प्रशासन अपना ले ये युक्ति, तो गोंडा शहर को मिले जाम से मुक्ति

बाजारों में जाम: बढ़ती जा रही समस्या और नहीं निकल रहा समाधान 

प्रदीप मिश्रा, प्रमुख संवाददाता

Gonda News

गोंडा। शहर की संकरी गलियों और मुख्य बाजारों में रोजाना लगने वाले जाम से हर कोई परेशान है। राहगीर, दुकानदार, यात्री और यहां तक कि प्रशासन भी इस समस्या से निपटने के लिए लगातार नए-नए प्रयास कर रहा है, लेकिन कोई ठोस समाधान अब तक कारगर साबित नहीं हुआ है। शहर में बाईपास सड़कें नहीं हैं, और जो छोटी गलियां या वैकल्पिक रास्ते हैं, वे अतिक्रमण की वजह से लगभग बंद हो चुके हैं। ऐसे में बाजारों में लगने वाले भारी जाम से निपटने के लिए एक ठोस रणनीति की आवश्यकता है।

खाली दौड़ते ई-रिक्शा: जाम की बड़ी वजह

शहर के मुख्य बाजारों में लगने वाले जाम के कई कारण हो सकते हैं, लेकिन जब इस समस्या की गहराई से जांच की गई तो एक प्रमुख कारण सामने आया—बिना सवारी के दौड़ते ई-रिक्शा। ये रिक्शा बिना किसी यात्री को बिठाए, लगातार बाजारों में इधर-उधर घूमते रहते हैं, जिससे सड़क पर अनावश्यक भीड़ बढ़ जाती है और वाहनों का आवागमन प्रभावित होता है। रिक्शा चालकों को सवारी खोजने के लिए बाजार में लगातार घूमना पड़ता है, जिससे सड़कें अवरुद्ध हो जाती हैं और जाम की स्थिति उत्पन्न हो जाती है।

खाली ई-रिक्शा पर पाबंदी हो सकती है जाम से मुक्ति की एक कारगर नीति

यदि प्रशासन इस समस्या को गंभीरता से ले और बाजारों में बिना सवारी के चलने वाले ई-रिक्शा पर पूरी तरह से पाबंदी लगा दे, तो जाम की समस्या में आधे से अधिक की कमी आ सकती है।

अगर प्रभावी हो जाएं ये नियम तो इस नियम के तहत—
  1. बाजार में केवल उन्हीं ई-रिक्शा को प्रवेश की अनुमति मिलेगी, जिनमें यात्री बैठे हों।
  2. रिक्शा चालकों को बाजार में खाली दौड़ते पाए जाने पर चालान किया जाएगा।
  3. रिक्शा चालकों को सवारी के बिना बाजार में इधर-उधर भटकने के बजाय, तय स्टॉप या स्टैंड पर ही रुकने की सख्त हिदायत दी जाए।
  4. बाजारों में वाहनों की एंट्री और एग्जिट प्वाइंट तय किए जाएं, ताकि अनावश्यक भीड़ कम हो सके।

इस नीति से सभी को होगा फायदा

1. रिक्शा चालकों को होंगे ये लाभ
  • इस नीति से सबसे अधिक फायदा खुद रिक्शा चालकों को मिलेगा। जब वे बाजार में खाली दौड़ने के बजाय सिर्फ सवारी लेकर ही प्रवेश करेंगे, तो उनकी बैटरी की खपत कम होगी और वे ज्यादा समय तक काम कर पाएंगे।
  • उन्हें बेवजह पुलिस और यातायात कर्मियों की फटकार नहीं सुननी पड़ेगी।
  • चालान की समस्या से बचाव होगा, जिससे उनकी कमाई प्रभावित नहीं होगी।
2. यात्रियों को सुविधा
  • यात्रियों को रिक्शा सस्ते किराए पर उपलब्ध होंगे क्योंकि रिक्शा चालक अब जल्द से जल्द सवारी भरने के इच्छुक होंगे।
  • बाजार में अनावश्यक जाम नहीं लगेगा, जिससे यात्रियों को सुगमता से बाजार तक पहुंचने का अवसर मिलेगा।
3. बाजार के व्यापारियों और आम जनता को राहत
  • बाजारों में भीड़ और जाम कम होने से ग्राहक आसानी से खरीदारी कर सकेंगे, जिससे व्यापार भी प्रभावित नहीं होगा।
  • पैदल चलने वालों को राहत मिलेगी क्योंकि सड़कों पर अनावश्यक रूप से घूमते रिक्शा अब नहीं होंगे।

व्यवहारिक क्रियान्वयन को लेकर ये है सुझाव

  • इस योजना को प्रभावी बनाने के लिए प्रशासन को ई-रिक्शा चालकों को पहले जागरूक करना होगा।
  • बाजारों में रिक्शा स्टैंड बनाए जाएं, जहां चालक सवारी के इंतजार में खड़े हो सकें।
  • इस नीति के पालन के लिए नियमित जांच अभियान चलाए जाएं और नियम तोड़ने वालों पर जुर्माना लगाया जाए।
  • बाजारों में सीसीटीवी कैमरे लगाए जाएं, ताकि रिक्शा चालकों की गतिविधियों पर नजर रखी जा सके।

जाम की समस्या का करना होगा बड़ा समाधान

बाजारों में खाली ई-रिक्शा और सरकारी प्राइवेट वाहनों के प्रवेश पर पाबंदी लगाना एक सरल लेकिन प्रभावी उपाय हो सकता है। इससे न केवल शहर की ट्रैफिक व्यवस्था में सुधार होगा, बल्कि रिक्शा चालकों, यात्रियों और व्यापारियों को भी राहत मिलेगी। इस नीति को सही तरीके से लागू किया जाए तो यह शहर को जाम से मुक्त करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकता है। प्रशासन को इस ओर जल्द से जल्द ध्यान देना चाहिए, ताकि सभी को एक सुचारु और सुगम यातायात व्यवस्था का लाभ मिल सके।

पहले से बने हुए हैं ये नियम

रिक्शों के संचालन के लिए पूर्व में रूट तय किया गया था जो मौजूदा समय में लागू है, टोकन और रंग के जरिए रिक्शों की एक साथ एक ही रूट पर बाढ़ ना आने पाए इसका नियम निर्धारित किया गया, मगर प्राइवेट और पहले से बुक सवारी बैठाकर लाने का बहाना रिक्शा संचालक करने लग रहे हैं ऐसे में सभी नियम जाम की समस्या का निदान करने में पूरी तरह कामयाब नहीं हो पा रहे हैं।

 

 

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