गोंडा: करनैलगंज व परसपुर में जमीन घोटाले बन रहे गंभीर समस्या
सरकारी जमीनों पर कब्जे और फर्जीवाड़े से तंत्र बेबस
प्रदीप मिश्रा, प्रमुख संवाददाता
Gonda News
गोंडा। जिले के करनैलगंज और परसपुर क्षेत्र में जमीन से जुड़े घोटाले अब एक गंभीर समस्या का रूप ले चुके हैं। सरकारी जमीनों पर खुलेआम कब्जा, फर्जी दस्तावेजों के माध्यम से रजिस्ट्री और अवैध निर्माण ने प्रशासनिक व्यवस्था पर सवाल खड़े कर दिए हैं। हालात यह हैं कि नजूल भूमि, चारागाह, तालाब और अन्य सार्वजनिक परिसंपत्तियों पर भी भू-माफिया बेखौफ होकर कब्जा कर रहे हैं।
करनैलगंज नगर के बजरंग नगर मोहल्ले में नजूल भूमि पर अवैध निर्माण की शिकायत के बाद प्रशासन हरकत में आया, लेकिन तब तक वहां पक्के निर्माण खड़े हो चुके थे। नगर पालिका द्वारा बिना मानचित्र पास कराए किए गए निर्माणों पर कोई सख्ती नहीं दिखाई जा रही है। स्थानीय लोगों का कहना है कि पालिका की मिलीभगत से ही जमीन कब्जा कर निर्माण कार्य होते हैं। इससे नगर की दशा बिगड़ रही है और शासन को भारी राजस्व नुकसान हो रहा है।
परसपुर क्षेत्र में जमीन खरीद-फरोख्त के नाम पर एक बड़ा फर्जीवाड़ा सामने आया है। एक व्यक्ति ने रजिस्ट्री कराने के नाम पर 78 लाख रुपये हड़प लिए। पीड़ित ने जब जमीन पर कब्जा चाहा तो पता चला कि न तो वह जमीन आरोपी की थी और न ही रजिस्ट्री की कोई प्रक्रिया शुरू हुई थी। मामले में पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार किया है, जिस पर पहले से तीन मुकदमे दर्ज हैं। यह मामला बताता है कि कैसे जमीन कारोबार में फर्जी दस्तावेजों के दम पर लोगों को ठगा जा रहा है।
करनैलगंज क्षेत्र में अवैध मिट्टी खनन के मामलों ने भी तूल पकड़ लिया है। उपजिलाधिकारी ने जांच कर छह लोगों के खिलाफ कार्रवाई की संस्तुति की है। बिना अनुमति ट्रैक्टरों से मिट्टी खनन कर हजारों रुपये का खेल चल रहा है, जिससे सरकार को राजस्व हानि हो रही है और पर्यावरण को भी खतरा पैदा हो गया है।
करनैलगंज रेलवे स्टेशन पर वर्षों से कब्जा किए लोगों के खिलाफ जब रेलवे प्रशासन ने सख्ती दिखाई और बुलडोजर चलवाकर अतिक्रमण हटाया, तो यह मिसाल बन गई। स्थानीय लोगों का मानना है कि यदि इसी प्रकार हर विभाग अपनी जिम्मेदारी निभाए तो सरकारी जमीनें बचाई जा सकती हैं।
इन तमाम घटनाओं के पीछे एक बात स्पष्ट है—प्रशासन की लापरवाही और उदासीनता ने भू-माफियाओं को बेलगाम बना दिया है। जब तक जिम्मेदार अधिकारी प्रभावी कार्रवाई नहीं करते, तब तक नजूल, राजस्व, ग्रामसभा व अन्य सार्वजनिक भूमि माफियाओं के कब्जे में जाती रहेगी। जरूरत है एक ठोस अभियान की, जो सिर्फ कार्रवाई का दिखावा न होकर, दोषियों को सलाखों के पीछे पहुंचाए और जनता की संपत्ति को सुरक्षित रखे।



