बेसिक शिक्षा विभाग के परिषदीय विद्यालय शिक्षण में लहरा रहे हैं अपना परचम
विज्ञान की नई रोशनी में चमक रहे ग्रामीण छात्र
पंडरी कृपाल क्षेत्र के पांच छात्र-छात्राओं की टीम ने जिला स्तरीय विज्ञान प्रतियोगिता में अपना परचम लहराया
विज्ञान की गहरी समझ और प्रयोगात्मक शिक्षा बनी सफलता की कुंजी
प्रदीप मिश्रा, प्रमुख संवाददाता
Gonda News
गोंडा। शिक्षा के क्षेत्र में नवाचार और समर्पण जब एक साथ चलते हैं, तो परिणाम भी ऐतिहासिक होते हैं। ऐसा ही कुछ कर दिखाया है पूर्व माध्यमिक विद्यालय कन्या केवलपुर और पंडरी कृपाल शिक्षा क्षेत्र के मेधावी विद्यार्थियों ने, जिन्होंने अपने विज्ञान कौशल और प्रयोगात्मक समझ के दम पर जिला स्तरीय विज्ञान प्रतियोगिता में प्रथम स्थान प्राप्त किया।
कभी सरकारी स्कूलों को शिक्षा के स्तर पर कमजोर माना जाता था, लेकिन अब यह धारणा टूट रही है। कान्वेंट स्कूलों को मात देते हुए, केवलपुर और पंडरी कृपाल के विद्यार्थियों ने विज्ञान की दुनिया में अपनी प्रतिभा का परचम लहराया है।
छात्रों की मेहनत और शिक्षकों की लगन लाई रंग
प्रतियोगिता में कक्षा 8 के आदित्य दुबे, कक्षा 7 की सुमन मिश्रा, सारांश मिश्रा, प्रिया तिवारी और प्रतिभा वर्मा की टीम ने भाग लिया। इन विद्यार्थियों ने विज्ञान के कठिन विषयों को केवल रटने तक सीमित नहीं रखा, बल्कि गहरी समझ विकसित की और उसे प्रयोगों के माध्यम से साकार किया।
इस सफलता के पीछे पूर्व माध्यमिक विद्यालय कन्या केवलपुर के आधुनिक शिक्षण पद्धति की भी महत्वपूर्ण भूमिका रही, जहां विज्ञान की पढ़ाई अब सिर्फ किताबों तक सीमित नहीं रही, बल्कि प्रोजेक्टर और साइंस किट के माध्यम से बच्चों को प्रयोग कराकर सिखाया जा रहा है। इससे उनकी जिज्ञासा बढ़ रही है और विषयों की पकड़ मजबूत हो रही है।
बच्चों के सोलर वाटर सिस्टम, पवन चक्की और लेजर सिक्योरिटी प्रोजेक्ट ने प्रतियोगिता में बनाया कीर्तिमान
राष्ट्रीय अविष्कार अभियान के तहत आयोजित इस प्रतियोगिता में इन विद्यार्थियों ने विभिन्न वैज्ञानिक मॉडलों के जरिए अपने ज्ञान का प्रदर्शन किया। सोलर वाटर सिस्टम, पवन चक्की और लेजर सिक्योरिटी सिस्टम जैसे अनूठे प्रोजेक्ट लेकर जब ये बच्चे प्रतियोगिता में पहुंचे, तो हर किसी ने उनकी प्रतिभा की सराहना की।
मुख्य अतिथि मंत्री दारा सिंह चौहान ने बच्चों के प्रोजेक्ट को सराहा और उनके प्रयासों की जमकर तारीफ की। जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी अतुल कुमार तिवारी ने बच्चों की पीठ थपथपाई और कहा कि ऐसे प्रयासों से सरकारी स्कूलों की छवि बदल रही है।
शिक्षकों की मेहनत बन रही है बच्चों की सफलता का आधार
इस सफलता के पीछे शिक्षकों की कड़ी मेहनत भी रही। खंड शिक्षा अधिकारी शशांक सिंह, प्रधानाध्यापिका सियालली , सहायक अध्यापक संतोष कुमार गुप्ता, सहायक अध्यापक बृज भूषण सिंह, विशुनपुर वैरिया स्कूल की हेड मास्टर सरिता सिंह, और शशि श्रीवास्तव ने बच्चों को तैयार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
ग्रामीण अंचलों से निकल रहीं हैं प्रतिभाएं, ज़मी उम्मीद की नई किरण
यह उपलब्धि साबित करती है कि यदि संसाधनों का सही उपयोग हो और बच्चों को सही मार्गदर्शन मिले, तो वे किसी भी बड़े संस्थान के बच्चों से पीछे नहीं रहते। पूर्व माध्यमिक विद्यालय कन्या केवलपुर के ये नन्हें वैज्ञानिक आने वाले समय में न सिर्फ अपने जिले, बल्कि देश का नाम रोशन करने की क्षमता रखते हैं। बच्चों की वैज्ञानिक समझ साबित करता है कि सरकारी स्कूलों में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान की जा रही है



