शिक्षामित्र मानदेय भुगतान में लापरवाही पर गिरी गाज, लेखा लिपिक निलंबित
प्रदीप मिश्रा, प्रमुख संवाददाता
Gonda News
गोंडा | शिक्षामित्रों के मानदेय भुगतान में हुई लापरवाही पर बड़ी कार्रवाई हुई है। मानदेय पटल देख रहे लेखा लिपिक अरुण शुक्ला को निलंबित कर दिया गया है। यह कार्रवाई वित्त लेखाधिकारी सिद्धार्थ दीक्षित ने की है। वहीं, एडी बेसिक ने वित्त लेखाधिकारी को भी दोषी मानते हुए उनके खिलाफ विभागीय कार्रवाई के लिए शासन को रिपोर्ट भेजी है।
समय पर नहीं मिला था शिक्षामित्रों का मानदेय
बेसिक शिक्षा विभाग के तहत कार्यरत 146 शिक्षामित्रों को फरवरी महीने का मानदेय समय पर नहीं मिला था। इसे लेकर शिक्षामित्र संघ के जिलाध्यक्ष अवधेश मणि मिश्रा ने समाधान दिवस में मंडलायुक्त शशिभूषण लाल सुशील को मांगपत्र सौंपा और होली से पहले भुगतान की मांग की थी। आयुक्त ने वित्त लेखाधिकारी को तत्काल भुगतान का निर्देश दिया, लेकिन लेखा विभाग ने इसे नजरअंदाज कर दिया।
होली की पूर्व संध्या पर शिक्षामित्र संघ ने फिर से आयुक्त से शिकायत की। जांच में पता चला कि बीएसए कार्यालय से 5 मार्च को ही मानदेय पत्रावली लेखा कार्यालय भेज दी गई थी, लेकिन लेखा लिपिक अरुण शुक्ला और वित्त लेखाधिकारी सिद्धार्थ दीक्षित ने फाइल को ट्रेजरी में जानबूझकर नहीं भेजा। इस पर आयुक्त ने कड़ी नाराजगी जताई। डीएम नेहा शर्मा ने तत्काल ट्रेजरी खुलवाकर शिक्षामित्रों का भुगतान कराया।
वित्त लेखाधिकारी के विरुद्ध शासन को भेजी गई रिपोर्ट
मामले की जांच में एडी बेसिक ने वित्त लेखाधिकारी को भी लापरवाही का दोषी ठहराया और उनके खिलाफ कार्रवाई की संस्तुति करते हुए शासन को रिपोर्ट भेज दी। खुद को घिरता देख वित्त लेखाधिकारी ने लेखा लिपिक अरुण शुक्ला पर कार्रवाई की और उन्हें निलंबित कर दिया।
लिपिक अरुण शुक्ला पर ये हैं आरोप
- जानबूझकर शिक्षामित्रों का मानदेय भुगतान रोका और प्रशासन को असहज स्थिति में डाला।
- अशासकीय सहायता प्राप्त विद्यालयों में आयकर प्रपत्र (फॉर्म-24) जारी करने में देरी की।
- छह परिषदीय शिक्षकों को अनियमित तरीके से वेतन भुगतान किया।
- संजू देवी की रिट याचिका खारिज होने के बावजूद वेतन जारी कर वित्तीय अनियमितता की।
- उच्चाधिकारियों के निर्देशों की अनदेखी और अनुशासनहीनता दिखाई।
- वित्तीय अनियमितताओं को छिपाने की कोशिश की।
- सरकारी पत्रों में हेरफेर और कार्यालय के रिकॉर्ड को अव्यवस्थित रखा।
निलंबन पर लिपिक का पलटवार
निलंबन के बाद लेखा लिपिक अरुण शुक्ला ने इसे अवैध करार दिया और वित्त लेखाधिकारी पर गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने आयुक्त, जिलाधिकारी और पुलिस अधीक्षक को पत्र भेजकर बताया कि शनिवार शाम 5:30 बजे जब वह घर जा रहे थे, तभी वित्त लेखाधिकारी ने उन्हें कार्यालय बुलाकर जबरन निलंबन आदेश सौंपा और उनकी टेबल व चार अलमारियों की चाबियां छीन लीं।
अरुण शुक्ला ने दावा किया कि इस घटना के बाद उनकी तबीयत बिगड़ गई और उन्हें डॉक्टर के पास जाना पड़ा। उन्होंने आशंका जताई कि कार्यालय की महत्वपूर्ण फाइलों में छेड़छाड़ या गड़बड़ी की जा सकती है। यदि कोई पत्रावली गायब होती है, तो इसकी जिम्मेदारी वित्त लेखाधिकारी की होगी।



