक्रमण होने और फिर पैर हाथ में सड़न पकड़ लेने तक का खतरा हो सकता है, बताया जाता है कि दीवाल पर लगने वाले प्लास्टर में कास्टिक जैसा प्रभाव होता है। जानकार बताते हैं कि मेडिकल कॉलेज के पास खुद से और इमर्जेंसी मे इलाज से जुड़े सामानों की खरीद करने के लिए फंड होना चाहिए, यहां फाइल चलाने से जादा जरूरी मरीजों का जीवन होता है। जेम पोर्टल पर मानव उपयोगी पीओपी उपलब्ध न होने के कारण खरीद नहीं हो पा रही है। ऐसे में मरीजों को पीओपी खरीदकर लाने के लिए कहा जाता है।
पीओपी की आपूर्ति पड़ी हुई है ठप, मरीजों को हो रही परेशानी
अस्पताल प्रशासन के अनुसार, जेम (GEM) पोर्टल पर पीओपी उपलब्ध न होने के कारण खरीद की प्रक्रिया अटक गई है। सरकारी नियमों के अनुसार, एक लाख रुपये से अधिक की खरीद केवल जेम पोर्टल से ही की जा सकती है, लेकिन पोर्टल पर पीओपी उपलब्ध न होने के चलते यह प्रक्रिया अधर में लटक गई है।
प्लास्टर कक्ष में रोजाना करीब 40 किलोग्राम पीओपी की खपत होती है, जिससे 20 से 25 मरीजों का प्लास्टर किया जाता है। लेकिन वर्तमान स्थिति में, मरीजों को मजबूरी में बाहर से पीओपी खरीदनी पड़ रही है, जिससे उनके ऊपर अतिरिक्त वित्तीय बोझ पड़ रहा है।
प्लास्टर कक्ष में महज मुट्ठीभर बचा पीओपी
सूत्रों के अनुसार, सोमवार को प्लास्टर कक्ष में महज एक मुट्ठी पीओपी बची थी, जो किसी भी मरीज के लिए पर्याप्त नहीं थी। बुधवार तक स्टॉक पूरी तरह खत्म हो गया, जिसके बाद मरीजों को खुद ही बाजार से पीओपी लानी पड़ी। सरकारी शुल्क के रूप में मरीजों को बड़े प्लास्टर के लिए 268 रुपये और छोटे प्लास्टर के लिए 68 रुपये अदा करने होते हैं, लेकिन पीओपी अस्पताल से न मिलने के कारण उन्हें अलग से बाहर से खरीदनी पड़ रही है।
मेडिकल कॉलेज प्रशासन ने दिया आश्वासन

मेडिकल कॉलेज के प्रधानाचार्य प्रो. धनंजय श्रीकांत कोटास्थाने ने कहा कि मामला उनके संज्ञान में है, मरीजों को किसी प्रकार की परेशानी न हो, इसके लिए वैकल्पिक रास्ता अपनाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि स्थानीय स्तर पर पीओपी की खरीद सुनिश्चित की जाएगी, ताकि मरीजों को खुद बाहर से पीओपी न लानी पड़े।

फाइलों में उलझी आपूर्ति, इमरजेंसी में खरीद के लिए अलग फंड की जरूरत
विशेषज्ञों का मानना है कि मेडिकल कॉलेज और उससे जुड़े अस्पतालों को इमरजेंसी खरीद के लिए अलग से फंड दिया जाना चाहिए, ताकि इस तरह की समस्याएं न आएं। वर्तमान व्यवस्था के तहत, किसी भी जरूरी मेडिकल सामान की खरीदारी जेम पोर्टल से ही करनी होती है, लेकिन अगर वहां वस्तु उपलब्ध न हो तो पूरी प्रक्रिया अटक जाती है।
क्या है जेम पोर्टल और इसमें क्या दिक्कतें आ रही हैं?
जेम (Government e-Marketplace) पोर्टल सरकारी खरीददारी के लिए बनाया गया एक ऑनलाइन प्लेटफॉर्म है, जहां से सभी सरकारी संस्थाएं आवश्यक वस्तुओं की खरीद कर सकती हैं। हालांकि, अगर किसी वस्तु की उपलब्धता पोर्टल पर नहीं है, तो उसकी खरीद प्रक्रिया बाधित हो जाती है, उसके लिए जेम पोर्टल प्रबंधन को अलग से कई कई राउंड पत्राचार करना पड़ता है पोर्टल अपने प्लेटफॉर्म पर अमुक चीज़ की उपलब्धता सुनिश्चित करे। जैसा कि बाबू ईश्वर शरण अस्पताल में हो रहा है।
आखिर मरीजों की परेशानियां कब होंगी खत्म?
अस्पताल प्रशासन का दावा है कि जल्द ही पीओपी की उपलब्धता सुनिश्चित की जाएगी, लेकिन फिलहाल मरीजों को इस असुविधा से गुजरना पड़ रहा है। जरूरत इस बात की है कि सरकार और प्रशासन ऐसे हालात से निपटने के लिए वैकल्पिक व्यवस्था करें, ताकि मरीजों को बार-बार परेशान न होना पड़े।

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