पुरानी पेंशन बहाली व निजीकरण के खिलाफ अटेवा का गोंडा में जोरदार प्रदर्शन, मुख्यमंत्री को सौंपा गया मांगपत्र
प्रदीप मिश्रा, प्रमुख संवाददाता
Gonda News
गोंडा, 1 अगस्त।
राष्ट्रीय स्तर पर पुरानी पेंशन व्यवस्था (ओपीएस) की बहाली और सरकारी विभागों के निजीकरण के खिलाफ आवाज बुलंद करते हुए शुक्रवार को अटेवा पेंशन बचाओ मंच के बैनर तले जिले में जोरदार प्रदर्शन किया गया। अटेवा जिलाध्यक्ष अमर यादव के नेतृत्व में सैकड़ों शिक्षकों और कर्मचारियों ने जिला पंचायत के टीनशेड से जिलाधिकारी कार्यालय तक रोष मार्च निकाला और मुख्यमंत्री को संबोधित ज्ञापन प्रशासन को सौंपा।
प्रदर्शनकारियों की प्रमुख मांगों में पुरानी पेंशन बहाली, निजीकरण की प्रक्रिया पर रोक, सरकारी स्कूलों के मर्जर की समाप्ति और शिक्षा तथा सार्वजनिक क्षेत्र की संस्थाओं की रक्षा शामिल रही।
अमर यादव ने प्रदर्शन को संबोधित करते हुए कहा कि सरकारी संस्थाओं का निजीकरण देश की नींव को कमजोर कर रहा है। उन्होंने स्कूलों के मर्जर को बच्चों के भविष्य के लिए घातक बताया और सरकार से तुरंत इस नीति को वापस लेने की मांग की।
अटेवा संगठन प्रभारी गौरव पांडेय और जिला महामंत्री शिवकुमार ने कहा कि शिक्षक-कर्मचारी लंबे समय से ओपीएस की बहाली की मांग कर रहे हैं, लेकिन सरकार की उदासीनता से आक्रोश बढ़ता जा रहा है। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि जल्द समाधान नहीं हुआ, तो आंदोलन को और तेज किया जाएगा।
सफाई कर्मचारी संघ के जिलाध्यक्ष राघवेंद्र तिवारी ने ऐलान किया कि जब तक पुरानी पेंशन व्यवस्था बहाल नहीं होती, तब तक यह आंदोलन जारी रहेगा।
शिक्षक संघर्ष समिति के संयोजक सतीश पांडेय और आज़ाद बेग ने निजीकरण को युवाओं के भविष्य के साथ खिलवाड़ करार देते हुए कहा कि इससे सरकारी नौकरियों की सुरक्षा खतरे में पड़ गई है।
माध्यमिक शिक्षक संघ के जिलाध्यक्ष अनिल सिंह ने कहा कि सरकार स्कूलों को मर्ज कर बंद कर रही है, जिससे ग्रामीण बच्चों की शिक्षा बाधित हो रही है। यह नीति दूरदराज के गांवों के बच्चों को शिक्षा से वंचित करने वाली है।
प्रदर्शन में स्वाति मलिक, नीतू जायसवाल, मीनू मिश्रा, सूर्य किशोर पांडेय, अजीत पांडेय, शिवपूजन, हनुमंत लाल, ओम प्रकाश, संदीप मौर्य, हिमांशु शुक्ला, आनंद यादव, शौनक शुक्ला, विनोद यादव, सुभाष, संतराम वर्मा, गौरव सिंह, सुधाकर मिश्रा, शिवकुमार गुप्ता सहित बड़ी संख्या में शिक्षक और कर्मचारी शामिल हुए।
प्रदर्शन शांतिपूर्ण रहा लेकिन इसके जरिए सरकार को स्पष्ट संदेश दिया गया कि जब तक कर्मचारियों की पुरानी पेंशन बहाल नहीं होती और निजीकरण की नीति वापस नहीं ली जाती, तब तक यह संघर्ष जारी रहेगा।



