कैडेट्स ने सीखे साइबर सुरक्षा और साइबर अपराध से बचने के उपाय
नंदिनी नगर महाविद्यालय में एनसीसी कैडेट्स को साइबर सुरक्षा पर दिया गया विशेष प्रशिक्षण
प्रदीप मिश्रा, प्रमुख संवाददाता
Gonda News :
गोंडा, नवाबगंज स्थित नंदिनी नगर महाविद्यालय में 48 यूपी बटालियन एनसीसी के तत्वाधान में चल रहे संयुक्त वार्षिक प्रशिक्षण शिविर (164) के दौरान कैडेट्स को साइबर सुरक्षा और साइबर अपराध से बचने के महत्वपूर्ण उपायों के बारे में विशेष जानकारी प्रदान की गई। इस शिविर में साइबर सुरक्षा के विभिन्न पहलुओं पर गहराई से चर्चा की गई, ताकि कैडेट्स भविष्य में डिजिटल दुनिया के खतरों से सुरक्षित रह सकें और जागरूक नागरिक के रूप में अपनी जिम्मेदारी निभा सकें।
कैम्प के दौरान गोंडा से आई साइबर सुरक्षा विशेषज्ञों की टीम ने कैडेट्स के सामने साइबर सुरक्षा के प्रति जागरूकता फैलाने के उद्देश्य से एक विस्तृत सत्र का आयोजन किया। इस सत्र में विशेषज्ञों ने कैडेट्स को साइबर अपराधों की विभिन्न प्रकारों से अवगत कराया और उन्हें इनसे बचने के उपाय भी सिखाए।
विशेषज्ञों ने एटीएम क्लोनिंग, बायोमेट्रिक धोखाधड़ी, और यूपीआई ट्रांजैक्शन से जुड़े खतरों पर विशेष जोर दिया। उन्होंने बताया कि किस प्रकार अपराधी टेक्नोलॉजी का गलत इस्तेमाल कर आम लोगों के वित्तीय और व्यक्तिगत डेटा को निशाना बनाते हैं। इसके साथ ही, उन्होंने इन अपराधों से बचने के लिए विशेष सावधानियां जैसे कि मजबूत पासवर्ड का उपयोग, ओटीपी या किसी भी व्यक्तिगत जानकारी को साझा न करना, और लेनदेन के दौरान सतर्क रहने जैसी बातें विस्तार से समझाईं।
इस सत्र में कैडेट्स ने इंटरनेट और साइबर सुरक्षा से संबंधित अपने सवाल भी उठाए, जिनका विशेषज्ञों ने बेहद सटीक और सरल तरीके से उत्तर दिया। यह सत्र विशेष रूप से इसलिए महत्वपूर्ण था क्योंकि आज की डिजिटल दुनिया में साइबर सुरक्षा एक गंभीर मुद्दा बन चुकी है, और इस विषय पर समझ विकसित करना अनिवार्य हो गया है।
शिविर में कैडेट्स के साथ-साथ एनसीसी 48 बटालियन के कमान अधिकारी कर्नल सुनील कपूर और प्रशासनिक अधिकारी लेफ्टिनेंट कर्नल रणयोद्ध सिंह भी उपस्थित थे। कार्यक्रम के अंत में साइबर सुरक्षा टीम के प्रमुख हरिओम टंडन को उनके उत्कृष्ट योगदान के लिए सम्मानित किया गया और उन्हें स्मृति चिन्ह भेंट किया गया। उनके साथ टीम में मनीष कुशवाहा, आदित्य कुमार शाह, और आलोक कुमार ने भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
यह प्रशिक्षण सत्र न केवल कैडेट्स के लिए ज्ञानवर्धक था, बल्कि उन्हें साइबर अपराधों से बचने और सुरक्षित डिजिटल व्यवहार अपनाने की प्रेरणा भी दी।



