एसओ और आरआई समेत पांच पर धोखाधड़ी का केस, आरटीओ ऑफिस में हड़कंप
जालसाजी कर बुलेट बाइक का ट्रांसफर कराने का आरोप
प्रदीप मिश्रा, प्रमुख संवाददाता
गोण्डा। जेल में बंद व्यक्ति की जालसाजी कर गाड़ी ट्रांसफर करवाने के मामले में कोर्ट के आदेश पर नगर कोतवाली पुलिस ने तत्कालीन परसपुर थानाध्यक्ष और आरटीओ ऑफिस के आरआई व बाबू सहित पांच लोगों के खिलाफ गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज किया है। आरोप है कि आरोपियों ने षड्यंत्र रचकर आरटीओ कर्मियों की मिलीभगत से बाइक का फर्जी दस्तावेज तैयार कर ट्रांसफर करवा लिया। मामला उजागर होने के बाद आरटीओ कार्यालय में हड़कंप मचा हुआ है।
साकीपुर, थाना नवाबगंज निवासी उमाशंकर शुक्ला ने कोर्ट में अर्जी देकर बताया कि उनके पुत्र विपिन कुमार शुक्ल ने अपने उपयोग के लिए एक बुलेट बाइक खरीदी थी, जिसका पंजीयन भी उनके नाम पर था। आरोप है कि 21 फरवरी 2022 को कुछ पुलिसकर्मी उनके घर पहुंचे और खुद को एसओजी टीम का बताकर विपिन को पूछताछ के लिए बुलाया। विपिन, दिनकर शुक्ला के साथ पुलिस के साथ निकला और तरबगंज तक पहुंचा।
उमाशंकर शुक्ला का आरोप है कि तत्कालीन थाना परसपुर प्रभारी संदीप सिंह, लक्ष्मी शंकर पाण्डेय और मनोज कुमार पाण्डेय ने मिलकर विपिन को फर्जी मुकदमे में फंसा दिया। गिरफ्तारी के दौरान सादे कागजातों पर जबरन हस्ताक्षर कराए गए और बाद में उसे जेल भेज दिया गया। इस दौरान उसकी मोटरसाइकिल थाने में ही रह गई। जब पीड़ित मार्च 2022 के अंत में बाइक के बारे में पूछताछ करने गया तो कोई जानकारी नहीं मिली।
बाद में पता चला कि विपक्षीगण ने साजिश रचकर फर्जी दस्तावेज तैयार किए और 23 फरवरी 2022 को मनोज कुमार पाण्डेय के नाम बाइक ट्रांसफर करवा दी, जबकि उस दिन विपिन कुमार जेल में बंद था। इस पूरे मामले में जालसाजी कर कूटरचित दस्तावेजों के जरिए गाड़ी का स्वामित्व हस्तांतरित किया गया।
आरटीओ कार्यालय पर फिर उठा सवाल
नगर कोतवाली में मुकदमा दर्ज होने के बाद आरटीओ कार्यालय की कार्यप्रणाली पर फिर सवाल खड़े हो गए हैं। हाल ही में फर्जी आरसी बनाए जाने के मामले में पुलिस ने दो बाबुओं की संलिप्तता उजागर की थी, जिनको निलंबित कर दिया गया था। इससे पहले भी सुविधा शुल्क लेने के आरोप में एक अन्य लिपिक पर कार्रवाई हो चुकी है।
नगर कोतवाल संतोष कुमार मिश्रा ने बताया कि कोर्ट के आदेश के बाद तत्कालीन एसओ संदीप सिंह, आरटीओ लिपिक रमेश कुमार, आरआई संजय कुमार, मनोज कुमार पाण्डेय और लक्ष्मीकांत पाण्डेय के खिलाफ गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज कर जांच शुरू कर दी गई है। इस घटना से आरटीओ कार्यालय और पुलिस प्रशासन दोनों की कार्यशैली सवालों के घेरे में आ गई है।



