Gonda:मर्यादापुरुषोत्तम श्री राम जी ने अपने पिता के वचन का मान रखने के लिए राजा दशरथ के लाख समझाने के बाद भी चौदह वर्षों के लिए वन में निवास करने का निर्णय लिया। माता-पिता के आदेश से बड़ा ना ही कोई धर्म है और ना ही कोई धाम।
यह कथा पंडरी कृपाल मे हो रहे नव दिवसीय श्री नवचंडी महायज्ञ व रामकथा मे कथाव्यास ज्योति पांडे जी ने कही। कथा में कैकयी हठ, दशरथ-राम संवाद, केवट संवाद का विस्तार पूर्वक वर्णन किया गया।प्रतिदिन सुबह से ही श्री नवचंडी समेत समस्त देवी देवताओं के आह्वान, पूजन के बाद महाआरती तथा महायज्ञ का आयोजन हो रहा है जो 20 नवंबर तक होगा। कथा में चंद्रकेतु मिश्रा, संतोष मिश्रा, गोपाल, सुग्गी लाल ,शुभम, के पी मिश्रा ,उमा नाथ त्रिपाठी, अंजुल ,अविनाश , आलोक , निखिल, रमन, पींटू समेत भारी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित रहे।



