गोंडा : जरूरतमंदों, गरीबों व असहायों की मदद करने के लिए समाजसेवी सुशील मिश्रा हमेशा आगे रहते हैं। सामाजिक सरोकार से बचपन से जुड़ाव रहने की वजह से प्रतिमाह अपनी कमाई का एक हिस्सा सात समुंदर पार रहकर भी गरीबों की मदद के लिए देते हैं। फिर चाहे सर्दी में गरीबों को गर्म कपड़े कम्बल आदि वितरित करने हों या गर्मियों में छबील व कई धार्मिक प्रतिष्ठानों पर प्याऊ जल लगानी हो। जरूरतमंदों की मदद के लिए झोंपड़ियों में जाकर उनकी समस्याएं भी जानते हैं। उनका कहना है कि गरीबों की मदद करके ही बेहतर समाज का निर्माण किया जा सकता है।
समाजसेवी सुशील मिश्रा वतन से दूर रहकर लगातार कई वर्षों से कई ऐसे भी कार्यक्रम किए जिनकी सराहना भारत कई अन्य देशों के साथ ही शहर की सामाजिक संस्थाओं ने भी की। अमेरिका के कई नामी हस्तियों ने समाजसेवी के कार्यों को देख कर आठ बार सम्मानित किया जा चुका है। जबकि अमेरिका शहर की प्रमुख सामाजिक संस्थाओं ने भी उन्हें चार बार सम्मान दिया है।समाजसेवी सुशील मिश्रा को परिवार से हमेशा दीनदुखियों की मदद करने के संस्कार मिले। उनके पिता स्वर्गीय रंगुलाल मिश्रा भी शहर में समाजसेवा के कार्य प्रमुखता के साथ करते थे। पिता से मिले संस्कारों पर आगे बढ़ते हुए उन्होंने गरीब बच्चों की मदद करनी शुरू की। समाजसेवी सुशील मिश्रा ने कई दिव्यांग बच्चों को व्हील चेयर दी। कई स्कूलों में हजारों से भी अधिक बच्चों को जूते वितरित किए।तपन पुर्नवास केंद्र के बच्चों को जूते व कपड़े वितरित किए। कई चिकित्सा शिविर के दौरान निशुल्क दवाइयां वितरित करने का बीड़ा उठाया। इसके साथ ही यदि उन्हें यह पता चलता है कि किसी गरीब परिवार की कन्या का विवाह हो रहा है तो वह खुद अमेरिका से दूरभाष के जरिए संपर्क कर उनकी मदद करते हैं. सामूहिक विवाह समारोह में भी वह मदद करने के लिए तैयार रहते हैं। और सैकड़ों कन्याओं के विवाह में सहयोग कर चुके हैं. सुशील मिश्रा का कहना है कि गरीबी की मदद करने से सुकून मिलता है। गरीब को सही समय पर मदद दी जाए तो इससे उसके जीवन स्तर में सुधार आता है। वह आगे बढ़ सकता है। समाज में सबको बराबर लाने के लिए भी गरीबों की मदद करना जरूरी है। पिता से मिली सीख और संस्कारों की वजह से वह हमेशा सामाजिक कार्यो से जुड़े रहते हैं। इसके साथ ही पर्यावरण संरक्षण व सामाजिक बुराइयों के खिलाफ भी अपनी संस्था के माध्यम से लोगों को जागरूक करते हैं। समय समय पर शिक्षण संस्थाओं में भी जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।



