मनोरमा नदी के पुनर्जीवन को मिली रफ्तार: 1.200 किमी कार्य पूर्ण, जल संरक्षण व जैव विविधता को मिलेगा नया जीवन
—जल आधारित आर्थिक गतिविधियों के लिए भी खुले नए द्वार, जिलाधिकारी नेहा शर्मा की निगरानी में चल रहा जनआंदोलन
प्रदीप मिश्रा, प्रमुख संवाददाता
Gonda News
गोंडा, 25 जुलाई 2025।
मा. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी की प्रेरणा एवं जिलाधिकारी श्रीमती नेहा शर्मा के कुशल निर्देशन में पौराणिक और भूगर्भीय महत्व की मनोरमा नदी के पुनर्जीवन कार्य को जनपद गोंडा में गति मिल रही है। नदी के उद्गम स्थल ताड़ी ताल से लेकर रेलवे पुल तक अब तक कुल 1.200 किलोमीटर क्षेत्र में जीर्णोद्धार कार्य सफलतापूर्वक पूरा किया जा चुका है। शेष दूरी पर कार्य तेज़ी से जारी है, जबकि वित्तीय वर्ष 2025-26 में 15 किलोमीटर नदी क्षेत्र का पुनर्जीवन लक्ष्य निर्धारित किया गया है।
पौराणिक नदी के पुनर्जीवन में जुटे ग्रामीण
मनोरमा नदी न केवल गोंडा और बस्ती जनपद के भूगर्भीय जलस्तर को बनाए रखने में सहायक है, बल्कि कृषि, स्थानीय जीविकोपार्जन और जैव विविधता के लिए भी अत्यंत उपयोगी है। लोक मान्यता के अनुसार इसका उद्गम उद्दालक ऋषि आश्रम के निकट तिर्रेमनोरमा ताल से माना जाता रहा है, जबकि वर्तमान में वास्तविक उद्गम इटियाथोक विकासखंड स्थित ताड़ी ताल को माना गया है। नदी की कुल लंबाई 212 किमी है, जिसमें गोंडा जनपद में लगभग 97 किमी तक यह प्रवाहित होती है।
जनसहभागिता से बन रहा परिवर्तन का सेतु
मनोरमा नदी के जीर्णोद्धार कार्य की शुरुआत 8 जुलाई 2025 को हुई थी। इस महत्वाकांक्षी योजना में मशीनों की मदद से सफाई के साथ-साथ ग्रामीणों व अधिकारियों ने श्रमदान कर जनभागीदारी की मिसाल पेश की है। ताड़ी ताल नाला के टेल से 0.850 किमी दूरी पर पुलिया के दोनों ओर 100 मीटर क्षेत्र में सामूहिक श्रमदान कर नदी की सफाई और चौड़ीकरण किया गया, जिसे जनसहभागिता का उत्कृष्ट उदाहरण माना जा रहा है।
जल संरक्षण, मत्स्य पालन और कृषि को मिलेगा बल
पुनर्जीवित मनोरमा नदी से अब जल प्रवाह में निरंतरता, भूमिगत जल स्तर में सुधार, और बाढ़ प्रबंधन में मजबूती आने की उम्मीद है। जैव विविधता को संजीवनी मिलने के साथ ही स्थानीय समुदाय को मत्स्य पालन, जल कृषि, व अन्य जल आधारित आर्थिक गतिविधियों के नए अवसर भी सुलभ होंगे।
जिलाधिकारी कर रहीं सतत निगरानी
जिलाधिकारी नेहा शर्मा स्वयं इस परियोजना की निरंतर निगरानी कर रही हैं और संबंधित विभागों के साथ समन्वय बनाते हुए इसे जनआंदोलन का रूप दे रही हैं। उन्होंने स्पष्ट किया है कि इस कार्य से गोंडा की नदियों, जलधाराओं और पारिस्थितिकी तंत्र को दीर्घकालिक लाभ मिलेगा।



