बाबू ईश्वर शरण अस्पताल में मिस मैनेजमेंट से मरीजों की बढ़ी हुई हैं मुश्किलें
वार्ड से वार्ड भटकते रहे जाते हैं मरीज, नहीं मिल पाती है सही जानकारी
प्रदीप मिश्रा, प्रमुख संवाददाता

Gonda News :

गोंडा। राजकीय मेडिकल कॉलेज से संबद्ध बाबू ईश्वर शरण अस्पताल इन दिनों मिस-मैनेजमेंट और विभागों के बीच आपसी खींचतान का शिकार हो गया है। इसका खामियाजा सीधे तौर पर मरीजों और उनके परिजनों को भुगतना पड़ रहा है। अस्पताल में समन्वय की कमी के चलते मरीजों को बेड की उपलब्धता, जांच केंद्रों और सही वार्ड की जानकारी के लिए इधर-उधर भटकना पड़ रहा है
ऑपरेशन के बाद भी नहीं मिली सुविधा, मरीज को स्ट्रेचर पर वार्ड-वार्ड खींचते रहे परिजन
गुरुवार सुबह अस्पताल में अव्यवस्था का एक शर्मनाक दृश्य देखने को मिला। एक बुजुर्ग मरीज, जिनके कुल्हे में फ्रैक्चर था, का ऑपरेशन हो चुका था और उनकी ईसीजी कराई जानी थी। लेकिन उनके परिजन स्ट्रेचर पर मरीज को एक वार्ड से दूसरे वार्ड में खींचते हुए सही जानकारी पाने के लिए परेशान होते रहे।
स्थिति यह थी कि अस्पताल कर्मचारियों की बेरुखी के कारण कोई यह बताने को भी तैयार नहीं था कि ईसीजी कहां होगी। कई बार पूछने के बाद भी सटीक जानकारी न मिलने के कारण मरीज और उनके परिजन गलियारों में इधर-उधर भटकते रहे।
विभागों के बीच समन्वय की कमी से बढ़ रहीं परेशानियां
बाबू ईश्वर शरण अस्पताल में विभिन्न विभागों के बीच आपसी तालमेल की भारी कमी देखी जा रही है। इस वजह से मरीजों को इलाज से ज्यादा वार्ड और बेड की तलाश में मशक्कत करनी पड़ रही है।
  • मरीजों को भर्ती होने के लिए भी वार्ड-वार्ड चक्कर काटने पड़ रहे हैं।
  • अस्पताल में इमरजेंसी से वार्ड तक की स्पष्ट जानकारी नहीं दी जाती, जिससे मरीजों को सही जगह तक पहुंचने में परेशानी होती है।
  • स्टाफ की लापरवाही और बदइंतजामी मरीजों की तकलीफ और बढ़ा रही है।
सुधार की कोशिशें हुईं, लेकिन अभी भी हैं नाकाफी

हॉस्पिटल मैनेजर डॉ. दीक्षा द्विवेदी ने कहा कि वे अस्पताल में सुधार लाने के लिए पूरी तरह प्रयासरत हैं। उन्होंने बताया कि हाल ही में उनकी तैनाती हुई है और अस्पताल की व्यवस्था को सुधारने के लिए लगातार निगरानी की जा रही है“जल्द ही एक ऐसी व्यवस्था बनाई जाएगी जिसमें इमरजेंसी से लेकर वार्ड तक हर जगह यह जानकारी उपलब्ध होगी कि कौन से वार्ड में कितने बेड खाली हैं। इससे मरीजों को स्ट्रेचर, व्हीलचेयर और वार्ड की तलाश में इधर-उधर नहीं भटकना पड़ेगा।”

अस्पताल प्रबंधन को ठोस कदम उठाने की जरूरत
स्वास्थ्य विशेषज्ञों और स्थानीय नागरिकों का मानना है कि सिर्फ आश्वासन देने से मरीजों की परेशानी दूर नहीं होगी। जब तक अस्पताल प्रशासन विभागीय खींचतान और समन्वय की कमी को दूर नहीं करता, तब तक मरीजों को राहत नहीं मिल सकेगी।
जरूरत है:
बेड की उपलब्धता की एकीकृत जानकारी देने वाली “सिंगल विंडो” व्यवस्था लागू की जाए।
हर वार्ड और महत्वपूर्ण स्थानों पर बड़े साइनेज बोर्ड लगाए जाएं, जिससे मरीजों को दिशा-निर्देश आसानी से मिल सकें।
मरीजों की सहायता के लिए तैनात कर्मचारियों को तय स्थानों पर जिम्मेदारी से ड्यूटी निभाने के निर्देश दिए जाएं।
आखिर मरीजों को कब मिलेगी राहत ?
बाबू ईश्वर शरण अस्पताल में मरीजों के इलाज से ज्यादा वार्ड और बेड की तलाश में मशक्कत करनी पड़ रही है। प्रशासन की ओर से किए जा रहे प्रयास अभी भी नाकाफी नजर आ रहे हैं।
अस्पताल प्रबंधन को चाहिए कि जल्द से जल्द सुनियोजित व्यवस्था लागू कर मरीजों को भटकने से बचाए और अस्पताल की छवि को सुधारने की दिशा में ठोस कदम उठाए। तभी यह अस्पताल एक मिसाल बन सकेगा और मरीजों को सही मायनों में राहत मिलेगी।

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