वैभव त्रिपाठी
बलरामपुर। भगवतीगंज नगर के महाराजा अग्रसेन मंदिर अग्रवाल भवन में मंगल पाठ उत्सव का आयोजन किया गया राणी सती के 740 वें जन्मोत्सव पर मंगल पाठ का आयोजन किया गया। जिसमें भगवतीगंज में महाराज अग्रसेन मंदिर अग्रवाल भवन में आयोजित कार्यक्रम में 201 महिलाओं ने दादी का मंगल पाठ किया।
शाम को राणी सती की कथा कहते हुए नृत्य नाटिका प्रस्तुत की गई अग्रवाल भवन में श्री महाराजा अग्रसेन मंदिर में राणी सती के जन्मोत्सव पर मंगल पाठ उत्सव मनाया गया। इसमें शामिल महिलाओं ने श्री राणी सती दादी के जन्म से लेकर शिक्षा-दीक्षा,शादी व वीरगाथा का वर्णन किया महिलाओं ने विधि विधान से हल्दी रस्म निभाई। इस दौरान मेहंदी ओ मेहंदी इतना बता दें कौन सा काम किया है, जय दादी के गगनभेदी नारों से कार्यक्रम स्थल गूंजता रहा। कोलकाता से आए कथावाचक केशव मधुकर ने दादी की महिमा का बखान करते हुए कथा सुनाई। मंगल भवन अमंगल हारी नारायणी तेरो नाम,करलो मंगल पाठ यही जीने का सहारा है, तन-धन बाबो सेठ म्हारी नारायणी सेठानी,मइया की कृपा जिसपर हो जाए मौज उड़ाए दादी तेरे भरोसे मेरा परिवार है के गीतों संग महिलाओं के डांडिया नृत्य ने शमा बांध दिया। मंगल पाठ के बाद रानी सती दादी के जन्म से लेकर विवाह तक की लीला का मंचन किया गया। कोलकाता से आए कलाकारों ने नृत्य नाटिका प्रस्तुत की। जिसमें मुख्य अतिथि राज्य मंत्री सदर विधायक पल्टूराम, विशिष्ट अतिथि पूर्व सांसद दद्दन मिश्र, राजीव अग्रवाल ने मां की आरती कर श्रद्धालुओं में उत्साह भर दिया। प्रमोद कुमार चौधरी ने बताया कि शाम को महाप्रसाद का आयोजन किया गया देवी कांत अग्रवाल,अजय अग्रवाल,विवेक अग्रवाल,सूरज अग्रवाल,अशोक अग्रवाल , सुशील हमीरवासिया,अंकुर अग्रवाल,गौ सेवक रवीन्द्र गुप्ता कमलापुरी,संजय अग्रवाल,प्रवीण अग्रवाल,शरद अग्रवाल,सीताराम तुलस्यान,रवि सीमित की सभी सदस्य महिला में पूनम चौधरी, प्रेमा,सीमा,मीरा,गुड़िया गुप्ता, किरन केसरवानी,ज्योतना शुक्ला,ममता,सुमन,अल्पना केसरवानी,सुनीता,पूजा गुप्ता श्यामा,पूनम केसरवानी,बबीता ममता,मीरा,रितु,विमला,रिशु अग्रवाल,निधि,अल्पना केसरवानी संतोष केडिया,स्वेता,नीलम अन्नपूर्णा,बिंदु अग्रवाल महिला आदि काफी संख्या में पूजा में मौजूद रही महा प्रसाद का आदि काफी संख्या में लोग प्रसाद पाए। कार्यक्रम में कोलकाता से आए हुए मंगल पाठ वाचक केशव मधुकर व कलाकारों ने महाभारत युद्ध में अभिमन्यु के बीरगाति से लेकर राणी सती के जन्म व विवाह के बाद सत्य तक का विशेषण किया। बीच-बीच में भजन व कीर्तन के माध्यम से माहौल को संगीतमय बनाए रखा।



