अधिकारियों की जांच में दिखावा, आंदोलनकारी स्वास्थ्य कर्मियों पर उल्टे कार्रवाई हुई तेज
सीएचसी अधीक्षिका के पक्ष में फैसला देने की तैयारी का आरोप
आंदोलनकारियों पर गिरी गाज, संविदा कर्मियों का वेतन काटा*
स्वास्थ्य कर्मियों ने जांच पर उठाए गंभीर सवाल*
बार-बार स्पष्टीकरण दे रहे हैं, जान बूझकर कोई रिसीविंग नहीं दिया जा रहा है*
हटाई गई अधीक्षिका के नियंत्रण में अब भी है सीएचसी
पीड़ित स्वास्थ्य-कर्मियों-में आंदोलन की फिर से शुरू होने लगी आहट
प्रदीप मिश्रा, प्रमुख संवाददाता

Gonda News
गोंडा। पंडरी कृपाल सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर अधीक्षिका के खिलाफ शोषण के आरोपों से उपजा आंदोलन अब नए मोड़ पर पहुंच गया है। बीते महीने पांच दिनों तक चले एएनएम और सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारियों (सीएचओ) के आंदोलन के बाद भले ही अधीक्षिका को हटाया गया हो, लेकिन विभागीय जांच की दिशा और मंशा पर अब सवाल उठने लगे हैं।
स्वास्थ्य विभाग पर आरोप लग रहे हैं कि वह अधीक्षिका के बचाव में जुट गया है और जांच के नाम पर सिर्फ औपचारिकताएं निभा रहा है। आंदोलनकारी कर्मियों को पहले ही वेतन कटौती का दंड दिया जा चुका है, और अब उन्हें बार-बार स्पष्टीकरण देने के नाम पर मानसिक रूप से प्रताड़ित किया जा रहा है।
अधिकारियों के अनुसार, आंदोलन में शामिल संविदा पर तैनात एएनएम और सीएचओ का पांच दिन का वेतन काट लिया गया है। जबकि स्थाई कर्मियों को अब तक वेतन ही नहीं दिया गया है। कर्मचारियों का कहना है कि उन्होंने लोकतांत्रिक तरीके से विरोध दर्ज कराया, अस्पताल परिसर नहीं छोड़ा, फिर भी उन्हें वेतन से वंचित किया गया।
हालांकि अधीक्षिका पूजा जायसवाल को पंडरी कृपाल सीएचसी से हटा दिया गया है, लेकिन उनके प्रभाव और नियंत्रण की परछाई अब भी वहां बनी हुई है। बताया गया है कि वे अस्पताल और स्वास्थ्य सेवाओं से जुड़े सभी आधिकारिक व्हाट्सएप ग्रुप की एडमिन बनी हुई हैं। यही नहीं, सीएचसी के सीसीटीवी कैमरों की निगरानी भी उन्हीं के पास है।
मातृ शिशु कल्याण महिला कर्मचारी संघ के बैनर तले आंदोलन करने वाले कर्मियों ने बताया कि उनसे बार-बार एक ही विषय पर स्पष्टीकरण मांगा जा रहा है। जबकि उन सभी ने 52 पन्नों का विस्तृत उत्तर सीएमओ कार्यालय में जमा किया, लेकिन वहां से उसकी रिसीविंग लेने से इनकार कर दिया गया। मजबूरन कर्मियों ने रजिस्टर्ड डाक से भी स्पष्टीकरण भेजा, फिर भी विभाग यह कहकर बचता रहा कि उन्हें कोई जवाब नहीं मिला। कर्मियों का आरोप है कि विभाग जानबूझकर अधीक्षिका के पक्ष में जांच का परिणाम तय करने में जुटा है। यही कारण है कि जांच को केवल रस्म अदायगी तक सीमित रखा गया है।
इस पूरे घटनाक्रम से नाराज स्वास्थ्य कर्मियों में एक बार फिर उबाल है। वे चेतावनी दे रहे हैं कि यदि उन्हें न्याय नहीं मिला तो वे आर-पार की लड़ाई के लिए बाध्य होंगे।
जब आंदोलन सीएचसी परिसर में रहकर किया गया तो वेतन क्यों काटा गया। जब जवाब दिया जा चुका है तो बार-बार स्पष्टीकरण क्यों मांगा जा रहा है। हटाई गई अधीक्षिका को व्हाट्सएप ग्रुप और सीसीटीवी की मॉनिटरिंग की अनुमति क्यों दी गई।



